- उत्तरी पाकिस्तान में अचानक आई बाढ़ में 300 से ज्यादा की मौत हुई, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में भारी तबाही हुई.
- बुनार इलाके में 208 से ज्यादा लोगों की मौत और 10 से 12 पूरे गांव बाढ़ में दब गए हैं, कई लोग लापता हैं.
- पाकिस्तान में हर दो साल में विनाशकारी बाढ़ आती है, जिससे भारी आर्थिक नुकसान और मानव जीवन की हानि होती है.
भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में रविवार को हजारों की तादाद में बचावकर्मियों ने बारिश और घुटनों तक कीचड़ से जूझते हुए, अचानक आई बाढ़ के बाद जीवित बचे लोगों की तलाश में विशाल चट्टानों के नीचे से घरों को खोद डाला है. उत्तरी पाकिस्तान में आई बाढ़ में कम से कम 344 लोगों की मौत हो गई है. ज्यादातर मौतें खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुईं, जहां आने वाले दिनों में मॉनसून की बारिश और भी बदतर होने की संभावना है. और भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि सिर्फ 48 घंटे यानी दो दिन में ये मौतें हो गई हैं. बड़ा सवाल यही है कि आखिर पाकिस्तान में हर साल बाढ़ क्यों इतनी तबाही मचाती है?
हर साल बाढ़ में जान गंवाते लोग
मॉनसून की बारिश से आई बाढ़ और भूस्खलन में खैबर के कई घर नष्ट हो गए. एक क्षेत्रीय बचाव कर्मी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया है कि सबसे ज्यादा असर बुनार इलाके में पड़ा है जहां पर कम से कम 208 लोगों की मौत हो गई है. सिर्फ इतना ही नहीं 10 से 12 पूरे के पूरे गांव दब गए हैं. वहीं एक पूरे जिले के 250 से ज्यादा लोग गायब हैं.
साइंस मैगजीन नेचर की इस साल मई में आई रिपोर्ट में कहा गया था कि ग्लोबल स्तर पर भले ही कार्बन उत्सर्जन मामले में पाकिस्तान का योगदान बेहद कम हो लेकिन फिर भी यह कभी गंभीर सूखे तो कभी खतरनाक मॉनसूनी बारिश जैसी जलवायु संबंधी आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मुल्क में बाढ़ में खासा इजाफा हुआ है. साल 2010 फिर 2011, 2014, 2016, 2018, 2019 में हर बार देश ने विनाशकारी बाढ़ को झेला है.
🚨 Pakistan Floods
— GlobeUpdate (@Globupdate) August 16, 2025
320+ dead after torrential rains & flash floods
Hardest-hit: Buner (157 deaths), Swat, Bajaur, Battagram, Shangla, Mansehra, Gilgit-Baltistan & AJK
Rescue ops hampered by washed-out roads & a crashed aid helicopter#Pakistan #flooding #FloodAlert #DeFi pic.twitter.com/lBXTmvybk3
बंगाल की खाड़ी के तूफान हैं काल
साल 2022 में भी पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ आई जिसमें 33 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए और देश को 40 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ. एक रिसर्च में आए नतीजे बताते हैं कि 2022 का मॉनसून, निम्न-दबाव प्रणालियों से ते हुआ तो वहीं 1990-2020 के बीच औसत बारिश 7 से 8 गुना ज्यादा हुई. मॉनसून में 2100 से ज्यादा नालों में बाढ़ आई 177 बांध टूटे. अकेले बलूचिस्तान में, इन बांधों के असफल होने की वजह से 80 से 85 फीसदी आर्थिक नुकसान हुआ.
पाकिस्तान में, बंगाल की खाड़ी से आने वाले तूफानों से प्रेरित मॉनसून का मौसम, विशेष तौर पर पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और गिलगित बाल्टिस्तान जैसे क्षेत्रों में बाढ़ की काफी चुनौतियां लेकर आता है. साल 2022 में आई बाढ़ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. पाकिस्तान ने 1950 से अब तक 31 विनाशकारी बाढ़ों का अनुभव किया है, जो लगभग हर दो साल में आती हैं और इसकी वजह से भारी आर्थिक और मानवीय क्षति होती है. देश में हर साल बाढ़ की वजह से कई लाख डॉलर का आर्थिक नुकसान होता है और करीब 500 से ज्यादा मौतें होती हैं.
विशेषज्ञ बरसे सरकार पर
यह सच है कि पाकिस्तान असल में जलवायु जोखिमों का सामना कर रहा है. लेकिन कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि लंबे समय से चली आ रही सरकार की विफलताओं और खराब नीतिगत निर्णयों के कारण यह संकट और भी बदतर हो गया है. हाल ही में हुई कई घटनाओं में, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में नागरिकों की मौत का कारण नदी के किनारे अवैध रूप से बनाए गए घरों का निर्माण और अचानक आई बाढ़ में खराब तरीके से बने घर बह गए.
यूएन-हैबिटेट की 2023 की एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान में अव्यवस्थित अर्बन प्लानिंग की समस्या को उजागर किया है. इसमें खुलासा किया गया है कि गांवों से शहरों की तरफ तेजी से हो रहे पलायन के कारण आवास की भारी कमी के कारण झुग्गियां बड़ी हो गई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अधूरी मांग के कारण 50 फीसदी से ज्यादा शहरी आबादी झुग्गी-झोपड़ियों या कच्ची आबादी नामक अनौपचारिक बस्तियों में रहने को मजबूर है.
'पाकिस्तान एक सुधार विरोध समाज'
पाकिस्तान के जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि क्लाइमेट चेंज एक गंभीर चिंता का विषय तो है ही लेकिन सरकारी निष्क्रियता ने इसके प्रभाव को और बढ़ा दिया है. इस्लामाबाद में क्लाइमेट एक्सपर्ट अली तौकीर शेख ने अल-जजीरा को दिए इंटरव्यू में कहा, 'आप जो नुकसान देख रहे हैं वह दरअसल निष्क्रियता की कीमत है.' उन्होंने आगे कहा कि कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए रिवर बेड पर घर बनते जा रहे हैं. ऐसे में यह मॉनसून की बारिश का दोष कैसे हो सकता है? शेख ने कहा कि पाकिस्तान में शहरी नियोजन की कमी और तैयारियों के अभाव ने लोगों को कई तरह के खतरों के प्रति संवेदनशील बना दिया है, जिनमें नदी की बाढ़, शहरी बाढ़ और भीषण गर्मी शामिल हैं.
उनका कहना है कि मंत्रियों और बाकी अधिकारियों की तरफ से किए गए तमाम बड़े-बड़े दावों के बावजूद2022 की बाढ़ के बाद सरकार की ओर से किए गए एक भी नीतिगत सुधार की याद नहीं. साथ ही संवेदनशील क्षेत्रों में समुदायों की तैयारी बढ़ाने के लिए आंतरिक-केंद्रित सुधारों का पूरी तरह से अभाव है. उन्होंने पाकिस्तान को एक सुधार-विरोधी समाज करार दिया है. उनकी मानें तो पाकिस्तान कोई भी ऐसा बदलाव नहीं करना चाहता जो प्रकृति में बड़े स्तर पर हो और यह रवैया सिर्फ कमजोरियों को बढ़ाता है.
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