सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये मामला अहम और संवेदनशील है.
नई दिल्ली:
ट्रिपल तलाक के बाद मुस्लिमों के दाउदी वोहरा समुदाय की बच्चियों के साथ होने वाले खतना यानी फीमेल जेनिटल म्यूटलेशन (खतना) परंपरा पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली समेत चार राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये मामला अहम और संवेदनशील है. चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने सोमवार को केंद्र सरकार के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र , गुजरात और राजस्थान को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. ये याचिका सुनीता तिवारी की ओर से दायर की गई है.
याचिका में फीमेल जेनिटल म्यूटलेशन(एफजीएम) को अमानवीय प्रथा बताते हुए इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की गुहार की गई है. इसे संज्ञेय अपराध और गैर जमानती वारंट के तहत लाने की गुहार भी की गई है. याचिका में कहा गया है कि दाउदी वोहरा समुदाय में बच्चियों (पांच वर्षं से रजोस्वला तक के बीच) के साथ होने वाले इस अमानवीय कृत्य को मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है. साथ ही सयुक्त राष्ट्र कनवेंशन केखिलाफ है. याचिका में कहा गया है कि नाबालिग केसाथ होने वाली यह कुप्रथा महिलाओं केसाथ भेदभाव है.
साथ ही याचिका में कहा गया है कि दाउदी वोहरा समुदाय में 'खतना हर बच्चियों के साथ किया जाता है और वह भी बिना चिकित्सकीय कारणों के. न ही कुरान में इसका जिक्र है. अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में यह अपराध है. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में भी इसे अपराध की श्रेणी में ला दिया है. 27 अफ्रीकी देश, जहां से इस प्रथा की शुरुआत हुई थी, वहां भी इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. लेकिन भारत में अब तक इस पर पाबंदी नहीं लगाई गई है. याचिका में कहा गया कि दाउदी वोहरा समुदाय मुख्यत: व्यवसायी होते हैं. इस समुदाय केलोग मुख्य रूप में महाराष्ट्र , राजस्थान व गुजरात में रहते हैं. समुदाय के कुछ लोग दिल्ली में भी शिफ्ट हो गए हैं.
याचिका में फीमेल जेनिटल म्यूटलेशन(एफजीएम) को अमानवीय प्रथा बताते हुए इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की गुहार की गई है. इसे संज्ञेय अपराध और गैर जमानती वारंट के तहत लाने की गुहार भी की गई है. याचिका में कहा गया है कि दाउदी वोहरा समुदाय में बच्चियों (पांच वर्षं से रजोस्वला तक के बीच) के साथ होने वाले इस अमानवीय कृत्य को मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है. साथ ही सयुक्त राष्ट्र कनवेंशन केखिलाफ है. याचिका में कहा गया है कि नाबालिग केसाथ होने वाली यह कुप्रथा महिलाओं केसाथ भेदभाव है.
साथ ही याचिका में कहा गया है कि दाउदी वोहरा समुदाय में 'खतना हर बच्चियों के साथ किया जाता है और वह भी बिना चिकित्सकीय कारणों के. न ही कुरान में इसका जिक्र है. अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम में यह अपराध है. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में भी इसे अपराध की श्रेणी में ला दिया है. 27 अफ्रीकी देश, जहां से इस प्रथा की शुरुआत हुई थी, वहां भी इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. लेकिन भारत में अब तक इस पर पाबंदी नहीं लगाई गई है. याचिका में कहा गया कि दाउदी वोहरा समुदाय मुख्यत: व्यवसायी होते हैं. इस समुदाय केलोग मुख्य रूप में महाराष्ट्र , राजस्थान व गुजरात में रहते हैं. समुदाय के कुछ लोग दिल्ली में भी शिफ्ट हो गए हैं.
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