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रोटी गोल ही क्यों होती है, चौकोर या त्रिकोण क्यों नहीं? जान लीजिए इसके पीछे की कहानी

रोटी का गोल आकार सिर्फ परंपरा नहीं है. बल्कि इसके पीछे तर्क, विज्ञान से जुड़ी लंबी कहानी जुड़ी है. गोल रोटी बनाने में आटे की बर्बादी नहीं होती है. जब लोग चौकोर रोटी बनाने की कोशिश करते हैं, तो किनारे काटने पड़ते हैं. गोल रोटी में आटा पूरी तरह इस्तेमाल हो जाता है.

रोटी गोल ही क्यों होती है, चौकोर या त्रिकोण क्यों नहीं? जान लीजिए इसके पीछे की कहानी
गोल रोटी तवे पर रखने से हर हिस्सा लगभग बराबर गर्मी पाता है.

Why Roti Is Always Round: रोटी हमारे रोज के खाने का सबसे आम हिस्सा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रोटी हमेशा गोल ही क्यों होती है. चौकोर या त्रिकोण रोटी भी तो बन सकती है, फिर सदियों से गोल रोटी ही क्यों चली आ रही है. गांव से लेकर शहर तक, अमीर से गरीब तक, हर घर में रोटी का आकार लगभग एक जैसा ही होता है. ये सिर्फ आदत या परंपरा नहीं है, बल्कि इसके पीछे तर्क, विज्ञान से जुड़ी लंबी कहानी जुड़ी है. रोटी का गोल होना बेलने से लेकर पकाने तक कई काम आसान बना देता है. यही वजह है कि समय के साथ ये आकार सबसे ज्यादा अपनाया गया और आज तक बना हुआ है.

बेलने की सबसे आसान तरीका (Easy Rolling Process)

रोटी बेलते समय आटा जब गोल लोई के रूप में होता है, तो बेलन घुमाने से वो अपने आप गोल फैलता जाता है. अगर लोई को चौकोर या त्रिकोण बनाया जाए, तो कोने फटने लगते हैं और मोटाई बराबर नहीं रहती. गोल आकार में दबाव हर तरफ बराबर पड़ता है, जिससे रोटी पतली और स्मूद बनती है. यही वजह है कि घर की रसोई में गोल रोटी सबसे आसान मानी जाती है.

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तवे पर बराबर पकती है रोटी (Even Cooking On Tawa)

गोल रोटी तवे पर रखने से हर हिस्सा लगभग बराबर गर्मी पाता है. कोने नहीं होने की वजह से कोई भाग जल्दी जलता नहीं है. चौकोर या त्रिकोण रोटी के कोने पहले सूख सकते हैं. गोल रोटी फुलने में भी मदद करती है और उस पर फुलका बनाना आसान होता है.

कम मेहनत और कम बर्बादी (Less Effort And Less Waste)

गोल रोटी बनाने में आटे की बर्बादी नहीं होती है. जब लोग चौकोर रोटी बनाने की कोशिश करते हैं, तो किनारे काटने पड़ते हैं. गोल रोटी में आटा पूरी तरह इस्तेमाल हो जाता है. यही कारण है कि पुराने समय में जब अनाज की कद्र ज्यादा थी, तब गोल रोटी ज्यादा प्रचलित हुई.

परंपरा और आदत का असर (Tradition And Habit)

पीढ़ी दर पीढ़ी लोग वही तरीका अपनाते रहे जो आसान और टिकाऊ था. बच्चों ने बड़ों को गोल रोटी बनाते देखा और वही सीखा. धीरे धीरे ये एक सामान्य आदत बन गई. इसी आदत ने गोल रोटी को हमारी थाली का हिस्सा बना गया है.

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