दिल्ली के जीबी रोड का नाम सुनते ही जहन में किसी बदनाम गली का ख्याल आने लगता है. ये दिल्ली का एक पुराना हार्डवेयर मार्केट है, लेकिन इसे लोग रेड लाइट एरिया के नाम से ज्यादा जानते हैं. ये राजधानी दिल्ली का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है, जहां सैकड़ों की संख्या में महिलाएं रहती हैं. यहां मौजूद अलग-अलग कोठों में महिलाएं अपना जिस्म बेचकर पैसा कमाती हैं. आज हम आपको बताएंगे कि दिल्ली का जीबी रोड मुगलों के दौर में कैसा था और यहां क्या होता था. साथ ही जीबी रोड की फुल फॉर्म के बारे में भी आपको बताएंगे.
मुगलों के दौर का जीबी रोड
कहा जाता है कि मुगलों के दौर में भी जीबी रोड में वो महिलाएं रहती थीं, जिन्हें जिस्म बेचने के लिए छोड़ दिया जाता था. मुगल बादशाह शाहजहां के हरम से जिन महिलाओं को बाहर किया गया था, उन्हें यहां पनाह दी गई थी. यानी मुगलों के जमाने में ये जगह हरम से निकाली गई बुजुर्ग महिलाओं का ठिकाना हुआ करती थी.
दिल्ली में उस वक्त कई छोटे रेड लाइट एरिया हुआ करते थे, लेकिन बाद में अंग्रेजों ने जीबी रोड में ही सभी रेड लाइट एरिया की महिलाओं को रखने का फैसला किया. इसके बाद से ही जीबी रोड एक बदनाम सड़क के तौर पर मशहूर हो गई.
क्या है जीबी रोड का पूरा नाम?
जीबी रोड का पूरा नाम गारस्टिन बास्टियन रोड है, इसे कुछ लोग श्रद्धानंद मार्ग के नाम से भी जानते हैं. ये नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के नजदीक मौजूद एक बड़ा बाजार है और यही सड़क आगे जाकर चांदनी चौक और चावड़ी बाजार से मिलती है. अजमेरी गेट से लेकर लाहौरी गेट के बीच मौजूद सड़क को लोग जीबी रोड के नाम से जानते हैं. इस सड़क के दोनों तरफ नीचे हार्डवेयर का बड़ा मार्केट है, वहीं ऊपर साढ़ियों में जाकर रेड लाइट एरिया बना हुआ है, जहां जिस्म का कारोबार होता है.
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