अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के घटनास्थल पर तैनात सुरक्षा बल के जवान.
- सवाल- आखिर इतनी रात को बस को कैसे गुजरने दिया गया
- नियम तोड़ने के बावजूद किसी भी नाके पर बस को रोका क्यों नहीं गया
- सुरक्षाबलों को सतर्क रहने की हिदायत के बाद भी कैसे हुई वारदात
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नई दिल्ली:
अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के 24 घंटे बीतने को आए हैं लेकिन न तो सुरक्षा बल अपनी चूक की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं और न ही आतंकी संगठन. आम कश्मीरी का समर्थन खोने के डर से आतंकी जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं.
अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर हमले का जिम्मेदार लश्कर का अबू इस्माइल ही है. पीओके का रहने वाला इस्माइल पिछले साल ही कश्मीर आया है. खासकर सड़क पर आतंकी वारदातों को अंजाम देने में उसको महारत हासिल है. खुफिया जानकारी के मुताबिक इस हमले को चार आतंकियों ने अंजाम दिया. हमला मात्र 40 सेकेंड में हुआ और दोनों ओर से फायरिंग की गई. आतंकी हमला करने के बाद आतंकी भाग गए. सड़क किनारे दोनों ओर रिहाइशी इलाका है और उसमें गलियां हैं. यात्रियों पर हमले के खिलाफ आम कश्मीरी भी होते हैं. इस वजह से अपनी जमीन खोने के डर से आतंकी जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं.
इस मामले में सबसे बड़ी चूक बस को लेकर हुई. आखिर इतनी रात को बस को कैसे गुजरने दिया गया. किसी भी नाके पर उसे रोका क्यों नहीं गया. हर नाके पर पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात होते हैं. अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले वाहनों के लिए यह सख्त निर्देश हैं कि वे शाम सात बजे के बाद नेशनल हाईवे पर सफर न करें और इस समय से पहले भी सफर सुरक्षाबलों के साथ ही करें. दूसरी बात सड़क पर सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ और पुलिस की होती है. साथ में सेना के जवान भी होते हैं. इस बार करीब पौने चार सौ केंद्रीय पुलिस बल के जवान और सेना की पांच बटालियनों के जवान तैनात हैं. इसके अलावा पुलिस के जवान तैनात हैं. शाम को जब सीआरपीएफ के जवान रोड की ड्यूटी खत्म करके लौटते हैं तो उसके बाद मोबाइल पार्टी यानि बख्तरबंद गाड़ी से पेट्रोलिंग की जाती है. आतंकियों ने इसी का फायदा उठाया. खबर यह भी है कि आतंकियों को पहले ही पता लग गया था कि इस बस में यात्री हैं जो बिना सुरक्षा के चल रह हैं.
बड़ी बात यह है कि 25 जून को कश्मीर पुलिस के आईजी की चिट्ठी में साफ लिखा है कि यत्रियों को आतंकी निशाना बना सकते हैं. इस चिट्ठी की कॉपी एनडीटीवी इंडिया के पास है. उसमें साफ कहा गया है कि सुरक्षाबलों को अलर्ट रहने की जरूरत है. फिर कैसे यह सब हो गया, यह गंभीर प्रश्न है.
अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर हमले का जिम्मेदार लश्कर का अबू इस्माइल ही है. पीओके का रहने वाला इस्माइल पिछले साल ही कश्मीर आया है. खासकर सड़क पर आतंकी वारदातों को अंजाम देने में उसको महारत हासिल है. खुफिया जानकारी के मुताबिक इस हमले को चार आतंकियों ने अंजाम दिया. हमला मात्र 40 सेकेंड में हुआ और दोनों ओर से फायरिंग की गई. आतंकी हमला करने के बाद आतंकी भाग गए. सड़क किनारे दोनों ओर रिहाइशी इलाका है और उसमें गलियां हैं. यात्रियों पर हमले के खिलाफ आम कश्मीरी भी होते हैं. इस वजह से अपनी जमीन खोने के डर से आतंकी जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं.
इस मामले में सबसे बड़ी चूक बस को लेकर हुई. आखिर इतनी रात को बस को कैसे गुजरने दिया गया. किसी भी नाके पर उसे रोका क्यों नहीं गया. हर नाके पर पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात होते हैं. अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले वाहनों के लिए यह सख्त निर्देश हैं कि वे शाम सात बजे के बाद नेशनल हाईवे पर सफर न करें और इस समय से पहले भी सफर सुरक्षाबलों के साथ ही करें. दूसरी बात सड़क पर सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ और पुलिस की होती है. साथ में सेना के जवान भी होते हैं. इस बार करीब पौने चार सौ केंद्रीय पुलिस बल के जवान और सेना की पांच बटालियनों के जवान तैनात हैं. इसके अलावा पुलिस के जवान तैनात हैं. शाम को जब सीआरपीएफ के जवान रोड की ड्यूटी खत्म करके लौटते हैं तो उसके बाद मोबाइल पार्टी यानि बख्तरबंद गाड़ी से पेट्रोलिंग की जाती है. आतंकियों ने इसी का फायदा उठाया. खबर यह भी है कि आतंकियों को पहले ही पता लग गया था कि इस बस में यात्री हैं जो बिना सुरक्षा के चल रह हैं.
बड़ी बात यह है कि 25 जून को कश्मीर पुलिस के आईजी की चिट्ठी में साफ लिखा है कि यत्रियों को आतंकी निशाना बना सकते हैं. इस चिट्ठी की कॉपी एनडीटीवी इंडिया के पास है. उसमें साफ कहा गया है कि सुरक्षाबलों को अलर्ट रहने की जरूरत है. फिर कैसे यह सब हो गया, यह गंभीर प्रश्न है.
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