
Bird Hit Test: हाल ही में हमने गुजरात के अहमदाबाद में प्लेन क्रैश की घटना देखी, जिसमें 270 लोगों की मौत हो गई थी. फिलहाल फ्यूल स्विच बंद होने को इस क्रैश का कारण बताया जा रहा है. इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए एयरलाइन कंपनियों की तरफ से तमाम तरह के टेस्ट किए जाते हैं. सबसे ज्यादा जांच विमान के इंजन की होती है. ऐसा ही एक टेस्ट चिकन टेस्ट भी होता है, जिसमें प्लेन के इंजन की तरफ मुर्गे फेंके जाते हैं.
बर्ड हिट से बचने के लिए टेस्ट
अब भले ही आपको ये थोड़ा अजीब लग रहा हो, लेकिन ये बिल्कुल सच है. कई कंपनियों की तरफ से अपने विमानों की जांच करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसका कारण बर्ड हिट से होने वाले हादसों से बचना है. कई ऐसे मामले देखे गए हैं, जिनमें एक पक्षी के टकराने से इंजन में आग लग गई या फिर विंडशील्ड में दरार आ गई. इसी से बचने के लिए प्लेन में कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं.
कैसे होता है चिकन टेस्ट?
प्लेन के इंजन की क्षमता को जांचने के लिए एक खास जगह पर ये चिकन टेस्ट किया जाता है. इसमें एक गन होती है, जो कई किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से किसी भी चीज को फायर कर सकती है. इसमें जिंदा चिकन डालकर प्लेन की तरफ फायर किया जाता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि प्लेन जब उड़ान भरता है तो उसकी रफ्तार काफी ज्यादा होती है, ऐसे में जिस रफ्तार से पक्षी के टकराने की संभावना होती है, उसी रफ्तार से चिकन को प्लेन की तरफ फेंका जाता है.
इंजन से जब तेज रफ्तार से आने वाला मुर्गा टकराता है तो उसकी क्षमता की जांच होती है, देखा जाता है कि इंजन को इससे कितना और क्या नुकसान पहुंचा है. साथ ही इस दौरान इस बर्ड हिट से निपटने के उपाय भी खोज लिए जाते हैं. इसी तरह प्लेन की विंडशील्ड पर भी मुर्गे फेंके जाते हैं, जिससे ये पता चल पाए कि वो कितनी मजबूत है. अगर सब कुछ ठीक हुआ तो प्लेन टेस्ट में पास हो जाता है और उड़ान के लिए तैयार रहता है. कई बार जिंदा मुर्गे की बजाय इसमें जिलेटिन बॉल या नकली पक्षी का इस्तेमाल भी होता है.
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