जेएलएफ की शुरुआत दिग्गी पैलेस में जाने-माने गीतकार गुलजार की कविता से हुई...
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 - इस बार उत्सव का विषय है- 'द फ्रीडम टू ड्रीम: इंडिया एट 70'.
 - वसुंधरा राजे ने कहा, 'जेएलएफ की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ी है'.
 
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                                        जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) की शुरुआत यहां के डिग्गी पैलेस में जाने-माने गीतकार गुलजार की कविता से हुई.
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गुलजार, अमेरिकी कवि एन्ने वाल्डमैन और आध्यात्मिक लेखक साधगुरू की मौजूदगी में पांच दिनों तक चलने वाले समारोह की शुरुआत की, जिसका विषय है- 'द फ्रीडम टू ड्रीम: इंडिया एट 70'. इस दौरान वसुंधरा राजे ने कहा, 'जेएलएफ की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ी है और इसकी नकल में दूसरे उत्सव भी शुरू हुए हैं जो अच्छी बात है'. मुख्यमंत्री ने डिजिटलीकरण की कई योजनाओं को भी सूचीबद्ध किया, जिसमें जल संरक्षण और स्वास्थ्य बीमा, बच्चियों के लिए शिक्षा आदि शामिल हैं.
बॉलीवुड के कई कर्णप्रिय गाने लिखने वाले गुलजार ने भीड़ में लेखक बनने की चाहत रखने वालों को संबोधित किया और उनसे कहा कि खुद से सवाल पूछें कि उनकी लेखनी से जनता और समाज पर क्या असर होगा.
उन्होंने कहा, 'यह पूछना महत्वपूर्ण है कि कोई क्यों लिखता है. खुद से पूछना चाहिए कि क्या आत्मसंतोष के लिए लिख रहे हैं या खुद या समाज को मूर्ख बनाने के लिए लिख रहे हैं. समाज की संपूर्ण अंतररात्मा को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता'. उन्होंने समारोह के आयोजकों की उनके 'अथक' कार्य के लिए प्रशंसा की और कहा कि युवा लेखकों को प्रोत्साहित करने में साहित्य उत्सव का 'बड़ा योगदान' है. उन्होंने उनसे प्रति वर्ष भारतीय लेखकों पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की.
उन्होंने कहा, 'उन्हें क्षेत्रीय भाषा कहना गलत है. वे सभी राष्ट्रीय भाषा हैं और उन्हें पर्याप्त महत्व दिया जाना चाहिए'. उत्सव में नियमित आने वाले और दर्शकों के आकषर्ण का केंद्र गुलजार इस वर्ष उर्दू पर एक सत्र में हिस्सा लेंगे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गुलजार, अमेरिकी कवि एन्ने वाल्डमैन और आध्यात्मिक लेखक साधगुरू की मौजूदगी में पांच दिनों तक चलने वाले समारोह की शुरुआत की, जिसका विषय है- 'द फ्रीडम टू ड्रीम: इंडिया एट 70'. इस दौरान वसुंधरा राजे ने कहा, 'जेएलएफ की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ी है और इसकी नकल में दूसरे उत्सव भी शुरू हुए हैं जो अच्छी बात है'. मुख्यमंत्री ने डिजिटलीकरण की कई योजनाओं को भी सूचीबद्ध किया, जिसमें जल संरक्षण और स्वास्थ्य बीमा, बच्चियों के लिए शिक्षा आदि शामिल हैं.
बॉलीवुड के कई कर्णप्रिय गाने लिखने वाले गुलजार ने भीड़ में लेखक बनने की चाहत रखने वालों को संबोधित किया और उनसे कहा कि खुद से सवाल पूछें कि उनकी लेखनी से जनता और समाज पर क्या असर होगा.
उन्होंने कहा, 'यह पूछना महत्वपूर्ण है कि कोई क्यों लिखता है. खुद से पूछना चाहिए कि क्या आत्मसंतोष के लिए लिख रहे हैं या खुद या समाज को मूर्ख बनाने के लिए लिख रहे हैं. समाज की संपूर्ण अंतररात्मा को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता'. उन्होंने समारोह के आयोजकों की उनके 'अथक' कार्य के लिए प्रशंसा की और कहा कि युवा लेखकों को प्रोत्साहित करने में साहित्य उत्सव का 'बड़ा योगदान' है. उन्होंने उनसे प्रति वर्ष भारतीय लेखकों पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की.
उन्होंने कहा, 'उन्हें क्षेत्रीय भाषा कहना गलत है. वे सभी राष्ट्रीय भाषा हैं और उन्हें पर्याप्त महत्व दिया जाना चाहिए'. उत्सव में नियमित आने वाले और दर्शकों के आकषर्ण का केंद्र गुलजार इस वर्ष उर्दू पर एक सत्र में हिस्सा लेंगे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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                                        जयपुर साहित्य उत्सव, गुलजार, जयपुर, वसुंधरा राजे, Jaipur, Jaipur Literature Festival 2017, Gulzar, Vasundhara Raje