What is Pregnancy Tourism: क्या आपने प्रेग्नेंसी टूरिज्म के बारे में सुना है? आपको ये शब्द सुनकर थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन इन दिनों लद्दाख के गाँव से जुड़ी प्रेग्नेंसी टूरिज्म की कहानी काफी अनोखी और विवादित है. यह सामान्य टूरिज्म से बिल्कुल अलग है और इसकी सच्चाई एक अफवाह और लोककथा के बीच सुनाई देती है. चलिए जानते हैं इसकी क्या है सच्चाई.
प्रेग्नेंसी टूरिज्म क्या होता है?
आम तौर पर प्रेग्नेंसी टूरिज्म (Pregnancy Tourism) का मतलब है, गर्भवती महिलाओं का किसी दूसरे देश में जाकर बच्चे को जन्म देना. इसके पीछे मुख्य कारण बच्चे को उस देश की नागरिकता (Citizenship) दिलाना होता है, ताकि उसे बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ मिल सकें. यह अक्सर अमेरिका या कनाडा जैसे देशों में देखा जाता है.
ये कहानी है लद्दाख का 'आर्यन वैली' और टूरिज्म की
लद्दाख में कारगिल से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित कुछ गांव, जैसे डाह-हानू, बियामा और गारकोन, सामूहिक रूप से आर्यन वैली के नाम से जाना जाता हैं. यहां रहने वाले समुदाय को ब्रोकपा (Brokpa/Drokpa) कहते हैं.
क्यों आती हैं विदेशी महिलाएं?
ब्रोकपा समुदाय के लोग खुद को सिकंदर महान की सेना के सैनिकों का वंशज मानते हैं, जो ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में भारत आए थे और यहीं बस गए. उनका मानना है कि उनकी नस्ल (Race) दुनिया में बची हुई है जो आखिरी शुद्ध आर्य नस्ल है. कहानियों के मुताबिक, यूरोप, खासकर जर्मनी की कुछ महिलाएं यहां ब्रोकपा पुरुषों से संबंध बनाने के मकसद से आती हैं. इन महिलाओं का मानना है कि ब्रोकपा पुरुषों से बच्चा पैदा करने पर, उनके बच्चे को शुद्ध आर्य जेनेटिक्स मिलेंगे.
क्या है इस दावे की सच्चाई?
इस प्रेग्नेंसी टूरिज्म के कोई वैज्ञानिक या आधिकारिक प्रमाण नहीं हैं. स्थानीय निवासियों और रिसर्चर का मानना है कि यह ज्यादातर कहानियां अफवाहों पर आधारित है. कुछ रिपोर्ट्स में 2006 से पहले इक्का-दुक्का मामले सामने आने की बात कही गई थी, लेकिन इसके बाद ऐसे किसी बड़े मामले की पुष्टि नहीं हुई है.
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