निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के निवासियों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण को अनिवार्य करने वाले हरियाणा के कानून को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा रद्द किए जाने के कुछ घंटों बाद, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एनडीटीवी से कहा कि सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी.
चौटाला ने एक टेलीफोनिक साक्षात्कार में एनडीटीवी को बताया, "हम आदेश के ऑनलाइन होने का इंतजार कर रहे हैं. हम कानूनी उपाय करेंगे और इस आदेश पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
2021 में राज्यपाल ने रोजगार अधिनियम को दी थी सहमति
नवंबर 2020 में हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित और मार्च 2021 में राज्यपाल की सहमति प्राप्त हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार अधिनियम को जननायक जनता पार्टी के दिमाग की उपज के रूप में देखा गया था.
हरियाणा के मूल निवासी उम्मीदवारों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देना 2019 विधानसभा चुनावों के समय जननायक जनता पार्टी का एक प्रमुख चुनावी वादा था.
उपमुख्यमंत्री ने इस तथ्य पर ध्यान आकर्षित किया कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फरवरी 2022 में अधिनियम पर रोक लगा दी थी, लेकिन राज्य सरकार की अपील के कुछ दिनों बाद उच्चतम न्यायालय ने आदेश को रद्द कर दिया था.
चौटाला ने कहा कि उद्योग से परामर्श किया गया और उनके विचारों को शामिल किया गया.
उन्होंने कहा, "तकनीकी नौकरियां हटा दी गईं. अधिनियम गैर-तकनीकी नौकरियों के लिए था." उन्होंने कहा कि श्रमिकों को मासिक वेतन या 30,000 रुपये से कम वेतन दिया जाना था.
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