
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आधिकारिक ईमेल सेवा के रूप में जोहो मेल का उपयोग करना शुरू किया है.
- जोहो मेल वैश्विक स्तर पर माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसे दिग्गजों से प्रतिस्पर्धा कर रहा है और तेजी से बढ़ रहा है.
- भारत सरकार ने सुरक्षा, गोपनीयता और डेटा प्रबंधन के कड़े ऑडिट के बाद जोहो मेल को अपने प्लेटफॉर्म के लिए चुना.
जोहो मेल इस समय भारतीयों के बीच काफी चर्चा में है. पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी आधिकारिक तौर पर जोहो मेल पर स्चिव हो गए हैं. अब उनका आधिकारिक मेल आईडी भी जोहो का हो गया है. गृहमंत्री के जोहो पर स्विच होने के बाद इसके को-फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने भी इस पर भावुक और देशभक्ति से भरी प्रतिक्रिया दी. वेंबू ने पिछले दिनों NDTV प्रॉफिट को एक खास इंटरव्यू दिया है. इस इंटरव्यू में वेंबू ने जोहो को मेल को ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी करार दिया है. साथ ही साथ यह भी बताया कि सरकार ने जोहो को कैसे अपने प्लेटफॉर्म के लिए चुना और क्यों.
तेजी से बढ़ता प्रॉडक्ट
वेंबू ने कहा, 'जोहो मेल अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन चुका है. हम दुनिया भर से नए ग्राहक हासिल कर रहे हैं. दरअसल, हमारी कुल आय का करीब 90 फीसदी हिस्सा भारत के बाहर से ही आता है.' उन्होंने बताया कि जोहो मेल अब उनके सबसे तेजी से बढ़ते प्रॉडक्ट्स में शामिल हो गया है. उन्होंने कहा, 'हम माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसे दिग्गजों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और यही वजह है कि हमें लगातार नए ग्राहक मिल रहे हैं.'
मजबूत टेक्नोलॉजी सबसे ऊपर
उन्होंने आगे बताया कि कैसे भारत सरकार ने उन्हें चुना है. वेंबू ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'भारत में सरकार ने भी हमें बेहद सख्त प्रतियोगिता के बाद चुना. इस प्रक्रिया में सुरक्षा, गोपनीयता और डेटा सेंटर प्रैक्टिसेज के साथ हर पहलू पर 18 से ज्यादा ऑडिट किए गए. यही कारण है कि मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे पास बेहद मजबूत टेक्नोलॉजी है. वेंबू ने यह भी बताया कि अरात्ताई ऐप पर कॉल्स एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं और अगले कुछ हफ्तों में मैसेज भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के तहत सुरक्षित हो जाएंगे.
AI पर क्या बोले वेंबू
वेंबू ने जोहो के अलावा AI पर भी चर्चा की और चीन का जिक्र किया. वेंबू ने AI के बढ़ते क्रेज को लेकर चेताया है. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अपेक्षाएं आसमान नहीं बल्कि जमीनी होनी चाहिए और इनवेस्टमेंट रियलिस्टक यानी वास्तविकता के करीब होना चाहिए. इंटरव्यू में वेंबू ने कहा कि भले ही AI की संभावनाएं बहुत बड़ी हैं लेकिन अमेरिका में इस समय जो अति उत्साह देखा जा रहा है, वह पहले के डॉटकॉम और ई-कॉमर्स बबल्स जैसा ही लगता है. वेंबू ने कहा, 'मुझे AI टेक्नोलॉजी पर भरोसा है लेकिन मैं इस इनवेस्टमेंट बबल पर भरोसा नहीं करता.' उनका कहना था कि बिना मजबूत बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के AI में ट्रिलियन डॉलर का निवेश आखिर में एक ‘बस्ट' में बदल सकता है.
तैयार करना होगा इकोसिस्टम
वेंबू ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को AI की वास्तविक क्षमता का फायदा उठाने के लिए अपना सिलिकॉन और हार्डवेयर इकोसिस्टम डेवलप करना होगा. उन्होंने बताया कि चीन इस दिशा में पहले ही काफी आगे बढ़ चुका है. वेंबू का कहना था, 'AI कई और चीजों की नींव पर टिका है. भले ही हम AI सॉफ्टवेयर बना लें लेकिन जिस GPU या सिलिकॉन पर यह चलता है, वह सब हमें यहीं बनाना होगा. चीन ने यह कर दिखाया है. अब चीन के पास सिर्फ AI ही नहीं बल्कि वह सिलिकॉन भी है जिस पर यह चलता है. उन्होंने बेहतर चिप्स भी बना ली हैं जबकि भारत ने इस दिशा में केवल पिछले कुछ वर्षों में गंभीरता से काम शुरू किया है. प्रगति हो रही है, लेकिन इसमें अभी समय लगेगा.'
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