विज्ञापन

बंगाल में ‘नया ओवैसी’? हुमायूं कबीर ममता बनर्जी के लिए क्यों बन सकते हैं बड़ा सिरदर्द

TMC के निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने 22 दिसंबर को नई पार्टी लॉन्च करने का ऐलान कर दिया है. उनका दावा है कि वे लाखों समर्थकों की मौजूदगी में पार्टी बनाएंगे. ऐसे में कबीर का उदय ममता बनर्जी के लिए आने वाले महीनों का सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है.

बंगाल में ‘नया ओवैसी’? हुमायूं कबीर ममता बनर्जी के लिए क्यों बन सकते हैं बड़ा सिरदर्द
  • टीएमसी के निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने 22 दिसंबर को पश्चिम बंगाल में नई पार्टी लॉन्च करने का ऐलान किया है.
  • हुमायूं कबीर ने AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी से संवाद किया और बंगाल में ओवैसी जैसा नेता बनने का दावा किया है.
  • AIMIM ने कबीर के दावों को खारिज करते हुए उनकी राजनीति को संदिग्ध और भाजपा से मिलीभगत वाला बताया है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

क्या पश्चिम बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी के खिलाफ कोई नया राजनीतिक मोर्चा खड़ा हो रहा है? ये सवाल इसलिए जोर पकड़ रहा है क्योंकि टीएमसी के निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर ने 22 दिसंबर को नई पार्टी लॉन्च करने का ऐलान कर दिया है. उनका दावा है कि वे लाखों समर्थकों की मौजूदगी में पार्टी बनाएंगे.

कबीर ने साफ कहा है कि AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी से बात हो चुकी है और ओवैसी ने उन्हें 'तुम बंगाल के ओवैसी हो' तक कह दिया है. कबीर 10 दिसंबर को कोलकाता पहुंचेंगे और अपनी पार्टी की कमेटी का गठन करेंगे.

कबीर वही नेता हैं जिन्होंने पहले बाबरी मस्जिद की नींव रखकर सुर्खियां बटोरी थीं. अब वे दावा कर रहे हैं कि तैयारियां पूरी हैं और 22 दिसंबर को पार्टी की औपचारिक लॉन्चिंग होगी. इससे पहले वे AIMIM और अन्य दलों के साथ गठबंधन पर भी बयान दे चुके हैं और कहा था कि वे राज्य की 135 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.

AIMIM का सख्त इनकार- कबीर पर BJP से ‘मिलीभगत' का आरोप

लेकिन AIMIM ने कबीर के सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद असीम वकार ने तो यहां तक आरोप लगाया कि हुमायूं कबीर की राजनीति 'संदिग्ध' है और वे BJP से मिलीभगत के आरोपों से घिरे रहे हैं.

यह भी पढ़ें- वो हैदराबाद के ओवैसी, मैं बंगाल का ओवैसी... हुमायूं कबीर बोले 22 दिसंबर को लॉन्च करूंगा पार्टी

वकार ने कहा था कि मुस्लिम समुदाय उकसावे की राजनीति नहीं मानता. AIMIM सामाजिक विभाजन बढ़ाने वाले किसी भी व्यक्ति से दूरी रखती है. ओवैसी किसी ऐसे नेता से नहीं जुड़ सकते जो एकता को खतरे में डालने वाली राजनीति करता हो. यानी कबीर के लिए AIMIM की तरफ से फिलहाल सभी दरवाज़े बंद हैं.

TMC का मुस्लिम वोट बैंक खिसक रहा है?

इन सबके बीच ममता बनर्जी के लिए चुनौती इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि हालिया रिपोर्टें बताती हैं कि मुस्लिम वोट बैंक, जो अब तक टीएमसी का मजबूत आधार रहा है, उसमें दरार दिखने लगी है. मालदा, मुर्शिदाबाद, उत्तर बंगाल के हिस्से. इन मुस्लिम बहुल इलाकों में असंतोष को हवा देने में हुमायूं कबीर की भूमिका लगातार चर्चा में है. कांग्रेस-लेफ्ट पहले से कोशिश में थे, अब कबीर जैसे नए खिलाड़ी मैदान में उतरकर टीएमसी को मुस्लिम बहुल इलाकों में डिफेंसिव कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- गोवा हादसे के बाद दिल्ली सरकार अलर्ट, आसान होगी लाइसेंस प्रक्रिया, पर कोताही बर्दाश्त नहीं

क्या ममता के सामने नया सिरदर्द?

भले ही AIMIM हुमायूं कबीर से दूरी बनाए हुए है, लेकिन कबीर की नई पार्टी और ‘बंगाल का ओवैसी' वाला नैरेटिव टीएमसी की मुश्किलें बढ़ा सकता है. क्योंकि बंगाल में मुस्लिम वोटों का 27% हिस्सा किसी भी राजनीतिक दल के लिए सत्ता की राजनीति का निर्णायक फैक्टर है. 

कबीर का उदय इस वोट बैंक में सेंधमारी की शुरुआत माना जा रहा है और यही ममता बनर्जी के लिए आने वाले महीनों का सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com