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This Article is From Feb 16, 2024

आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करेंगे : संयुक्त किसान मोर्चा

भारत के बंद को लेकर दिन के समय एक बयान में एसकेएम ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने वर्ष 2020-21 में धरना समाप्त करने के लिये किये गये वादों को पूरा न करके ‘‘ किसानों के मुद्दों पर माहौल खराब किया’’

आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करेंगे : संयुक्त किसान मोर्चा
नई दिल्ली:

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि वह आने वाले दिनों में आंदोलन तेज करेगा. एसकेएम ने कहा उनकी पंजाब इकाई 18 फरवरी को जालंधर में एक बैठक करेगी और इसके बाद घटनाक्रम की समीक्षा करने और भविष्य की रणनीति के लिए सुझाव देने के खातिर नयी दिल्ली में एनसीसी और आम सभा की बैठकें होंगी.

भारत के बंद को लेकर दिन के समय एक बयान में एसकेएम ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने वर्ष 2020-21 में धरना समाप्त करने के लिये किये गये वादों को पूरा न करके ‘‘ किसानों के मुद्दों पर माहौल खराब किया''

एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘एसकेएम ने आंदोलन तेज करने का फैसला किया है. श्रमिकों और अन्य सभी वर्गों के समन्वय के साथ बड़े पैमाने पर आह्वान करके आंदोलन को तेज किया जाएगा.''

इसमें कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी सरकार ने जानबूझकर किसानों के मुद्दों पर माहौल खराब किया है और लोगों को यह विश्वास दिलाया है कि वह सच्चे और ईमानदार हैं.'' एसकेएम ने सरकार द्वारा किए गए ‘‘वादों'' का भी जिक्र किया.

एसकेएम ने आरोप लगाया कि सात महीने बाद उन्होंने उन लोगों के साथ मिलकर एक गुट बनाया जो खुले तौर पर एमएसपी देने का विरोध कर रहे है और फसल विविधीकरण तथा शून्य बजट प्राकृतिक खेती को इनके एजेंडे में जोड़ा गया. यह भी आरोप लगाया, ‘‘ बातचीत के नाम पर अब वे लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए शंभू में प्रदर्शनकारियों के पास मंत्रियों को भेजकर वार्ता का मजाक बनाया जा रहा है और चर्चा के बिंदुओं और प्रगति को ‘गुप्त' रखे हुये हैं. इस तरह पूरे देश के किसानों को अंधेरे में रखा जा रहा है.''

संगठन ने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी सरकार की कॉर्पोरेट और सांप्रदायिक नीतियों के खिलाफ किसानों में कितना गुस्सा है, यह आज ग्रामीण भारत बंद में उनकी भारी भागदीगारी से साफ हो गया.'' एसकेएम ने यह भी दावा किया कि स्वतंत्र भारत में अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन रहा जिसमें इतनी संख्या में लोग शामिल हुये. इसने आगामी आम चुनावों से ठीक पहले लोगों की आजीविका के मुद्दे को राष्ट्रीय एजेंडे पर वापस लाने का काम किया है.

यह भी दावा किया, ‘‘ पंजाब में बंद का सबसे व्यापक असर देखने को मिला. अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीणा क्षेत्रों दुकानें, उद्योग, बाजार, शैक्षणिक संस्थान और सरकारी कार्यालय बंद रहे. बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और विरोध रैलियां आयोजित की गईं, जिसमें उत्साह के साथ लाखों लोगों ने भाग लिया.

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