पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में संदेशखाली द्वीप कुछ महीने पहले तक मानचित्र पर सिर्फ एक बिंदु था. लेकिन इन दिनों यह द्वीप राष्ट्रीय सुर्खियों में है और इसकी वजह है स्थानीय ताकतवर शेख शाहजहां. बंगाल में विपक्ष और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच एक प्रमुख टकराव बिंदु शेख शाहजहां ही हैं. पहली नज़र में देखने से ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव से पहले राज्य के दो प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है. लेकिन गहराई में जाने से पता चलता है कि शेख शाहजहां कैसे सत्ता में तेजी से बढ़ने और इस द्वीप को अपनी जागीर में बदलने में कामयाब रहा.
ऐसे हुई शेख शाहजहां की शुरुआत...
शेख शाहजहां की ये कहानी बेहद चौंकाने वाली है. शाहजहां का संदेशखाली का ताकतवर शख्स बनने का सफर तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने से काफी पहले शुरू हो गया था. उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. पंचायत चुनाव के लिए उनके नामांकन पत्र में शैक्षणिक योग्यता का कॉलम खाली था. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि 2000 के दशक की शुरुआत में शाहजहां को संदेशखाली और पड़ोसी सरबेरिया के बीच कारों के किनारे खेलते, यात्रियों को बुलाते और उनसे किराया वसूलते देखा जाता था. उनके मामा मोस्लेम शेख स्थानीय सीपीएम नेता और पंचायत प्रमुख थे. मोस्लेम शेख ने शाहजहां को पहली सफलता दिलाई और महत्वाकांक्षी भतीजे ने स्थानीय मछली व्यापार की देखभाल करना शुरू कर दिया. शाहजहां कोई कोई नेता नहीं था... वह सिर्फ अपने चाचा की छत्रछाया में काम करता था. चुनावों के दौरान चाचा की मदद भी करता था और स्थानीय पार्टी नेताओं के संपर्क में रहते था.
शाहजहां ने ऐसे बनाई लोगों के बीच पहचान
शेख शाहजहां का कारोबार और संपत्ति तेजी से बढ़ रही थी, लेकिन उस पर किसी का ध्यान नहीं गया. यही वो समय था, जब शाहजहां ने अपनी पहचान बनानी भी शुरू कर दी. वह संकट के समय स्थानीय निवासियों की मदद करने लगा. चाहे किसी की शादी के लिए धन की व्यवस्था करना हो या बच्चों की शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे माता-पिता की मदद करना हो, शाहजहां सबसे आगे रहने वाला व्यक्ति था. दरअसल, शाहजहां अपने चाचा को देखकर राजनीति सीख रहा था. चाचा को भी लगा कि आगे चलकर शाहजहां उनके लिए ही फायदेमंद साबित होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
जिस चाचा ने राजनीति सिखाई, उसी को शाहजहां दिया धोखा
2010 के आसपास, शाहजहां को अपने चाचा से पहले ही सत्तारूढ़ सीपीएम के खिलाफ बदलाव की हवा का अहसास हो गया था. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि शाहजहां ने धीरे-धीरे खुद को सीपीएम से दूर करना शुरू कर दिया, क्योंकि 2011 के चुनावों से पहले ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने बढ़त हासिल कर ली थी. शाहजहां की गणना तब सही साबित हुई, जब वामपंथियों का 34 साल का शासन समाप्त हुआ और तृणमूल सत्ता में आई. इस बीच, तृणमूल नेता ज्योतिप्रिय मल्लिक, जो अब भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं, महत्वाकांक्षी भतीजे पर नजर रख रहे थे. स्थानीय रिपोर्टों में कहा गया है कि मल्लिक ने अपने चाचा मुस्लिम शेख के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए शाहजहां का इस्तेमाल करके सीपीएम को झटका देने की योजना बनाई थी. 2013 में शेख शाहजहां, तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. पासा पलट गया और भतीजे ने अपने चाचा को हरा दिया. ऐसे में कुछ साल बाद मोस्लेम शेख को तृणमूल में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा.
शाहजहां ने खड़ा किया पैसे का पहाड़
संदेशखाली के पास अकुंजीपारा मोड़ पर सफेद, नीले और पीले रंग में रंगे तीन महलनुमा घर... नीले और सफेद रंग के घरों पर शाहजहां के रिश्तेदारों का कब्जा है. प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी के डर से भागने से पहले 50 वर्षीय शाहजहां पीले रंग के घर में रहता था. पंचायत चुनावों के लिए जमा किए गए दस्तावेज़ों में कहा गया है कि शाहजहां के पास 17 कारें, 43 बीघे ज़मीन( लगभग 23 एकड़) और 2 करोड़ से अधिक के आभूषण हैं. उसका बैंक बैलेंस करीब 2 करोड़ रुपये था. इस ताकतवर तृणमूल नेता ने अपना पेशा 'व्यवसाय' बताया और अपनी वार्षिक आय लगभग 20 लाख रुपये दिखाई. हालांकि, स्थानीय निवासियों का दावा है कि उनकी वास्तविक संपत्ति इससे कहीं अधिक है. लेकिन पैसा कहां से आ रहा था? स्थानीय नेताओं का कहना है कि उसके पास दो ईंट भट्टे थे और वह नियमित रूप से वहां देखा जाता था. इतना ही नहीं, शाहजहां के सहयोगी क्षेत्र के प्रत्येक मछली व्यापारी से एक हिस्सा वसूलते थे. स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, शाहजहां के गुर्गे गन रखते थे. मछली का व्यापार करने वाले लोगों से हर महीने जबरन पैसे वसूलते थे. इलाके में उसका इतना आतंक था कि किसी की विरोध करने की हिम्मत नहीं होती थी.
ज़मीन कब्ज़ाने का काम भी करता था शाहजहां
संदेशखाली में कृषि उत्पादन भूमि में पिछले एक दशक में तेजी से गिरावट देखी गई, इसकी वजह भी शाहजहां ही है. स्थानीय निवासी उस ताकतवर व्यक्ति की बार-बार दोहराई जाने वाली धमकी को याद करते हैं- नोना जोले सोना फोले (सोना खारे पानी में उगता है). हालांकि, "सोना उगाने" के उनके तरीकों पर ज़मीन हड़पने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं. कई किसानों ने एनडीटीवी को बताया कि कैसे शाहजहां ने जमीन पर कब्जा कर लिया. उनके आदमी खारे पानी को कृषि भूमि में प्रवाहित करने के लिए तटबंध तोड़ देते थे. एक स्थानीय किसान ने कहा, "उन्होंने हमारी जमीन को खारे पानी से भर दिया, ताकि हम यहां फसल न उगा सकें. (शाहजहां के सहयोगी) उत्तम सरदार और शिबू हाजरा ने ऐसा किया, अब वे झींगा मछली पाल रहे हैं."
एक अन्य किसान ने आरोप लगाया कि उन्हें मछली पालने के लिए मजबूर किया जा रहा है. जब हमारे पास यह जमीन है, तो हम मछली पालन क्यों करेंगे? हम चावल उगाते थे और उससे अपना गुजारा करते थे. हम फसलें उगाते थे और अपना पेट भरते थे. मछली और चावल ही काफी था. अब, सब कुछ बंद हो गया है. कोई सब्जी नहीं है और कोई फसल नहीं. हमारी गायों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि घास नहीं है. हम क्या करेंगे? हम मर रहे हैं."
स्थानीय किसानों ने कहा कि विरोध करने पर गंभीर अंजाम भुगतना पड़ेगा. एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हम अब विरोध कर रहे हैं, क्योंकि हम इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकते. वे हमें उठातकर ले जाते हैं और पीटते हैं. यह स्थिति है... हम रात को सो नहीं सकते."
जबरन वसूली नेटवर्क
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के तहत उनके खातों में आने वाले पैसे का केवल एक छोटा-सा हिस्सा उन्हें मिलता था. यह ग्रामीण नौकरी गारंटी योजना, मनरेगा के तहत काम के भुगतान पर भी लागू होता है. एक स्थानीय निवासी ने शाहजहां के सहयोगियों पर निशाना
उन्होंने कहा, "शाहजहां के आदमी हमें हमारे घर से उठा लेते थे. हमसे पैसे निकालकर उन्हें देने के लिए कहा जाता था. वे हमें ₹500 देते थे. कहते थे- यह लो, हम तुम्हें बाकी पैसे नहीं देंगे." उन्होंने आरोप लगाया कि विरोध करने पर पिटाई होती थी. पुरुषों के एक अन्य समूह ने कहा कि सड़कें बनाने या तालाब खोदने का भुगतान भी शाहजहां और उसके लोगों द्वारा छीन लिया जाता है. यह सड़क बन गई है, लेकिन हमें भुगतान नहीं किया गया है. जब हमने तालाब खोदा, तो हमें इसके पैसे नहीं मिले. एक भी रुपया नहीं... अगर हम कुछ कहेंग, तो वे हमें उठा लेंगे और पीटेंगे."
शेख शाहजहां कहां हैं...?
शेख शाहजहां जनवरी में संदेशखाली स्थित उनके घर पर छापा मारने गई प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की एक टीम पर भीड़ के हमले के बाद से लापता हैं. महिलाओं द्वारा उत्पीड़न के हालिया आरोपों ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है और राज्य पुलिस को कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया है. शाहजहां के सहयोगी शिबू हाजरा और उत्तम सरदार को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन वह अभी भी फरार है. राज्य पुलिस प्रमुख राजीव कुमार ने कहा कि 10 सदस्यीय समिति संदेशखाली घटनाओं की जांच कर रही है. उन्होंने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, "कुल 17 गिरफ्तारियां की गई हैं. " शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि राज्य पुलिस कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं कर रही है और उन्होंने ग्रामीणों से अपनी शिकायतें लेकर आगे आने की अपील की. जमीन पर कब्जे और जबरन वसूली की शिकायतों पर कार्रवाई के लिए पुलिस इलाके में कैंप भी लगा रही है. इस दौरान एक महिला ने रेप की शिकायत दर्ज कराई है. हालांकि, बशीरहाट के पुलिस प्रमुख एचएम रहमान ने कहा, "संदेशखाली में पुलिस टीम के साथ-साथ पुलिस स्टेशन से हमें जो शिकायतें मिलीं, उनमें बलात्कार के किसी भी मामले का जिक्र नहीं है. इतना ही नहीं अदालत में एक महिला ने बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस मामले की जांच करेगी.
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