Goa Liberation Day: हर साल की तरह इस साल भी गोवा लिब्रेशन डे मनाया जा रहा है. 19 दिसंबर को ही गोवा को मुक्त कराया गया था और भारतीय सेना ने इस पर कब्जा किया था. भारत के आजाद होने के बाद भी गोवा को आजादी नहीं मिली थी, कई कोशिशों के बावजूद भी गोवा में मौजूद पुर्तगाली वहां से जाने के लिए तैयार नहीं हुए और फिर भारतीय सेना ने एक ऑपरेशन लॉन्च किया. इस ऑपरेशन के शुरू होने के कुछ ही घंटे बाद पुर्तगालियों को भारतीय सेना की ताकत का एहसास हुआ और उन्होंने सरेंडर कर दिया. आज हम आपको बताएंगे कि गोवा पर मुगल और अंग्रेजों का शासन क्यों नहीं था और इस इलाके पर वो कब्जा क्यों नहीं कर पाए.
गोवा में कैसे घुसे पुर्तगाली?
गोवा पहले भारत का ही हिस्सा हुआ करता था, लेकिन बाद में पुर्तगाल ने इस पर कब्जा कर लिया. 16वीं सदी में गोवा एक बड़ा बंदरगाह हुआ करता था, जहां से कई तरह के व्यापार होते थे. सबसे ज्यादा व्यापार मसालों और अनाज का होता था. उस दौर में गोवा में बीजापुर सुल्तानों का शासन चलता था, लेकिन उनकी ताकत ज्यादा नहीं थी. इसी बात का फायदा पुर्तगालियों ने उठाया और गोवा पर कब्जा कर लिया.
व्यापार के बहाने से गोवा पहुंचे पुर्तगाली
पुर्तगाली पहले व्यापार करने के बहाने गोवा में आए और उन्होंने हर कमजोर कड़ी की पहचान की. इसके बाद पूरी प्लानिंग के साथ गोवा पर हमला बोल दिया गया और इस बंदरगाह को पूरी तरह से घेर लिया. पुर्तगालियों की तोपों और गोला बारूद के सामने बीजापुर सल्तनत ने घुटने टेक दिए और ऐसे गोवा पर पुर्तगाल का कब्जा हो गया. कब्जा करने के बाद पुर्तगालियों ने गोवा में चर्च और स्कूल खोले, साथ ही यहां की संस्कृति में अपनी कई चीजों को मिला दिया.
क्यों कब्जा नहीं कर पाए मुगल और अंग्रेज?
भारत पर राज करने वाले मुगलों और अंग्रेजों ने भी गोवा पर कब्जा नहीं किया, इस दौर में भी गोवा में पुर्तगालियों की ही सत्ता चलती रही. दरअसल मुगलों का ज्यादा ध्यान उत्तर भारत और बाकी जमीनी इलाकों पर था, उन्होंने ऐसी सल्तनतों पर कब्जा किया, जो उनके लिए काफी फायदे का सौदा थीं. यही वजह है कि गोवा की तरफ उनका ध्यान नहीं गया. इसी तरह अंग्रेजों की बात करें तो उनके पुर्तगाल के साथ अच्छे संबंध थे, ऐसे में उन्होंने दुश्मनी लेने की बजाय व्यापार का हाथ बढ़ाया और गोवा तक रेल नेटवर्क का विस्तार किया. इस तरह गोवा को पुर्तगालियों के ही कब्जे में रखा गया.
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गोवा की आजादी की लड़ाई
1947 में देश की आजादी के बाद तमाम रियासतों को भारत में शामिल कराया गया. गोवा में मौजूद पुर्तगालियों से भी संपर्क किया गया और कहा गया कि वो इस क्षेत्र को भारत में शामिल करे. हालांकि पुर्तगालियों ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि गोवा पुर्तगाल का हिस्सा है. इसी दौरान गोवा को मुक्त कराने के लिए वहां रहने वाले लोगों ने भी आंदोलन शुरू कर दिए.
सेना ने संभाला मोर्चा
गोवा में सुलगती आजादी की आग और पुर्तगाली सरकार के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बीच भारतीय सेना ने 1961 में ऑपरेशन विजय शुरू किया. भारत की तीनों सेनाओं ने मिलकर पुर्तगाली सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और महज 36 घंटे में ये युद्ध खत्म हो गया. गोवा के साथ सेना ने दमन और दीव पर भी कब्जा कर लिया. पुर्तगाली गवर्नर ने सेना के आगे सरेंडर कर दिया और 19 दिसंबर 1961 को गोवा मुक्त हो गया.
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