भारतीय नौसेना (Former Indian Navy Personnel) के आठ पूर्व कर्मियों को कतर (Qatar) की अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने पर भारत ने कहा कि वह इस फैसले से बेहद ‘हैरान'है. भारत सरकार द्वारा इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है. ये सभी आठ भारतीय नागरिक 'अल दाहरा कंपनी' के कर्मचारी हैं, जिन्हें पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया गया था. कतर के अधिकारियों की ओर से भारतीयों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है. अपनी प्रतिक्रिया में विदेश मंत्रालय (MIA) ने कहा कि वह इस मामले को ‘बहुत महत्व' दे रहा है और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है.
कौन है 8 भारतीय
अगस्त 2022 में गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों में कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ और नाविक रागेश गोपकुमार शामिल हैं.
सभी पूर्व नौसेना अधिकारियों का भारतीय नौसेना में 20 वर्षों तक का विशिष्ट सेवा रिकॉर्ड है और उन्होंने सैनिकों में प्रशिक्षकों सहित महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था.
साल 2019 में, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया, जो प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है. उस समय एक पोस्ट में दोहा स्थित भारतीय दूतावास ने कहा था कि कमांडर तिवारी को यह पुरस्कार विदेश में भारत की छवि बढ़ाने के लिए दिया गया है.
वे कतर में क्या कर रहे थे?
सभी आठ भारतीय एक निजी फर्म, दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज और कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम करते थे, जो कतर के सशस्त्र बलों के लिए प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती है. कंपनी का स्वामित्व रॉयल ओमान वायु सेना के सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर खामिस अल-अजमी के पास है. अजमी को भी पिछले साल भारतीयों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर 2022 में रिहा कर दिया गया. सूत्रों ने कहा कि मौत की सजा पाने वाले कुछ भारतीय बेहद संवेदनशील परियोजना पर काम कर रहे थे (गुप्त विशेषताओं वाली इतालवी प्रौद्योगिकी आधारित छोटी पनडुब्बियां).
मई में, अल दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) घर लौट आए हैं.
भारतीयों को क्यों किया गया गिरफ्तार...?
पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को कतर की खुफिया एजेंसी ने 30 अगस्त, 2022 को गिरफ्तार किया था. इस मामले में हैरानी करने वाली यह है कि न तो कतर के अधिकारियों और न ही नई दिल्ली ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को अभी तक सार्वजनिक किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आठ लोगों को कथित तौर पर जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 25 मार्च को आठ भारतीयों के खिलाफ आरोप दायर किए गए थे और उन पर कतर कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था. इनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की जा चुकी थीं और बृहस्पतिवार को कतर की कोर्ट ने प्रथम दृष्टया में उनके खिलाफ फैसला सुनाया.
भारत क्या कर रहा है?
कतर की अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे मामले में विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं. हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं और हम सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं."
सरकार ने कहा कि वह भारतीयों को सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेगी. विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे. हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे."
पता चला है कि पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों के परिवारों ने कतर के अमीर के समक्ष दया याचिका दायर की थी. हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है.
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