प्रतीकात्मक तस्वीर
‘वक्त रुकता नहीं कहीं थमकर, इसकी आदत भी आदमी सी है.’ एक कविता की इन्हीं पंक्तियों की मानिंद पिछला साल बीत गया और छोड़ गया हमारे दामन में कुछ यादें, कुछ बातें, कुछ वादे और कुछ नये इरादे.
एक गीतकार को मिला साहित्य का नोबल
मशहूर अमेरिकी गीतकार बॉब डिलेन को वर्ष 2016 के लिए साहित्य का नोबल पुरस्कार मिलने के कारण वाद और प्रतिवाद में घिरे विश्व साहित्य को एक नया आयाम मिला. पांच दशकों से साहित्य, संगीत और संस्कृति को प्रभावित करने वाले बॉब डिलेन पहले व्यक्ति हैं जिन्हें ग्रैमी, ऑस्कर और नोबल पुरस्कार मिले हैं.
साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता गीतकार जावेद अख्तर का मानना है, ‘‘एक गीतकार को साहित्य का नोबल पुरस्कार मिलना खुशी की बात है. उनके गीतों में साहित्य है, जिसने अमेरिका के लोगों को आंदोलित किया. उनकी रचनाओं को वहां स्कूल, कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया.’’ वहीं, गीतकार प्रसून जोशी का कहना है, ‘‘बॉब डिलेन को साहित्य का नोबल पुरस्कार मिलने से संदेश जाता है कि आम जनता के लिए लिखे गये गीतों को साहित्य में स्वीकार किया जाता है. इसी तरह स्तरीय गीतों को स्वीकार किया जाना चाहिए.’’
दो दशक बाद किसी बांग्ला लेखक को मिला ज्ञानपीठ पुरस्कार
पिछले वर्ष 52वां ज्ञानपीठ पुरस्कार आधुनिक बांग्ला साहित्य के नामचीन कवि शंखो घोष को दिया गया. दो दशकों के बाद किसी बांग्ला लेखक को देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान प्रदान किया गया. इससे पहले 1996 में बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था.
वर्ष 2016 का 30वां मूर्तिदेवी पुरस्कार मलयालम के नामवर लेखक एमपी वीरेंद्र कुमार के यात्रा वृतांत ‘हैमवाता भूमिइल’ के लिए प्रदान किया गया. इस रचना के हिन्दी अनुवाद का शीषर्क ‘वादियां बुलाती हैं हिमालय की’ है. वीरेंद्र कुमार सांस्कृतिक विरासत, भारतीय दर्शन और मानवीय मूल्यों को अपने लेखन में उभारते हैं.
24 भाषाओं के रचनाकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार
वर्ष 2016 में 24 भाषाओं के रचनाकारों को प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया. इसमें आठ कविता-संग्रह, पांच उपन्यास, दो समालोचना, एक निबंध संग्रह और एक नाटक शामिल है. इस वर्ष साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वालों में हिन्दी की उपन्यासकार नासिरा शर्मा, उर्दू के समालोचक निज़ाम सिद्दीकी, अंग्रेजी के उपन्यासकार जेरी पिंटो और संस्कृत के लेखक सीतानाथ आचार्य शास्त्री शामिल हैं.
‘यह एक दुनिया: सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टाज
साहित्य के महत्वपूर्ण संगठन ‘केके बिरला फाउंडेशन’ ने राजस्थानी लेखक को दिया जाने वाला 26वां बिहारी पुरस्कार वर्ष 2016 में डा. सत्य नारायण के रिपोर्टाज ‘यह एक दुनिया’ को दिया. वहीं, 2015 का सरस्वती सम्मान वर्ष 2016 में डॉ. पदमा सचदेव की डोंगरी में लिखी आत्मकथा को दिया गया और व्यास सम्मान डॉ. सुनीता जैन को दिया गया.
...और इन सशक्त हस्ताक्षरों को हमने खो दिया
वर्ष 2016 में भारतीय साहित्य के जिन सशक्त हस्ताक्षरों को हमने खो दिया उनमें ज्ञानपीठ के निदेशक, हिन्दी के अग्रणी लेखक और संपादक रवींद्र कालिया, उर्दू के शायर निदा फाज़ली, बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी, मलयालम के कवि ओएनवी कुरूप, पंजाबी लेखक गुरूदयाल सिंह प्रमुख हैं. ज्ञानपीठ के पूर्व निदेशक और लेखक प्रभाकर श्रोत्रिय और दिनेश मिश्रा का निधन भी साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति रही.
इसके अलावा पाकिस्तान में उर्दू के अफसानानिगार इंतजार हुसैन का निधन हो गया, जिन्हें साहित्य अकादमी ने प्रेमचंद फैलोशिप दी थी. वहीं, उर्दू लेखक बेकल उत्साही, हिन्दी लेखक मुद्राराक्षस, नीलाभ, विवेकी राय, वीरेंद्र सक्सेना, कन्नड़ लेखक डीजीजे गौड़ा, गुजराती लेखक लाभशंकर जाधवजी ठाकर और मराठी लेखक आनंद यादव का निधन भी भारतीय साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति रही.
एक गीतकार को मिला साहित्य का नोबल
मशहूर अमेरिकी गीतकार बॉब डिलेन को वर्ष 2016 के लिए साहित्य का नोबल पुरस्कार मिलने के कारण वाद और प्रतिवाद में घिरे विश्व साहित्य को एक नया आयाम मिला. पांच दशकों से साहित्य, संगीत और संस्कृति को प्रभावित करने वाले बॉब डिलेन पहले व्यक्ति हैं जिन्हें ग्रैमी, ऑस्कर और नोबल पुरस्कार मिले हैं.
साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता गीतकार जावेद अख्तर का मानना है, ‘‘एक गीतकार को साहित्य का नोबल पुरस्कार मिलना खुशी की बात है. उनके गीतों में साहित्य है, जिसने अमेरिका के लोगों को आंदोलित किया. उनकी रचनाओं को वहां स्कूल, कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया.’’ वहीं, गीतकार प्रसून जोशी का कहना है, ‘‘बॉब डिलेन को साहित्य का नोबल पुरस्कार मिलने से संदेश जाता है कि आम जनता के लिए लिखे गये गीतों को साहित्य में स्वीकार किया जाता है. इसी तरह स्तरीय गीतों को स्वीकार किया जाना चाहिए.’’
दो दशक बाद किसी बांग्ला लेखक को मिला ज्ञानपीठ पुरस्कार
पिछले वर्ष 52वां ज्ञानपीठ पुरस्कार आधुनिक बांग्ला साहित्य के नामचीन कवि शंखो घोष को दिया गया. दो दशकों के बाद किसी बांग्ला लेखक को देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान प्रदान किया गया. इससे पहले 1996 में बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था.
वर्ष 2016 का 30वां मूर्तिदेवी पुरस्कार मलयालम के नामवर लेखक एमपी वीरेंद्र कुमार के यात्रा वृतांत ‘हैमवाता भूमिइल’ के लिए प्रदान किया गया. इस रचना के हिन्दी अनुवाद का शीषर्क ‘वादियां बुलाती हैं हिमालय की’ है. वीरेंद्र कुमार सांस्कृतिक विरासत, भारतीय दर्शन और मानवीय मूल्यों को अपने लेखन में उभारते हैं.
24 भाषाओं के रचनाकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार
वर्ष 2016 में 24 भाषाओं के रचनाकारों को प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया. इसमें आठ कविता-संग्रह, पांच उपन्यास, दो समालोचना, एक निबंध संग्रह और एक नाटक शामिल है. इस वर्ष साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वालों में हिन्दी की उपन्यासकार नासिरा शर्मा, उर्दू के समालोचक निज़ाम सिद्दीकी, अंग्रेजी के उपन्यासकार जेरी पिंटो और संस्कृत के लेखक सीतानाथ आचार्य शास्त्री शामिल हैं.
‘यह एक दुनिया: सर्वश्रेष्ठ रिपोर्टाज
साहित्य के महत्वपूर्ण संगठन ‘केके बिरला फाउंडेशन’ ने राजस्थानी लेखक को दिया जाने वाला 26वां बिहारी पुरस्कार वर्ष 2016 में डा. सत्य नारायण के रिपोर्टाज ‘यह एक दुनिया’ को दिया. वहीं, 2015 का सरस्वती सम्मान वर्ष 2016 में डॉ. पदमा सचदेव की डोंगरी में लिखी आत्मकथा को दिया गया और व्यास सम्मान डॉ. सुनीता जैन को दिया गया.
...और इन सशक्त हस्ताक्षरों को हमने खो दिया
वर्ष 2016 में भारतीय साहित्य के जिन सशक्त हस्ताक्षरों को हमने खो दिया उनमें ज्ञानपीठ के निदेशक, हिन्दी के अग्रणी लेखक और संपादक रवींद्र कालिया, उर्दू के शायर निदा फाज़ली, बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी, मलयालम के कवि ओएनवी कुरूप, पंजाबी लेखक गुरूदयाल सिंह प्रमुख हैं. ज्ञानपीठ के पूर्व निदेशक और लेखक प्रभाकर श्रोत्रिय और दिनेश मिश्रा का निधन भी साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति रही.
इसके अलावा पाकिस्तान में उर्दू के अफसानानिगार इंतजार हुसैन का निधन हो गया, जिन्हें साहित्य अकादमी ने प्रेमचंद फैलोशिप दी थी. वहीं, उर्दू लेखक बेकल उत्साही, हिन्दी लेखक मुद्राराक्षस, नीलाभ, विवेकी राय, वीरेंद्र सक्सेना, कन्नड़ लेखक डीजीजे गौड़ा, गुजराती लेखक लाभशंकर जाधवजी ठाकर और मराठी लेखक आनंद यादव का निधन भी भारतीय साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति रही.
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