प्रतीकात्मक तस्वीर
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति वुडरो विलसन ने कहा था, ''मैं कभी किताब नहीं पढ़ता अगर मुझे उसके लेखक से आधे घंटे तक बात करने का मौका मिलता.''
एक लेखक जब कलम उठाता है तो, उसने अपने जीवन में जो सुख, दुख, प्रेम, वात्सल्य, छल-कपट, ममता, दया का अनुभव करता है उन्हीं अनुभवों को वह किताब में उतारता है. यही वजह है कि जब हम कोई किताब पढ़तें है तो उसी बहाने हमें किसी की ज़िंदगी से सबक लेने का भी मौका मिल जाता है. अलग-अलग किरदार और उनकी अलग-अलग परिस्थितियों के बहाने हम अपनी ज़िंदगी में मची उथल-पुथल का समाधान ढूंढ़ सकते हैं. हालंकि, इस बात का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है कि हमारे हाथ में जो किताब है, वह कैसी है और किस मकसद से लिखी गई है.
अमेरिकी लेखक विलसन ने कहा था, ''दो लोग कभी एक किताब नहीं पढ़ते'. हर शख्स अलग अलग मकसद से किताब पढ़ता है. किसी के लिए किताब पढ़ना टाइम पास है तो कोई हालात का समाधान ढूंढ़ने के लिए, तो कोई प्रेरणा और अपनी जानकारी और समझ बढ़ाने के लिए पढ़ता है. स्पेन के मशहूर लेखक कारलो जैफन के मुताबिक, 'किताबें आइना हैं, हम उसे उसी रूप में लेते हैं जैसे हम अंदर से हैं'. शायद यही वजह है कि कई बार जब हम कोई किताब पढ़ते हैं तो उसके किरदार के हालात हमें हमारी ज़िंदगी से मिलते-जुलते लगते हैं और उनके सफर से हम अपना रास्ता ढंढ़ने की कोशिश करते हैं हैं.
अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे का कहना है कि जब भी वह मुश्किल वक्त का सामना करती हैं तो काल्पनिक किताबों को पढ़ने लगती हैं. पिछले साल 'द मॉर्डन गुरुकुल : माई
एक्सपेरिमेंट्स विद पैरेन्टिंग' किताब लिखने वाली सोनाली क्रॉसवर्ड बुक स्टोर में लेखिका अनुषा सुब्रमण्यम की किताब 'नेवर गॉन' के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुईं.
यह पूछे जाने पर कि क्या कोई विशेष शैली की किताब है, जिसे वह खुद पढ़ना चाहें या अपने बेटे को पढ़ना चाहें तो उन्होंने कहा, "जब भी मैं तनाव या मुश्किल वक्त से गुजरती हूं तो नई ऊर्जा के साथ आकर दुनिया का सामना करने के लिए काल्पनिक किताबों को पढ़ती हूं. ऐसी बहुत सी शैलियां हैं. इनका चुनाव मेरा ध्यान आकर्षित होने के ऊपर निर्भर
करता है, लेकिन मां बनने के बाद से पढ़ना मेरे लिए एक तरह से मुश्किल हो गया है." उनका कहना है कि उनका बेटा जो कुछ भी पढ़ता है उससे उन्हें खुशी मिलती है, क्योंकि उसे किताबों से प्यार है. उन्होंने बताया कि किताबें बचपन से ही उनकी अच्छी दोस्त रही हैं.
कहानी फिल्मों में भी होती है. लेकिन एक फिल्म बनाना, एक किताब लिखने से ज्यादा महंगी है. इसलिए फिल्मों की कहानी और उसके किरदार का सफर प्रॉफिट को ध्यान में रखकर गढ़ा जाता है. एक किताब के लेखक के पास ऐसी कोई बाधा या पाबंधी नहीं होती है.
एक लेखक जब कलम उठाता है तो, उसने अपने जीवन में जो सुख, दुख, प्रेम, वात्सल्य, छल-कपट, ममता, दया का अनुभव करता है उन्हीं अनुभवों को वह किताब में उतारता है. यही वजह है कि जब हम कोई किताब पढ़तें है तो उसी बहाने हमें किसी की ज़िंदगी से सबक लेने का भी मौका मिल जाता है. अलग-अलग किरदार और उनकी अलग-अलग परिस्थितियों के बहाने हम अपनी ज़िंदगी में मची उथल-पुथल का समाधान ढूंढ़ सकते हैं. हालंकि, इस बात का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है कि हमारे हाथ में जो किताब है, वह कैसी है और किस मकसद से लिखी गई है.
अमेरिकी लेखक विलसन ने कहा था, ''दो लोग कभी एक किताब नहीं पढ़ते'. हर शख्स अलग अलग मकसद से किताब पढ़ता है. किसी के लिए किताब पढ़ना टाइम पास है तो कोई हालात का समाधान ढूंढ़ने के लिए, तो कोई प्रेरणा और अपनी जानकारी और समझ बढ़ाने के लिए पढ़ता है. स्पेन के मशहूर लेखक कारलो जैफन के मुताबिक, 'किताबें आइना हैं, हम उसे उसी रूप में लेते हैं जैसे हम अंदर से हैं'. शायद यही वजह है कि कई बार जब हम कोई किताब पढ़ते हैं तो उसके किरदार के हालात हमें हमारी ज़िंदगी से मिलते-जुलते लगते हैं और उनके सफर से हम अपना रास्ता ढंढ़ने की कोशिश करते हैं हैं.
अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे का कहना है कि जब भी वह मुश्किल वक्त का सामना करती हैं तो काल्पनिक किताबों को पढ़ने लगती हैं. पिछले साल 'द मॉर्डन गुरुकुल : माई
एक्सपेरिमेंट्स विद पैरेन्टिंग' किताब लिखने वाली सोनाली क्रॉसवर्ड बुक स्टोर में लेखिका अनुषा सुब्रमण्यम की किताब 'नेवर गॉन' के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुईं.
यह पूछे जाने पर कि क्या कोई विशेष शैली की किताब है, जिसे वह खुद पढ़ना चाहें या अपने बेटे को पढ़ना चाहें तो उन्होंने कहा, "जब भी मैं तनाव या मुश्किल वक्त से गुजरती हूं तो नई ऊर्जा के साथ आकर दुनिया का सामना करने के लिए काल्पनिक किताबों को पढ़ती हूं. ऐसी बहुत सी शैलियां हैं. इनका चुनाव मेरा ध्यान आकर्षित होने के ऊपर निर्भर
करता है, लेकिन मां बनने के बाद से पढ़ना मेरे लिए एक तरह से मुश्किल हो गया है." उनका कहना है कि उनका बेटा जो कुछ भी पढ़ता है उससे उन्हें खुशी मिलती है, क्योंकि उसे किताबों से प्यार है. उन्होंने बताया कि किताबें बचपन से ही उनकी अच्छी दोस्त रही हैं.
कहानी फिल्मों में भी होती है. लेकिन एक फिल्म बनाना, एक किताब लिखने से ज्यादा महंगी है. इसलिए फिल्मों की कहानी और उसके किरदार का सफर प्रॉफिट को ध्यान में रखकर गढ़ा जाता है. एक किताब के लेखक के पास ऐसी कोई बाधा या पाबंधी नहीं होती है.
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