Rabindranath Tagore Jayanti 2022: रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं, जिन्होंने प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ बंगाली साहित्य और संगीत के साथ-साथ भारतीय कला को भी नया रूप दिया. बहुमुखी प्रतिभा के धनी, प्रसिद्ध कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, चित्रकार और नाटककार रवींद्रनाथ टैगोर की 7 मई को जयंती मनाई जाती है. बता दें कि रवींद्रनाथ टैगोर की काव्यरचना गीतांजलि के लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize in Literature) से सम्मानित किया गया था. टैगोर नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय (first non-European) शख्स थे. नोबेल पुरस्कार संगठन (Nobel Prize Organisation) द्वारा साझा किए गए एक पोस्ट के मुताबिक, 13 नवंबर, 1913 को टैगोर को पहले गैर-यूरोपीय साहित्य पुरस्कार विजेता के रूप में घोषित किया गया था.
रवींद्रनाथ टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी पुकारा जाता है. गुरुदेव वह केवल कहने मात्र के लिए नहीं थे, बल्कि उनके विचार, उनका ज्ञान एक गुरु की तरह की लोगों को मार्गदर्शन आज भी कर रहा है. रवींद्रनाथ टैगोर साहित्य के उन महान आचार्यों में से एक हैं, जिनके कामों ने शायद ही किसी मानवीय भावना को अछूता छोड़ा हो.
'गीतांजलि' के परिचय में, जिसके लिए रवींद्रनाथ टैगोर ने नोबेल पुरस्कार जीता, डब्ल्यूबी येट्स ने लिखा, 'हम लंबी किताबें लिखते हैं, जहां किसी भी पृष्ठ में शायद लेखन को आनंददायक बनाने के लिए कोई गुण नहीं होता है, जैसे हम लड़ते हैं और पैसा कमाते हैं. करने में सभी नीरस बातें, जबकि टैगोर, भारतीय सभ्यता की तरह ही, आत्मा की खोज करने और खुद को उसकी सहजता के लिए आत्मसमर्पण करने के लिए संतुष्ट थे.'
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इंस्टाग्राम पोस्ट (Instagram post) के कमेंट सेक्शन (comments section) में कई लोगों ने रवींद्रनाथ टैगोर को श्रद्धांजलि (tributes to Rabindranath Tagore) दी, जबकि अन्य ने उनके कुछ और प्रसिद्ध कार्यों को उद्धृत किया. रवींद्रनाथ टैगोर ने 'गीतांजलि नामक काव्यसंग्रह की रचना की, जिसके अंग्रेजी अनुवाद ने पूरी दुनिया में प्रसिद्धि प्राप्त की. इनके द्वारा लिखी गई ज्यादातर कविताएं स्वतंत्रता आंदोलन और देशभक्ति जैसे विषयों पर आधारित होती थी.'
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रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने पूरे जीवन काल में करीब दो हजार गीतों की रचनी की है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि किशोर कुमार के द्वारा गाया गया गीत 'छू कर मेरे मन को' रवींद्रनाथ टैगोर की ही रचनाओं से प्रेरित थी. उनकी भाषा-शैली पर भी अच्छी खासी पकड़ थी.
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