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पीएम मोदी ने लिया जॉर्डन में जिस शहर का नाम, वो पेट्रा अचानक कहां गायब हो गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जॉर्डन दौरे ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान उस रहस्यमय शहर की ओर खींच लिया है, जो पूरी तरह चट्टानों के अंदर तराशा गया है. दुनिया के सात अजूबों में शामिल पेट्रा न सिर्फ इतिहास की धरोहर है, बल्कि आज भी अपने कई राज जमीन के नीचे छिपाए हुए है.

पीएम मोदी ने लिया जॉर्डन में जिस शहर का नाम, वो पेट्रा अचानक कहां गायब हो गया
PM मोदी के जॉर्डन दौरे के साथ फिर चर्चा में आया 'गुलाबों का शहर' पेट्रा, जो आज भी दुनिया से छिपा है

Petra City Jordan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जॉर्डन विजिट के साथ ही भारत में जॉर्डन और उसकी ऐतिहासिक विरासत को लेकर चर्चा तेज हो गई है. इसी कड़ी में सबसे ज्यादा जिस नाम ने लोगों का ध्यान खींचा है, वह है पेट्रा. जॉर्डन में स्थित यह प्राचीन शहर दुनिया के नए सात अजूबों में शामिल है और इसे 'गुलाबों का शहर' और 'खोया हुआ शहर' भी कहा जाता है. PM मोदी का यह दौरा केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में भी अहम माना जा रहा है. ऐसे में पेट्रा जैसे ऐतिहासिक स्थल की चर्चा भारत में और ज्यादा प्रासंगिक हो जाती है.

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चट्टानों में तराशा गया अनोखा शहर (A City Carved Entirely from Rock)

पेट्रा दुनिया का इकलौता ऐसा शहर माना जाता है, जो पूरी तरह से गुलाबी-लाल बलुआ पत्थरों को काटकर बनाया गया है. पुरातत्वविदों के अनुसार, इस शहर की स्थापना 321 ईसा पूर्व में हुई थी. पहली शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास पेट्रा एक समृद्ध व्यापारिक केंद्र बन चुका था. आज भी चौंकाने वाली बात यह है कि पेट्रा का केवल 15 प्रतिशत हिस्सा ही दुनिया के सामने आया है. बाकी शहर अब भी जमीन के नीचे छिपा हुआ है, जिसे लेकर वैज्ञानिक और इतिहासकार लगातार रिसर्च कर रहे हैं.

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क्यों कहलाया 'खोया हुआ शहर' (Why Petra Is Called the Lost City)

चौथी शताब्दी में आए एक भीषण भूकंप ने पेट्रा को लगभग उजाड़ दिया था. धीरे-धीरे यह शहर इतिहास के पन्नों में खो गया. 1812 में स्विस खोजकर्ता जोहान्स बर्कहार्ट ने इसे दोबारा दुनिया के सामने पेश किया. इसके बाद से ही पेट्रा को 'द लॉस्ट सिटी' कहा जाने लगा. 1985 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया और 2007 में पेट्रा को ताजमहल, चीन की महान दीवार और माचू पिच्चू जैसे अजूबों के साथ 'न्यू सेवन वंडर्स ऑफ द वर्ल्ड' की सूची में शामिल किया गया.

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पेट्रा पर क्या बोले पीएम मोदी (PM Modi Jordan Tour)

पीएम मोदी ने कहा, 'व्यापार की दुनिया में आंकड़ों का अपना महत्व होता है, लेकिन हम यहां केवल आंकड़े गिनने नहीं आए हैं. हमारा लक्ष्य दीर्घकालिक और भरोसेमंद साझेदारी बनाना है.' उन्होंने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया कि एक समय था जब पेट्रा के व्यापारिक मार्गों के जरिए गुजरात से यूरोप तक कारोबार होता था. प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले समय की समृद्धि के लिए भारत और जॉर्डन को अपने प्राचीन व्यापारिक रिश्तों को फिर से जीवित करना होगा.

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अल-खजनेह: खजाना जो असल में मकबरा है (Al-Khazneh: The Famous Treasury Tomb)

पेट्रा की सबसे प्रसिद्ध संरचना अल-खजनेह है, जिसे आमतौर पर 'खजाना' कहा जाता है. देखने में यह किसी शाही खजाने जैसी लगती है, लेकिन असल में यह नाबातियन सभ्यता का एक मकबरा था. नाबातियन लोग परलोक में विश्वास करते थे और अपने मृतकों के लिए भव्य कब्रें बनवाते थे. पेट्रा में करीब 1000 से ज्यादा कब्रें मौजूद हैं, जो इसे 'कब्रों का शहर' भी बनाती हैं.

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सिक मार्ग और बाइबिल से जुड़ा रिश्ता (The Siq Path and Biblical Connection)

पेट्रा का प्रवेश द्वार 'सिक' नाम के एक संकरे रास्ते से होता है, जिसकी लंबाई करीब 1.2 किलोमीटर है. ऊंची चट्टानों के बीच बना यह मार्ग खुद में एक अद्भुत अनुभव है. पेट्रा वाडी मूसा घाटी में स्थित है, जिसे मूसा से जोड़ा जाता है. इसी कारण इसका बाइबिल से भी संबंध माना जाता है, जो इसे धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से और महत्वपूर्ण बनाता है.

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प्राचीन व्यापार मार्ग का बड़ा केंद्र (A Major Ancient Trade Hub)

पेट्रा कभी ग्रीस को दक्षिण एशिया से जोड़ने वाला अहम व्यापारिक केंद्र था. यहां से भारतीय मसाले, चीनी रेशम और अरबी धूप अफ्रीका और यूरोप तक पहुंचती थी. यही वजह है कि पेट्रा केवल एक शहर नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार इतिहास का अहम हिस्सा रहा है. मोदी के जॉर्डन दौरे के साथ पेट्रा की चर्चा भारत में इसलिए भी अहम है, क्योंकि यह भारत-मध्य पूर्व के प्राचीन सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों की याद दिलाती है. साथ ही, यह दिखाता है कि हजारों साल पहले भी भारत वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा था. पेट्रा केवल पत्थरों से बना शहर नहीं, बल्कि इंसानी सभ्यता, व्यापार और विश्वास का जीवंत उदाहरण है. मोदी के जॉर्डन विजिट ने इस ऐतिहासिक धरोहर को फिर से चर्चा में ला दिया है. आज भी पेट्रा का बड़ा हिस्सा दुनिया की नजरों से छिपा है, और शायद यही रहस्य इसे आने वाले समय में और भी खास बना देगा.

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