प्रधानमंत्री का शेर बीजेपी को इतना चुभा कि सुषमा ने पहले शेर सुनाया और फिर आबरू का सवाल उठाया।
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नई दिल्ली:
कोल ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर विपक्ष के आक्रामक तेवरों के बीच अपनी चुप्पी पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक शेर पढ़ पर सफाई दी। इससे बौखलाई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेता और नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने पीएम की शायरी पढ़ अपनी भड़ास निकाली।
प्रधानमंत्री का शेर बीजेपी को इतना चुभा कि सुषमा ने पहले शेर सुनाया और फिर आबरू का सवाल उठाया।
लेकिन ये शेर पूरी तरह प्रधानमंत्री का नहीं है। सवाल है प्रधानमंत्री ऐसा शेर खोज कर कहां से लाए... किस शायर का है ये शेर...
ये शेर अयाज़ झांसवी नाम के शायर का है और कुछ इस तरह है... 'मेरे कलाम से बेहतर है मेरी ख़ामोशी न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली।'
प्रधानमंत्री ने बस थोड़े से हेर-फेर के साथ इसे अपना बना लिया। मेरे कलाम को हज़ारों जवाबों से ढंक दिया। ख़ामोशी अच्छी बनी रही।
वैसे अयाज़ झांसवी की मूल गज़ल के एक और शेर को आज की सियासत के आइने में पढ़ा जा सकता है −'दुआएं दीजिए बीमार के तबस्सुम को, मिज़ाज पूछने वालों की आबरू रख ली।'
प्रधानमंत्री का शेर बीजेपी को इतना चुभा कि सुषमा ने पहले शेर सुनाया और फिर आबरू का सवाल उठाया।
लेकिन ये शेर पूरी तरह प्रधानमंत्री का नहीं है। सवाल है प्रधानमंत्री ऐसा शेर खोज कर कहां से लाए... किस शायर का है ये शेर...
ये शेर अयाज़ झांसवी नाम के शायर का है और कुछ इस तरह है... 'मेरे कलाम से बेहतर है मेरी ख़ामोशी न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली।'
प्रधानमंत्री ने बस थोड़े से हेर-फेर के साथ इसे अपना बना लिया। मेरे कलाम को हज़ारों जवाबों से ढंक दिया। ख़ामोशी अच्छी बनी रही।
वैसे अयाज़ झांसवी की मूल गज़ल के एक और शेर को आज की सियासत के आइने में पढ़ा जा सकता है −'दुआएं दीजिए बीमार के तबस्सुम को, मिज़ाज पूछने वालों की आबरू रख ली।'
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