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This Article is From Jul 26, 2015

अगर उसको बेकसूर नहीं माना जाता, तो भी उसे जीने दें : याकूब की पत्नी

अगर उसको बेकसूर नहीं माना जाता, तो भी उसे जीने दें : याकूब की पत्नी
मुंबई: मुंबई में 1993 के बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की पत्नी ने न्यायपालिका और सरकार से अपील की है कि वे नरमी बरतते हुए उनकी पति की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दें।

याकूब मेमन को आगामी 30 जुलाई को नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी दिया जाना तय किया गया है। उसकी सुधारात्मक याचिका को बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। न्यायालय फांसी पर रोक संबंधी उसकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा। याकूब ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के पास नए सिरे से दया याचिका दायर की है।

रहीन ने कहा कि उसका मानना है कि उसका पति बेकसूर है तथा उसने अपनी मर्जी से अधिकारियों के समक्ष समर्पण किया था। उसने कहा कि अगर उसके पति को उम्रकैद की सजा काटने के लिए कहा जाता है, तो उसे खुशी होगी।

याकूब की पत्नी ने कहा, मेरा निजी तौर पर मानना है कि वही इंसान समर्पण करता है, जो बेकसूर होता है। लेकिन अगर वे उसको बेकसूर नहीं मानते हैं, तो उनको इस बारे में विचार करना चाहिए कि इस व्यक्ति ने समर्पण किया है और कुछ नरमी दिखानी चाहिए।

रहीन ने दावा किया कि बम धमाकों के बाद मेमन परिवार भारत से नहीं भागा था, बल्कि विस्फोट से पहले ही ईद मनाने के लिए यहां से दुबई चला गया था। उसने कहा, मेरी बेटी अपने पिता के साथ एक दिन भी नहीं रही। वह इंतजार कर रही है कि उसके पिता घर आएं, ताकि उनके साथ उसे समय गुजारने का मौका मिले।

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