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This Article is From Dec 17, 2016

सिंधु जल समझौते में कोई भी बदलाव किसी भी सूरत में बर्दाश्‍त नहीं : पाकिस्‍तान की भारत को धमकी

सिंधु जल समझौते में कोई भी बदलाव किसी भी सूरत में बर्दाश्‍त नहीं : पाकिस्‍तान की भारत को धमकी
नवाज शरीफ (फाइल फोटो)
इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान ने कहा है कि सिंधु जल समझौते में किसी भी प्रकार के बदलाव या संशोधन को वह स्‍वीकार नहीं करेगा. इस संबंध में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के स्‍पेशल असिस्‍टेंट तारिक फातमी ने 'डॉन' अखबार से कहा, ''पाकिस्‍तान सिंधु जल समझौते के प्रावधानों में किसी भी प्रकार के परिवर्द्धन या बदलाव को पाकिस्‍तान स्‍वीकार नहीं करेगा...और उस समझौते की पूरी भावना का सम्‍मान किया जाना चाहिए.''

पाकिस्‍तान का यह बयान ऐसे वक्‍त पर आया है जब भारत ने इस संधि के क्रियान्‍वयन के संबंध में पाकिस्‍तान के साथ किसी भी तरह के मतभेद को द्विपक्षीय ढंग से सुलझाने की वकालत की है.

इस संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता विकास स्‍वरुप ने गुरुवार को कहा किशनगंगा जैसे प्रोजेक्‍टों के मामले में उनको ऐसी कोई वजह नहीं दिखती कि पाकिस्‍तान द्वारा तकनीकी डिजाइनों को लेकर उठाई गई आपत्तियों का निराकरण दोनों पक्षों के विशेषज्ञ नहीं कर सकते. उन्‍होंने यह भी कहा था कि भारत का मानना है कि इस तरह के विमर्श के लिए पर्याप्‍त समय दिया जाना चाहिए.

डॉन की खबर के मुताबिक भारत द्वारा और समय दिए जाने के अनुरोध से पाकिस्तान के कान खड़े हो गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया, ''इस्लामाबाद का कहना है कि भारत इस रणनीति को पहले भी अपना चुका है. विवाद के दौरान परियोजना को पूरा कर लो और फिर यह दबाव बनाओ की चूंकि परियोजना पहले ही पूरी हो चुकी है इसलिए इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता.''  

वर्ष 1960 में हुए इस समझौते में सिंधु नदी घाटी में स्थित तीन पूर्वी नदियों - ब्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण भारत को दिया गया है जबकि तीन पश्चिमी नदियों - सिंधु, चेनाब और झेलम पाकिस्तान को मिलीं. आईडब्ल्यूटी के तहत स्थायी सिंधु आयोग की व्यवस्था बनाई गई जिसमें दोनों देशों का एक-एक आयुक्त है.

वर्तमान विवाद किशनगंगा (330 मेगावॉट) और राटले (850 मेगावॉट) जलविद्युत संयंत्रों को लेकर है. भारत किशनगंगा और चेनाब नदियों पर संयंत्रों का निर्माण कर रहा है जिसे पाकिस्तान आईडब्ल्यूटी का उल्लंघन बताता है.

पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की ओर होने वाले जल बहाव को रोकने की धमकी दी थी जिसके बाद जल विवाद को लेकर तनाव और बढ़ गया था.

सिंधु नदी जल समझौते (आईडब्ल्यूटी) में प्रस्तावित प्रक्रिया को दोनों पक्ष पहले ही पूरा कर चुके हैं. आयोग से इसे ''विवाद'' घोषित किए जाने के बाद ही दोनों ने विश्व बैंक का दरवाजा खटखटाया था. एक विशेषज्ञ ने कहा, ''पहले से चूक चुकी प्रक्रिया में इसे फिर से घसीटने का कोई मतलब नहीं है.''

डॉन न्यूज के मुताबिक, ''पाकिस्तान इसमें पंचाट का दखल चाहता है क्योंकि विवाद के तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर विचार करने का अधिकार केवल उसी अदालत को है. निष्पक्ष विशेषज्ञ केवल तकनीकी पहलुओं पर ही विचार कर सकेंगे.'' पाकिस्तान का कहना है कि भारत की दोनों परियोजनाओं की डिजाइन समझौते के कानूनी और तकनीकी पहलुओं का उल्लंघन करती है. हालांकि भारत ने मध्यस्थता अदालत के गठन के पाकिस्तान के प्रयासों का विरोध किया है.

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