- बीजेपी ने बिहार के मंत्री और पांच बार के MLA नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है
- जेपी नड्डा को पहली बार साल 2019 में बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था
- नितिन नबीन की नियुक्ति एक अंतरिम व्यवस्था मानी जा रही है, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव मकर संक्रांति के बाद होगा
बीजेपी ने सोमवार को बिहार सरकार में मंत्री और पांच बार के विधायक नितिन नबीन को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर चौंकाने वाला कदम उठाया है. दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी के संविधान में कार्यकारी अध्यक्ष का कोई प्रावधान नहीं है. यह पद पहली बार जून 2019 में तब बनाया गया था जब अमित शाह मोदी सरकार में गृह मंत्री बने और उनकी सहायता के लिए जे.पी. नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
नड्डा करीब छह महीने तक इस पद पर रहे और 20 जून 2020 को औपचारिक रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. अब वही फॉर्मूला दोहराया गया है. सवाल उठता है नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष क्यों बनाया गया, सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों नहीं?
खर मास से पहले हुई नियुक्ति
बीजेपी नेताओं के मुताबिक यह एक अंतरिम व्यवस्था है. आज शाम से खर मास शुरू हो रहा है, जो 14 जनवरी मकर संक्रांति तक चलेगा. इस अवधि में कोई शुभ कार्य नहीं होता, इसलिए पार्टी ने उससे पहले ही नितिन नबीन की नियुक्ति कर दी. राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 14 जनवरी के बाद होने की संभावना है.
बीजेपी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम 50% राज्यों में संगठन चुनाव पूरे होने चाहिए. अभी तक 37 राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में से 30 में चुनाव संपन्न हो चुके हैं. जल्द ही यूपी में भी चुनाव हो जाएंगे उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है.
अध्यक्ष के चुनाव में लगते हैं 4 दिन
पार्टी सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया में कम से कम चार दिन लगते हैं. ऐसे में यह चुनाव जनवरी के अंत या फरवरी में हो सकता है. इसके बाद अप्रैल में बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नितिन नबीन के चयन पर औपचारिक मुहर लग सकती है.
गौरतलब है कि जे.पी. नड्डा भी 20 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे. पार्टी के भीतर यह भी चर्चा है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है. तब तक नितिन नबीन नड्डा के साथ संगठन का कामकाज संभालेंगे और रोजमर्रा की जिम्मेदारियों से परिचित होंगे. ठीक वैसे ही जैसे 2019 में नड्डा ने अमित शाह के साथ काम किया था.
नितिन नबीन की नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब बीजेपी को कई बड़े चुनावों की तैयारी करनी है. पार्टी चाहती है कि संगठनात्मक कामकाज में कोई रुकावट न आए और नेतृत्व का संक्रमण सुचारु रूप से हो.
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