- मुंबई में 17 बच्चों को बंधक बनाने वाले शख्स रोहित आर्या की पुलिस की जवाबी कार्रवाई में मौत
- रोहित आर्या ने ऑडिशन के लिए आए बच्चों को बना लिया था बंधक, किसी से बात करना चाहता था
- दोपहर के करीब पौने दो बजे पुलिस के पास बंधक मामले की जानकारी पहुंची थी
मुंबई के पवई में 17 बच्चों को बंधक बनाने वाला रोहित आर्या का शिक्षा विभाग का कनेक्शन सामने आया है. बताया जा रहा है कि दीपक केसरकर जब शिक्षा मंत्री थे तो उसे शिक्षा विभाग से संबंधित एक स्कूल के काम के लिए टेंडर मिला था. लेकिन उस काम के लिए उसे अभी तक पैसे नहीं मिले थे. उसने बंधक बनाए बच्चों को डराकर रखा हुआ था. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की. जैसे ही पुलिस मुंबई के 'आरए' स्टूडियो पहुंची उसने पहले रोहित आर्या से बात करने की कोशिश की. लेकिन जब बात नहीं बनी तो पुलिस ने फोर्स एंट्री करके सबसे पहले बंधक बनाए गए बच्चों को रेस्क्यू किया. इसके कुछ ही देर बाद रोहित आर्या ने पुलिस पर गोली चला दी. जवाबी कार्रवाई में रोहित आर्या घायल हो गया. कुछ देर बाद इलाज के दौरान आर्या की मौत हो गई.
रोहित आर्या ने बकाया राशि के लिए किया था प्रदर्शन
सूत्रों ने बताया कि जब दीपक केसरकर मंत्री थे तो रोहित आर्या ने बकाया राशि न मिलने के कारण उसने पहले भी मंत्री केसरकर के आवास के बाहर कई बार आंदोलन किया था. बताया जा रहा है कि रोहित आर्या ने केसरकर के घर के बाहर भूख हड़ताल भी किया था.
17 बच्चों को बंधक बनाया था
आरोपी रोहित आर्या अकेले ही स्टूडियो के अंदर था. उसने 17 बच्चों को बंधक बना लिया था. उसका मकसद क्या था ये पता नहीं चला है. लेकिन उसने जो वीडियो जारी की है उससे पता चलता है कि वो किसी से कोई बात करना चाहता था. पुलिस ने बताया कि रोहित आर्या से बातचीत करने की कोशिश की गई पर वो अपनी मांगों पर अड़ा हुआ था. पवई पुलिस को करीब 1.45 मिनट पर एक कॉल आई थी. पुलिस टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची थी. पुलिस ने बच्चों को रिहा कराकर उसे उनके माता-पिता को सौंप दिया.
रोहित आर्या का मामला क्या है?
केसरकर ने बताया कि स्कूलों में “स्वच्छता मॉनिटर” नाम का एक अभियान चलाया गया था. रोहित आर्या ने इस अभियान के लिए एक NGO बनाई थी. वह शिक्षकों को प्रशिक्षण देने, मूल्यांकन करने जैसे काम करता था. उसका यह अभियान सिर्फ एक ही साल चला. उसका दावा था कि इस पर सौ करोड़ रुपये खर्च हुए. वह बार-बार अपनी मांग रखता रहता था. वह पांच-पांच घंटे उनके केबिन के बाहर खड़ा रहता था. केसरकर से मिले बिना वह वापस नहीं जाता था. केसरकर उसके पैसों के लिए मुख्यमंत्री के पास जाकर बैठते थे.
केसरकर ने क्या बताया
केसरकर ने बताया कि रोहित आर्या का स्वच्छता मॉनिटर नाम का कॉन्सेप्ट था. उन्होंने बताया कि मेरा स्कूल, सुंदर स्कूल कॉन्सेप्ट था. उसमें भी उनको कुछ काम दिए गए थे. लेकिन उन लोगों से उन्होंने डायरेक्ट पैसे लिए, रोहित आर्या के बारे में ऐसी जानकारी थी. केसरकर ने बताया कि तो यह जो मैटर है, वह उन्होंने डिपार्टमेंट से बात करके सुलझाना चाहिए था. क्योंकि, आखिरकार सरकार के काम करने की एक पद्धति होती है और उसी ढांचे में सबको काम करना होता है. इस तरह से किसी को बंधक बनाना, यह गलत है.
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