
- जंगली हाथियों की डीएनए आधारित गणना के अनुसार उनकी संख्या 22,446 है, जो पिछली गणना से 18 प्रतिशत कम है.
- सर्वेक्षण में 21,056 लीद के नमूने एकत्र कर आनुवंशिक विश्लेषण के माध्यम से हर हाथी की पहचान की गई है-
- पश्चिमी घाट में 11,934 हाथी पाए गए जो देश में सबसे अधिक हैं, इसके बाद उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र का स्थान है-
देश में जंगली हाथियों की पहली बार डीएनए आधारित गणना के मुताबिक उनकी संख्या 22,446 है, जो 2017 के 27,312 से करीब 18 प्रतिशत कम है. ऑल इंडिया सिंक्रोनस एलीफेंट एस्टिमेशन (एसएआईईई) 2025 के अनुसार भारत में जंगली हाथियों की संख्या 18,255 से 26,645 के बीच होने का अनुमान है, जिसका औसत 22,446 है. सरकार ने 2021 में सर्वेक्षण शुरू होने के लगभग चार साल बाद मंगलवार को लंबे समय से लंबित रिपोर्ट जारी की.
कैसे हुआ था पूरा सर्वे
अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट जारी करने में देरी जटिल आनुवंशिक विश्लेषण और आंकड़ों के सत्यापन के कारण हुई. वैज्ञानिकों ने हाथियों के विभिन्न क्षेत्रों से 21,056 लीद के नमूने एकत्र किए और डीएनए फिंगरप्रिंटिंग का उपयोग करके हर हाथी की पहचान की, ठीक वैसे ही जैसे मनुष्यों की पहचान उनके जेनेटिक कोड के माध्यम से की जाती है. कुल मिलाकर, इस अध्ययन में लगभग 6.7 लाख किलोमीटर लंबे वन पथों को शामिल किया गया और इसमें 3.1 लाख से अधिक लीद नमूना क्षेत्र शामिल थे.
वेस्टर्न घाट पर सबसे ज्यादा हाथी
रिपोर्ट में दिये गए क्षेत्रवार आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिमी घाट 11,934 हाथियों के साथ सबसे बड़ा गढ़ बना हुआ है, इसके बाद उत्तर पूर्वी पहाड़ी और ब्रह्मपुत्र का मैदान 6,559 हाथियों के साथ दूसरे स्थान पर हैं. रिपोर्ट के मुताबिक शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों में 2,062 हाथियों का निवास है, जबकि मध्य भारत और पूर्वी घाटों में 1,891 हाथी रहते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक कर्नाटक में सबसे अधिक 6,013 हाथियों का पर्यावास है, जिसके बाद असम (4,159), तमिलनाडु (3,136), केरल (2,785) और उत्तराखंड (1,792) का स्थान है. ओडिशा में 912 हाथी हैं, जबकि छत्तीसगढ़ और झारखंड में संयुक्त रूप से 650 से अधिक हाथी हैं. पूर्वोत्तर राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश (617), मेघालय (677), नगालैंड (252) और त्रिपुरा (153) में भी हाथियों की कुछ आबादी है.
सैटेलाइट मैप्स की भी ली मदद
रिपोर्ट के मुताबिक मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में, मध्यप्रदेश (97) और महाराष्ट्र (63) जैसे राज्यों में हाथियों के छोटे, खंडित झुंड हैं. पर्यावरण मंत्रालय, प्रोजेक्ट एलीफेंट और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया 2025 का यह सर्वेक्षण भविष्य की निगरानी और संरक्षण योजना के लिए एक नयी वैज्ञानिक आधार स्थापित करता है. नई गणना में जमीनी सर्वेक्षण, उपग्रह आधारित मानचित्रण और आनुवंशिक विश्लेषण को मिलाकर तीन चरणीय प्रक्रिया का उपयोग किया गया.
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