कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge On Ghanshyan Tiwari) मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान काफी अहत हो गए. दरअसल बीजेपी सासंद घनश्यान तिवारी ने मल्लिकार्जुन खरगे के नाम पर कुछ टिप्पणी की थी, जिससे कांग्रेस अध्यक्ष आहत हो गए. उन्होंने जवाब में कहा कि मेरे पिता ने मेरा नाम बहुत ही सोच समझकर रखा था. वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने आश्वासन देते हुए कहा कि वह घनश्याम तिवारी के बयान को एक बार फिर से देखेंगे. हालांकि उनका मकसद खरगे को आहत करने का नहीं रहा होगा.
खरगे ने कहा कि उनका नाम उनके पिता ने सोच समझकर ही रखा है. उनके पिता चाहते थे कि 12 ज्योतिर्लिंग में से एक उनके बेटे का नाम हो. घनश्याम तिवारी को उनके नाम से क्या दिक्कत है, जो उन्होंने ऐसा बोला. उन्होंने परिवारवाद का भी आरोप लगाया, जबकि वह अपने परिवार से राजनीति में आने वाले पहले सदस्य हैं.
"मैं राजनीति में अपने परिवार की पहली जनरेशन"
घनश्याम तिवारी की टिप्पणी से आहत मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उनके माता-पिता राजनीति में नहीं थे.अगर वह सदन में निकालने लग जाएं तो पता चल जाएगा कि यहां कितने परिवारवाद ते उदाहरण बैठे हैं. खरगे ने कहा कि मेरी आंखों के सामने, यहां तक कि मेरे बाजू में, मेरे पीछे भी ऐसे लोग बैठे हैं.
"मैं इस माहौल मैं ज्यादा जिंदा रहना नहीं चाहता"
सदन में अपने पिता की बात करते-करते खरगे का गला भर आया. उन्होंने कहा कि उनकी मां के बाद उनका पालन-पोषण उनके पिता ने ही किया. आज वह जिस भी पोजिशन पर हैं, वह अपने पिता के आशीर्वाद की वजह से ही हैं. 95 नहीं 85 साल की उम्र में उनके पिता का भी निधन हो गया. खरगे इतने आहत हो गए कि कहने लगे "मैं इस माहौल मैं ज्यादा जिंदा रहना नहीं चाहता."
घनश्याम तिवारी ने क्या कहा?
खरगे ने सदन को बताया कि बीजेपी सांसद घनश्यान तिवारी ने कहा कि उनका नाम मल्लिकार्जुन है, जो कि शिव का नाम है. उनका नाम शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. तिवारी के इसी बयान पर मल्लिकार्जुन खरगे नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि ये नाम उनके पिता ने सोम समझकर ही रखा है. वह नहीं जानते कि घनश्यान तिवारी ने ऐसा क्यों कहा.
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