जिन एस्ट्रोनॉट्स को 'गगनयान मिशन' पर भेजा जाएगा, उनमें- ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं. चारों की ट्रेनिंग रूस में हुई है. चुने गए चारों एस्ट्रोनॉट्स इंडियन बेंगलुरु स्थित एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम टेस्टिंग एस्टिब्लिशमेंट के टेस्ट पायलट्स हैं.
1. ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर (47) केरल से ताल्लुक रखते हैं. उनका जन्म थिरुथियद में 26 अगस्त 1976 को हुआ था. ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर ने अपनी स्कूली शिक्षा कुवैत से पूरी की. उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से ग्रैजुएशन किया. उन्होंने वहां 'स्वोर्ड ऑफ ऑनर' हासिल करके उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. साल 1999 में एक कमीशन अधिकारी के रूप में वो वायु सेना में शामिल हो गए. बतौर पायलट वो सुखोई फाइटर प्लेन भी उड़ा चुके हैं.
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2. विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
'गगनयान मिशन' के लिए सिलेक्ट हुए एस्ट्रोनॉट्स में विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला का नाम भी है. उनका जन्म यूपी की राजधानी लखनऊ में 10 अक्टूबर 1985 में हुआ था. उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से ग्रैजुएशन किया. फिर 18 दिसंबर 2004 में इंडियन एयरफोर्स में तैनात हुए. उन्होंने रूस की राजधानी मॉस्को के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग हासिल की है. विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला Su-30 MKI,MiG-21, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं.
3. ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन
ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन को भी इस मिशन के लिए चुना गया है. उनका जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 19 अप्रैल 1982 में हुआ. NDA से इन्होंने ग्रैजुएशन किया है. उन्हें 'प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल' और 'सोर्ड ऑफ ऑनर' भी मिल चुका है. इंडियन एयरफोर्स की फाइटर स्ट्रीम में वह 21 जून 2003 से तैनात हैं. अजीत कृष्णन फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट भी हैं. ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ा चुके हैं.
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4. ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
अंगद प्रताप का यूपी से ताल्लुक है. उनका जन्म प्रयागराज (इलाहाबाद) में 17 जुलाई 1982 में हुआ था. इन्होंने भी NDA से ग्रैजुएशन किया और इंडियन एयरफोर्स में 18 दिसंबर 2004 में तैनाती मिली. ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी हैं. उन्हें Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर और An-32 एयरक्राफ्ट उड़ाने का अच्छा-खासा अनुभव है.
गगनयान मिशन के लिए कैसे हुआ सिलेक्शन?
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए बड़ी संख्या में पायलट्स ने एप्लिकेशन दी थी. इनमें से 12 ने सितंबर 2019 में पहले लेवल का सिलेक्शन प्रोसेस कम्प्लीट किया था. इसके बाद कई राउंड के सिलेक्शन राउंड के बाद 4 को सिलेक्ट किया गया. जून 2019 में ISRO और रूस की स्पेस एजेंसी के बीच पायलट्स की ट्रेनिंग के लिए करार हुआ था. इसके बाद इन पायलट्स को रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया. यहां पर फरवरी 2020 से मार्च 2021 तक इनकी ट्रेनिंग हुई.
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गगनयान मिशन के बारे में जानें?
गगनयान मिशन भारत का पहला ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन है. गगनयान मिशन को 2025 में लॉन्च किया जाएगा. इसके तहत 4 एस्ट्रोनॉट्स को 400 किलोमीटर ऊपर धरती की निम्न कक्षा (लोअर ऑर्बिट) में स्पेस में भेजा जाएगा. दो से तीन दिन स्पेस में बिताने के बाद उन्हें सुरक्षित वापस हिंद महासागर में समुद्र के भीतर उतारा जाएगा.
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