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हंगामे में खो गए जनता के सवाल, संसद के शीत सत्र में सबसे कम काम का बन गया रिकॉर्ड

संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ था, 26 दिनों के इस सत्र में 19 बैठकें हुईं, लोकसभा में पांच सरकारी विधेयक पेश किए गए और चार विधेयक पारित किए गए

हंगामे में खो गए जनता के सवाल, संसद के शीत सत्र में सबसे कम काम का बन गया रिकॉर्ड
संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया.
नई दिल्ली:

अठारहवीं लोकसभा का तीसरा सत्र शुक्रवार को संपन्न हो गया. इस शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा की 20 बैठकें हुईं, जो 62 घंटे तक चलीं. लोकसभा के इस सत्र के दौरान उत्पादकता 57.87% रही. सत्र के दौरान लोकसभा में पांच सरकारी विधेयक पेश किए गए और चार विधेयक पारित किए गए. शून्य काल के दौरान अविलंबनीय लोक महत्व के 182 मामले उठाए गए और नियम 377 के अंतर्गत 397 मामले उठाए गए. यह सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ था.

भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा 13 दिसंबर को शुरू हुई और 14 दिसंबर को समाप्त हुई.  शून्य काल के दौरान 61 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए और सदस्यों द्वारा अविलंबनीय लोक महत्व के 182 मामले उठाए गए. 

संसद में 28 नवंबर को दो नवनिर्वाचित सदस्यों ने शपथ ली थी. सत्र के दौरान, लोकसभा ने 17 दिसंबर, 2024 को आर्मेनिया गणराज्य की नेशनल असेंबली के प्रेसिडेंट एलेन सिमोनियन के नेतृत्व में वहां से आए संसदीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया.

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शीतकालीन सत्र में सबसे कम उत्पादकता 

लोक सभा का शीतकालीन सत्र अब तक के सभी सत्रों में सबसे कम उत्पादकता वाला रहा. लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 57% रही और राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी 43% रही. संविधान पर चार दिन चर्चा चली और बाकी समय शोरशराबा और हंगामा होता रहा. यह सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ था. 26 दिनों के इस सत्र में 19 बैठकें हुईं.

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संसद में कामकाज में लगातार काम में कमी आ रही है. पिछले 10 सत्रों के आंकडों से यही संकेत मिलते हैं. अठारहवीं लोकसभा के बजट सत्र में प्रोडक्टिविटी 135% रही. इस दौरान राज्यसभा में प्रोडक्टिविटी 112% रही थी. 17वीं लोकसभा में 274 बैठकें हुई थीं और 222 बिल पास हुए थे. अधिकांश बिल पेश होने के दो हफ्ते के भीतर पास हुए थे. इनमें से एक तिहाई बिल एक घंटे से भी कम समय में पास हो गए थे. केवल 16% बिल ही स्टैंडिंग कमेटी को भेजे गए थे. 17वीं लोकसभा ने केवल 1,354 घंटे काम किया गया. 15 में से 11 सत्र समय से पहले स्थगित किए गए.   

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संसद की बैठकों में लगातार कमी आ रही है. पहली लोकसभा में साल में 135 बैठकें हुई थीं जबकि पिछली लोकसभा में साल में केवल 55 बैठकें हुईं.  

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सांसदों के निलंबन का आंकड़ा भी बढ़ा है. पहली लोकसभा में एक सांसद का निलंबन हुआ था. आठवीं लोकसभा में 66, चौदहवीं लोकसभा में 50, सोलहवीं लोकसभा में 81 और सत्रहवीं लोकसभा में 115 सांसदों का निलंबन हुआ.

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संसद की गरिमा बनाए रखना सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी

अठारहवीं लोक सभा के तीसरे  सत्र के अंतिम दिन अपने समापन भाषण में  लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद की गरिमा और मर्यादा बनाए रखना सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि संसद के किसी भी द्वार पर धरना, प्रदर्शन करना उचित नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि यदि इसका उल्लंघन होता है तो संसद को अपनी मर्यादा और गरिमा बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने का अधिकार है. उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि उन्हें किसी भी दशा में नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए.

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