अमीर खुसरो पर उर्दू के विद्वान गोपी चन्द नारंग ने बहुत ही शानदार किताब 'अमीर खुसरोः हिन्दवी लोक काव्य संकलन' लिखी है. इस किताब में अमीर खुसरो के बारे में कई तरह की जानकारी मिलती है और उनके काव्य को भी समझा जा सकता है. गोपी चन्द नारंग ने इस किताब में अमीर खुसरो की पहेलियों को संजोया है और उनको अच्छे से समझाया भी है. इस तरह अमीर खुसरो को समझे के लिए यह एक बेहद जरूरी किताब है जिसका अनुवाद मोहम्मद मूसा रजा ने किया है. अमीर खुसरो का जन्म 1253 ईसवी में एटा जिले के पटियाली में हुआ. आठ वर्ष की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया था. पिता के निधन के बाद नाना ने उनका पालन-पोषण किया. अलाउद्दीन का समय अमीर खुसरो के उफान का समय था. उनकी शानदार रचनाए इसी दौर की हैं. अमीर खुसरो का निधन 1325 ईसवी में हुआ. आइए एक नजर डालते हैं किताब से उनकी कुछ पहेलियों पर...
1. गुप्त घाव तन में लगो और जिया रहत बेचैन
ओखत खाय दुख बढ़े सो करो सखी कुछ बैन
2. रैन पड़ें भोजन करें और दिनों फकत हैं पौन
उलटे लपट तपशा करें जोगी नहीं वो कौन
3. एक चीज के दो हैं नाम
वा के खाए नेक अंजाम
दाना सभी हज्म कर जाएं
उगलन हारे कोड़ा खायें
4. दो नर में है एक ही नारी
चट पट बूझे हलका भारी
खात बचन नहीं कहती है
और चुटिया कर में रहती है
5. दुल्हन
बनी रंगीली शरम की बात
बेमौसम आई बरसात
यही अचम्भा मुझको आये
खुशी के दिन क्यूं रोती जाये
6. गला कटे वह चूं न करे और मुंह से रक्त बहाये
सो प्यारी बातें करे फिक्र कथा दिखलाये
7. हाड़ की देहरी उज्जल रंग
लिपटा रहे नारी के संग
चोरी की ना खून किया
वा का सर क्यों काट लिया
8. जा घर लाल बिलैया जाये
ताके घर में दुंद मचाये
लाखन मन पानी पी जाये
धरा ढका सब घर का खाये
9. अचरज बंगला एक बनाया
ऊपर नियो तले घर छाया
बांस न बल्ली बंधन घने
कहो खुसरो घर कैसे बने
10. डाला था सब के मन भाया
टांग उठा कर खेल बनाया
कमर पकड़ के दिया ढकेल
जब हुआ वह पूरा खेल
(जवाब: 1. इश्क, 2. चमगादड़, 3. गुस्सा, 4. तराजू, 5. दुल्हन, 6. पान, 7. नाखून, 8. आग, 9. बया का घोंसला, 10. झूला)
किताब: अमीर खुसरोः हिन्दवी लोक काव्य संकलन
लेखक: गोपीचंद नारंग
अनुवादः मोहम्मद मूसा रजा
प्रकाशकः वाणी प्रकाशन
कीमतः 299 रु. (पेपरबैक)
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