जीतन राम मांझी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बिहार के अल्पकालिक मुख्यमंत्री रहे जीतन राम मांझी तो आपको याद ही होंगे। जी हां, ये वही जीतन राम मांझी हैं, जो कभी नीतीश कुमार के लिए एक तरह से चुनौती ही बन गए थे।
मांझी को भी लालू की ही तरह उनके अंदाजे बयां के लिए जाना जाता है, लेकिन मांझी के साथ उनके अटपटे बयान ज्यादा जुड़े रहते हैं। जीतन राम मांझी अचानक ही चर्चा में आ गए जब 20 मई 2014 को वह बिहार के मुख्यमंत्री बने।
महादलित मुसहर समुदाय से आते हैं मांझी
जीतन राम मांझी का जन्म 6 अक्टूबर 1944 को बिहार के गया जिले में हुआ। उनके पिता का नाम रामजीत राम मांझी हैं, जो खेतिहर मजदूर थे। उन्होंने गया कॉलेज से 1966 में स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की। वो महा दलित मुसहर समुदाय से आते हैं। 1966 में मांझी ने क्लर्क की नौकरी करना आरम्भ किया और 1980 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। मांझी की पत्नी का नाम शान्ति देवी है और उनके दो बेटे और पांच बेटियां हैं।
नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में कदम रखा
नौकरी छोड़ने के बाद मांझी ने राजनीति में कदम रखा और 1980 में पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद वो 1990 और 1996 में भी विधायक चुने गये। 2005 में बाराचट्टी से बिहार विधानसभा के लिए चुने गये। 1983 से 1985 तक वो बिहार सरकार में उपमंत्री रहे, 1985 से 1988 तक एवं पुनः 1998 से 2000 तक राज्यमंत्री रहे। 2008 में उन्हें केबिनेट मंत्री चुना गया। मुख्यमंत्री बनने के 10 महीनों के बाद पार्टी ने उनसे नितीश कुमार के लिये पद छोड़ने को कहा। ऐसा न करने के कारण उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। 20 फरवरी 2015 को बहुमत साबित न कर पाने के कारण उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया।
इसके बाद उन्होंने हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा(हम) नाम से अपनी खुद की पार्टी बना ली। पहले तो वो बिना किसी से गठबंधन किए ही चुनाव मैदान में उतरने वाले थे लेकिन बाद वो एनडीए में शामिल हो गए।
बिहार में दलित वोटरों के बीच मांझी की अच्छी पैठ मानी जाती है। यह देखना दिलचस्प होगा की इस बार विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही उनकी पार्टी कितनी सीटों पर जीत दर्ज कर पाती है।
मांझी को भी लालू की ही तरह उनके अंदाजे बयां के लिए जाना जाता है, लेकिन मांझी के साथ उनके अटपटे बयान ज्यादा जुड़े रहते हैं। जीतन राम मांझी अचानक ही चर्चा में आ गए जब 20 मई 2014 को वह बिहार के मुख्यमंत्री बने।
महादलित मुसहर समुदाय से आते हैं मांझी
जीतन राम मांझी का जन्म 6 अक्टूबर 1944 को बिहार के गया जिले में हुआ। उनके पिता का नाम रामजीत राम मांझी हैं, जो खेतिहर मजदूर थे। उन्होंने गया कॉलेज से 1966 में स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की। वो महा दलित मुसहर समुदाय से आते हैं। 1966 में मांझी ने क्लर्क की नौकरी करना आरम्भ किया और 1980 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। मांझी की पत्नी का नाम शान्ति देवी है और उनके दो बेटे और पांच बेटियां हैं।
नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में कदम रखा
नौकरी छोड़ने के बाद मांझी ने राजनीति में कदम रखा और 1980 में पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद वो 1990 और 1996 में भी विधायक चुने गये। 2005 में बाराचट्टी से बिहार विधानसभा के लिए चुने गये। 1983 से 1985 तक वो बिहार सरकार में उपमंत्री रहे, 1985 से 1988 तक एवं पुनः 1998 से 2000 तक राज्यमंत्री रहे। 2008 में उन्हें केबिनेट मंत्री चुना गया। मुख्यमंत्री बनने के 10 महीनों के बाद पार्टी ने उनसे नितीश कुमार के लिये पद छोड़ने को कहा। ऐसा न करने के कारण उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। 20 फरवरी 2015 को बहुमत साबित न कर पाने के कारण उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया।
इसके बाद उन्होंने हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा(हम) नाम से अपनी खुद की पार्टी बना ली। पहले तो वो बिना किसी से गठबंधन किए ही चुनाव मैदान में उतरने वाले थे लेकिन बाद वो एनडीए में शामिल हो गए।
बिहार में दलित वोटरों के बीच मांझी की अच्छी पैठ मानी जाती है। यह देखना दिलचस्प होगा की इस बार विधानसभा चुनाव में 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही उनकी पार्टी कितनी सीटों पर जीत दर्ज कर पाती है।
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