हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने दाउदी बोहरा समुदाय में महिलाओं का खतना (Khatna) को भारतीय दंड संहिता और बाल यौन अपराध सुरक्षा कानून (पोक्सो एक्ट) के तहत अपराध बताया. 15 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ पंरपरा के नाम पर किए जाने वाले इस काम की कठोर निंदा की. साथ ही बताया गया कि इस परंपरा पर 42 देशों ने रोक लगा दी है, जिनमें 27 अफ्रीकी देश हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता बताई है. लेकिन बावजूद इसके छोटी बच्चियों के साथ कि जाने वाली इस प्रक्रिया के मामले कम नहीं हो रहे. आज भी कई जगहों पर महिलाओं का खतना (Female Genital Mutilation) किया जाता है और तर्क दिया जाता है कि ऐसा करने से महिलाओं में सेक्स की इच्छा खत्म हो जाती है.
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आप भी यहां जानिए इस महिलाओं के साथ की जाने वाली इस खतरनाक 'खतना' प्रक्रिया के बारे में सबकुछ.
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क्या होता है खतना?
यह कार्य नवजात शिशुओं और 15 साल तक की बच्चियों के साथ किया जाता है. नवजात शिशुओं (पुरुष) के लिंग के ऊपरी हिस्से की त्वचा को हटा दिया जाता है. जो फिर दोबारा नहीं आती. वहीं, बच्चियों की योनी के बाहरी हिस्से (क्लिटोरिस) को हटा दिया जाता है.
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क्यों किया जाता है खतना?
खतना को मानने वाले समुदायों के अनुसार महिलाओं का खतना करने से उनमें सेक्स की इच्छा को खत्म किया जाता है. इस प्रक्रिया से उनका चाल-चलन नहीं बिगड़ता और वो अपने पति के प्रति ज्यादा वफादार रहती हैं.
महिलाओं का खतना कैसे किया जाता है?
खतना की इस प्रक्रिया में महिलाओं की योनी के क्लिटोरिस नाम के हिस्से को ब्लेड से हटा दिया जाता है. वहीं, कई बार इस खतना में योनी को सिलना या फिर पूरी क्लिटोरिस को हटा दिया जाता है.
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महिलाओं के खतना का नुकसान?
खतना की पूरी प्रक्रिया बहुत दर्दनाक होती है, क्योंकि इस दौरान बच्चियों को पूरे होश में रखा जाता है. इसमें किसी भी प्रकार का एनेस्थीसिया या बेहोश करने वाली दवा नहीं दी जाती. खतना के बाद महिलाओं के अंडाशय में गांठ, पेशाब करने में दर्द और बाद में संक्रमण, जन्म के दौरान ही शिशुओं की मृत्यु, बांझपन, पीरियड्स में समस्या, योनी में सूजन, दर्द और खुजली की समस्या रहती है.
महिलाओं के खतना के फायदे?
खतना को मानने वाले समुदायों और देशों के अनुसार इससे लिंग और सेक्स समस्याएं जैसे HIV-AIDS का खतरा कम हो जाता है. गुप्तांग संबंधी कैंसर का खतरा कम हो जाता है और गुप्तागों में संक्रमण नहीं होता. हालांकि इस फायदों को मेडिकल रूप से मान्यता नहीं दी गई है.
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