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भारतीय राजनीति में इस वजह से लाल कृष्ण आडवाणी हैं 'बेहद खास', जानें उनके बारे में सबकुछ

लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani Political Contribution) बीजेपी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेता हैं. वह लंबे समय तक सांसद के तौर पर देश की सेवा कर चुके हैं. 

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लाल कृ्ष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न.(फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी (Bharat Ratna Lal Krishna Advani) को सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के ऐलान के बाद से उनके समर्थकों और चाहने वालों में खुशी की लहर है. वह न सिर्फ बीजेपी के दिग्गज नेता बल्कि पार्टी के मजबूत स्तंभ भी हैं. एलके.आडवाणी वह शख्स हैं, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई. वह बीजेपी के संस्थापक सदस्य हैं. साल 1980 में बीजेपी के गठन के समय वह भी पार्टी में एक मजबूत पिलर रहे. लाल कृष्ण आडवाणी बीजेपी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेता हैं. वह लंबे समय तक सांसद के तौर पर देश की सेवा कर चुके हैं. 

ये भी पढ़ें-लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न सम्मान, पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी जानकारी

लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म और स्कूली शिक्षा

लाल कृष्ण आडवाणी की गिनती बीजेपी के दिग्गज नेताओं में की जाती है. उनका जन्म 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था. उनके पिता का नाम डी अडवाणी और मां का नाम ज्ञानी आडवाणी था. 25 फरवरी 1965 को उन्होंने कमला आडवाणी से शादी की. उनके दो बच्चे हैं, बेटी का नाम प्रतिभा आडवाणी है. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा कराची के सेंट प्रैट्रिस स्कूल से पूरी की. विभाजन के बाद भारत आकर उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री ली. 

RSS से आडवाणी का जुड़ाव

देश प्रेम के जज्बे के चलते उनका झुकाव RSS की तरफ बढ़ने लगा. साल 1947 में जब देश आजाद हुआ तो लाल कृष्ण आड़वाणी पाकिस्तान में होने की वजह से इस आजादी का जश्न नहीं मना सके और उनको मजबूर अपना घर छोड़ना पड़ा.  देश के विभाजन के बाद वह कराची से दिल्ली आ गए और राजस्थान में संघ के लिए प्रचार करने लगे. उन्होंने लंबे समय तक संघ प्रचारक के तौर पर काम किया. 1947 से 1951 तक उन्होंने कराची शाखा के RSS सचिव के रूप में भरतपुर, अलवर, बूंदी, कोटा और झालावाड़ में संघ के कार्यक्रमों का आयोजन किया. 

लाल कृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर

बात अगर लाल कृष्ण आडवणी के राजनीतिक सफर की करें तो साल 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब जनसंघ की स्थापना की, तब से साल 1957 तक आडवाणी पार्टी सचिव रहे. फिर 1973 से 1977 तक उन्होंने जनसंघ में अध्यक्ष पद पर सेवाएं दीं. साल 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई तब वह इसके संस्थापक सदस्य थे. आडवाणी ने 1980 से 1986 तक बीजेपी के महासचिव रहे. 1986 से 1991 तक वह बीजेपी अध्यक्ष रहे. आडवाणी तीन बार बीजेपी के अध्यक्ष रहे. वह 5 बार लोकसभा सांसद और 4 बार राज्यसभा सांसद रहे. साल 1977 से 1979 तक वह पहली बार केंद्र में मंत्री बने. उन्होंने इस दौरान सूचना प्रसारण मंत्रालय का कार्यभार संभाला.

आडवाणी अयोध्या रथ यात्रा के 'हीरो'

लाल कृष्ण आडवाणी ही वह नेता हैं, जिन्होंने राजनीति में 'यात्राओं' का कल्चर शुरू किया था. जिस समय अयोध्या में राम मंदिर की मांग अपने पीक पर थी, तब लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की थी,  जिसकी वजह से देश की राजनीति में हिंदुत्व की राजनीति ने उभरना शुरू किया. हालांकि बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उनको समस्तीपुर में गिरफ्तार करा दिया था. इस घटना के बाद लकृष्ण आडवाणी राजनीति के हीरो बनकर उभरे.
 

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