पणजी:
गोवा में 60 साल की एक महिला की क्यासानुर फॉरेस्ट डिजीज (केएफडी) से मौत हो गई। केएफडी को सामान्य तौर पर मंकी फीवर कहा जाता है और राज्य में इस साल मंकी फीवर से मौत का यह पहला मामला है। राज्य के महामारी विशेषज्ञ डॉ उत्कर्ष बेटोडकर ने संवाददाताओं को बताया कि मृतक जानकी देसाई का यहां गोवा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जीएमसीएच) में इलाज चल रहा था और रविवार को उसकी मौत हो गई।
राज्य में म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य से लगे उत्तर पूर्वी हिस्से के सत्तारी तालुका के अंतर्गत आने वाले मौक्सी, जरमेन, कोपोर्डेम, बुद्रक, करमाली और सलेली गांवों में यह बुखार फैला हुआ है। उन्होंने बताया कि मौक्सी में रहने वाली देसाई को बुखार की शिकायत होने पर 11 जनवरी को वालपोई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। उसे 13 जनवरी को जीएमसीएच में स्थानांतरित कर दिया गया।
बेटोडकर ने बताया कि सत्तारी से अब तक 24 मरीजों की मंकी फीवर संबंधी जांच के नतीजे पॉजिटिव आए हैं और इन लोगों का इलाज किया जा रहा है। राज्य में पिछले साल बिचोलिम तालुका के पाले गांव में पहली बार मंकी फीवर का पता चला था और चार लोगों की इससे जान चली गई थी।
स्वास्थ्य मंत्री फ्रांसिस डिसूजा ने पूर्व में राज्य विधानसभा में कहा था कि सरकार ने इन गांवों में टीकाकरण अभियान चलाया है लेकिन प्रतिक्रिा उत्साहजनक नहीं है। केएफडी वायरस की वजह से होने वाला हीमोरेज बुखार है जो दक्षिण एशिया में फैलता है।
भारत में 1957 में पहली बार कर्नाटक के क्यासानुर वन में इस बीमारी के होने की खबर आई थी। इसके बाद बंदर इसकी चपेट में आए और कई की जान चली गई। तब से बीमारी को स्थानीय लोग ‘‘मंकी फीवर’’ कहने लगे।
राज्य में म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य से लगे उत्तर पूर्वी हिस्से के सत्तारी तालुका के अंतर्गत आने वाले मौक्सी, जरमेन, कोपोर्डेम, बुद्रक, करमाली और सलेली गांवों में यह बुखार फैला हुआ है। उन्होंने बताया कि मौक्सी में रहने वाली देसाई को बुखार की शिकायत होने पर 11 जनवरी को वालपोई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था। उसे 13 जनवरी को जीएमसीएच में स्थानांतरित कर दिया गया।
बेटोडकर ने बताया कि सत्तारी से अब तक 24 मरीजों की मंकी फीवर संबंधी जांच के नतीजे पॉजिटिव आए हैं और इन लोगों का इलाज किया जा रहा है। राज्य में पिछले साल बिचोलिम तालुका के पाले गांव में पहली बार मंकी फीवर का पता चला था और चार लोगों की इससे जान चली गई थी।
स्वास्थ्य मंत्री फ्रांसिस डिसूजा ने पूर्व में राज्य विधानसभा में कहा था कि सरकार ने इन गांवों में टीकाकरण अभियान चलाया है लेकिन प्रतिक्रिा उत्साहजनक नहीं है। केएफडी वायरस की वजह से होने वाला हीमोरेज बुखार है जो दक्षिण एशिया में फैलता है।
भारत में 1957 में पहली बार कर्नाटक के क्यासानुर वन में इस बीमारी के होने की खबर आई थी। इसके बाद बंदर इसकी चपेट में आए और कई की जान चली गई। तब से बीमारी को स्थानीय लोग ‘‘मंकी फीवर’’ कहने लगे।
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