Mystery of Petra: पीएम मोदी इस समय जॉर्डन में हैं, यहां क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला II ने भारत के प्रधानमंत्री का खास तरीके से सम्मान किया. युवराज पीएम मोदी को खुद कार ड्राइव करके जॉर्डन संग्रहालय तक ले गए. पीएम मोदी सोमवार, 15 दिसंबर को किंग अब्दुल्ला II के निमंत्रण पर दो दिवसीय यात्रा पर जॉर्डन पहुंचे हैं. इस खास बातचीत में पीएम में जॉर्डन के सबसे खूबसूरत शहर पेट्रा का जिक्र किया, ये शहर शायद आपके लिए बस एक छोटा सा शहर हो लेकिन इस शहर की कहानी काफी रहस्यमई है और भारत से भी पेट्रा का संबंध रहा है. आज पीएम मोदी ने जब इस शहर का जिक्र किया तो आपको इस मशहूर शहर की कहानी जरूर जाननी चाहिए.
दुनिया से गायब हो चुका पेट्रा शहर?
पेट्रा (Petra), जिसे 'गुलाब शहर' (Rose City) भी कहा जाता है, जॉर्डन में स्थित एक प्राचीन और रहस्यमय शहर है. यह अपनी अनूठी वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है, जहां पूरी की पूरी इमारतें विशाल बलुआ पत्थर की चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं. हालांकि यह शहर 'गायब' नहीं हुआ है, लेकिन 14वीं शताब्दी में इसे छोड़ दिया गया था और यह पश्चिमी दुनिया के लिए 1812 तक भुला दिया गया था. पेट्रा को लगभग 300 ईसा पूर्व में नाबातियन (Nabataean) लोगों ने बसाया था.
पेट्रा एशिया और यूरोप के बीच फैले प्राचीन सिल्क रूट (रेशम मार्ग) और अन्य व्यापारिक मार्गों के चौराहे पर स्थित था. नाबातियन लोग इस क्षेत्र से गुजरने वाले धूप (Incense), मसाले, इत्र, सोना और कीमती पत्थरों के व्यापार को कंट्रोल करते थे और उनसे भारी कर वसूलते थे.
भारत के साथ भी था व्यापारिक संबंध
भारत और पेट्रा के बीच संबंध अरब प्रायद्वीप के जरिए से होने वाले मसाले और धूप के व्यापार पर के कारण थे. भारतीय उपमहाद्वीप से आने वाले मसाले (जैसे काली मिर्च, दालचीनी), सूती वस्त्र और कीमती पत्थर मध्य पूर्व और भूमध्यसागरीय क्षेत्र तक पहुंचाए जाते थे. इन वस्तुओं को अक्सर अरब सागर के रास्ते और फिर मध्य पूर्व के आंतरिक मार्गों से पेट्रा तक लाया जाता था.भारत से आने वाला माल पेट्रा में जमा होता था और फिर उसे आगे रोमन साम्राज्य और यूरोपीय बाजारों तक पहुंचाया जाता था.
क्यों गायब हो गया ये शहर
इतिहासकारों का मानना है कि लगभग 363 ईस्वी में एक बड़े भूकंप ने पेट्रा को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. साथ ही रोमन साम्राज्य ने समुद्री मार्गों के विकास को बढ़ावा दिया, जिससे पेट्रा का स्थलीय व्यापार के रास्ते धीरे-धीरे महत्व खोने लगे. व्यापार कम होने के बाद, शहर को 14वीं शताब्दी तक लगभग पूरी तरह से छोड़ दिया गया था. इसे 1812 में स्विस खोजकर्ता जोहान लुडविग बर्कहार्ट ने फिर से खोजा, जिसके बाद यह दुनिया के सामने आया.
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