हरियाणा ने दिल्ली के हक का 120 MGD पानी रोक लिया है, इसके चलते नदी सूख गई है. पानी लगभग 7.5 फीट नीचे चला गया है. स्केल पर एक फुट भी पानी कम होता है तो दिल्ली में त्राहिमाम हो जाता है. हरियाणा की सरकार से कहना चाहूंगा कि दिल्लीवालों के हक का पानी मत मारो, यह हमारा अधिकार है.1965 के बाद पहली बार वजीराबाद बैराज पर यमुना नदी का स्तर इतना गिरा है. हरियाणा जान-बूझकर पानी नहीं छोड़ रहा. हरियाणा और हिमाचल में नदी का स्तर पहले जैसा ही है, अच्छा खासा है- सेंट्रल, वेस्ट और साउथ दिल्ली में जल संकट है. सेंट्रल दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास भी आता है. राष्ट्रपति भवन भी आता है सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट भी आते हैं और जजों के घर आते हैं. अंतरराष्ट्रीय दूतावास आता है. हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट बहुत जल्द कार्रवाई करेगा.
गौरतलब है कि दिल्ली में जल संकट के बीच पानी को लेकर एक बार फिर केजरीवाल और हरियाणा सरकार के मध्य ठन गई है. दिल्ली जल बोर्ड के वाइस चेयरमैन राघव चड्ढा का आरोप है कि हरियाणा सरकार ने यमुना नदी द्वारा दिल्ली भेजे जाने वाले पानी में कटौती की है. पानी के मुद्दे पर जल बोर्ड के वाइस चेयरमैन राघव चड्ढा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा कि दिल्ली में भीषण गर्मी है, मॉनसून भी डिले है और कोरोना काल में पानी बेहद महत्वपूर्ण है. दिल्ली पानी के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहती है. आप विधायक ने कहा, "आज दिल्ली पर जल संकट मंडरा रहा है, जिसके पाप और दोष की ज़िम्मेदार हरियाणा है. हरियाणा ने यमुना नदी से दिल्ली आने वाले पानी में भारी कटौती कर दी है. दिल्ली में 100 MGD (मिलियन गैलन प्रति दिन) पानी का प्रोडक्शन कम हो गया है. दिल्ली में पानी का कुल प्रोडक्शन 920 MGD होती था, जो रिकॉर्ड 945 MGD तक पहुंच गयी थी. हरियाणा की खट्टर सरकार दिल्ली में पानी के संकट के लिए ज़िम्मेदार है.
उन्होंने कहा कि चंद्रवाल वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट(WTP) में प्रोडक्शन 90 MGD से घटकर 55 MGD रह गया है. वज़ीराबाद WTP में उत्पादन 135 से घटकर 80 MGD और ओखला WTP में 20 से घटकर 15 MGD रह गया है. हरियाणा सरकार के निकम्मेपन की वजह से नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर, अंतरराष्ट्रीय दूतावास और सेंट्रल दिल्ली, वेस्ट दिल्ली में पानी की सप्लाई बाधित हुई है. हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय पानी दिल्ली को नहीं दे रही है.
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