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This Article is From Oct 16, 2016

कोलकाता के इस लोकगायक के बेटे की शादी में शामिल हुए थे साहित्य नोबेल विजेता बॉब डिलेन

कोलकाता के इस लोकगायक के बेटे की शादी में शामिल हुए थे साहित्य नोबेल विजेता बॉब डिलेन
  • नोबेल पुरस्‍कार पाने वाले गायक बॉब डिलेन का रहा है कोलकाता से विशेष लगाव
  • 1990 में कोलकाता में पूर्णदास बौल के बेटे के शादी-समारोह में शामिल हुए थे
  • यही एकमात्र वह समय है जब बॉब डिलेन भारत आए
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कोलकाता: हाल ही में साहित्‍य में नोबेल पुरस्‍कार हासिल करने वाले अमेरिका के कवि और गायक बॉब डिलेन का कोलकाता से विशेष लगाव रहा है. नोबेल पुरस्कार जीतने से उनके प्रशंसकों में उत्साह है. लेकिन कई लोगों को यह पता नहीं है कि इस संगीतकार का कोलकाता से विशेष संबंध है. 1990 में, कोलकाता को उस समय डिलेन का स्वागत करने का मौका मिला था जब पूर्णदास बौल के बेटे के शादी-समारोह में शामिल हुए थे.  

हालांकि डिलेन की यात्रा को सार्वजनिक नहीं किया गया था. अपनी यात्रा के दौरान वह दक्षिण कोलकाता के ढाकुरिया की तंग गलियों में बनी एक तीन मंजिला इमारत में ठहरे थे. यही एकमात्र वह समय है जब बॉब डिलेन भारत आए.

लोकगायक दिबेंदु दास अपनी शादी में बॉब डिलेन के शामिल पर बहुत खुश हुए थे. उनके पिता पूर्णदास अमेरिका के प्रसिद्ध वुडस्टॉर्क उत्सव में डिलेन के साथ जोड़ी बनाकर शामिल हुए थे. अमेरिका में पूर्णदास, डिलेन के साथ वुडस्टॉक में बियर्जवेल ठहरे थे.  

दास ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, "आप बॉब डिलेन के बारे में एक वाक्य में नहीं बता सकते. वह महान हैं. वह सच्चे कलाकार हैं. मैं उनकी कोलकात यात्रा के बारे में बात नहीं करना चाहता क्योंकि वह यहां एक मित्र के रूप में आए थे. हमने इसे गुप्त बनाए रखा लेकिन जैसे ही लोगों को पता चला हमें अपना कार्यक्रम बंद करना पड़ा."

पूर्णदास भारत के अपने संगीत की धुन कई देशों में पहुंचाई है. उन्होंने टीना टर्नर, माइक जैगर, बॉब मार्ले और बॉल डिलेन जैसे कई महान संगीतकारों के साथ काम किया है.  दास और बॉब डिलेन के रिश्ते संगीत तक ही सीमित नहीं थे. बॉब डिलेन के पूर्व मैनेजर अल्बर्ट ग्रॉसमैन ने उन्हें अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में होने वाले एक संगीत उत्सव में प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया था. अपनी यात्रा के दौरान दास वुडस्टॉक के बियर्जवेल भी गए थे जहां वह डिलेन के साथ रुके थे. उसके बाद से दोनों दोस्त बन गए.

दास उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि यह जानने के बाद कि वह और उनका परिवार केवल चावल खाता है, डिलेन ने एक बोरी चावल उनके लिए भेजा था. साथ ही यह हिदायत दी थी कि अमेरिका छोड़ने से पहले हम पूरे चावल खत्म कर दें. वह अक्सर दास की पत्नी मंजू दास बौल के हाथों की बनाई खिचड़ी खाते थे.

दास ने यह भी कहा, "जब वह यहां आए थे तो वह मेरे घर में दो घंटे तक रुके थे. उसके बाद अन्य शहरों से और न्यूजपेपर से कॉल आना शुरू हो गए. इसलिए हमने आगे बढ़ने का निर्णय लिया और वह तत्काल चले गए."  दास ने कहा कि डिलेन ने लोकसंगीत की असली ताकत को पहचाना और परंपरागत लोकसंगीत को पहचान दिलाई.

दिबेंदु दास ने कहा, "लोकसंगीत की कोई भाषा नहीं होती क्योंकि यह नवजात बच्चे के स्वर जैसा होता है. इससे कोई मतलब नहीं है कि बच्चा कहां जन्म लेता है. जैसे ही वह पहली बार रोता है, वही लोकसंगीत होता है."

पूर्णदास बौल ने कहा कि डिलेन, नोबेल जैसा सम्मान पाने के लायक हैं और उन्हें ये सम्मान पहले ही मिल जाना चाहिए था. उन्होंन कहा कि संगीत और कलाकार पूरी दुनिया को एक साथ ला सकते हैं.

ऐसे समय जब पाकिस्तान के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम कम हो रहे हैं, पूर्णदास हाल ही में अध्यात्मक संगीत के लिए समा इंटरनेशनल उत्सव से वापस लौटे हैं जहां उन्होंने पाकिस्तान के कव्वाली गायकों बादर और बहादुर अली खान के साथ काम किया.

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