
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि एलन मस्क की स्टारलिंक को भारत में सैटकॉम सेवाओं के लिए लाइसेंस मिल गया है. स्टारलिंक दूरसंचार विभाग (DoT) से लाइसेंस हासिल करने वाली तीसरी कंपनी है. DoT के सूत्रों ने पुष्टि की है कि स्टारलिंक को वास्तव में लाइसेंस मिल गया है. बताया जा रहा है कि कंपनी को इसके लिए आवेदन करने के 15-20 दिनों में ट्रायल स्पेक्ट्रम दिया जाएगा.
एक कदम और करीब पहुंचा स्टारलिंक
दूरसंचार विभाग (DoT) से मंजूरी मिलने के बाद स्टारलिंक्स देश में अपनी सर्विसेज लॉन्च करने के और करीब पहुंच गया है. ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS)लाइसेंस की मंजूरी के साथ, स्टारलिंक भारती एयरटेल-यूटेलसैट की वनवेब और रिलायंस जियो के बाद भारत में सैटेलाइट-बेस्ड इंटरनेट की पेशकश करने वाली तीसरी अथॉराइज्ड कंपनी बन गई है. दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरफ से भी इसकी पुष्टि की गई है.
सैटेलाइट कम्युनिकेशन होगा तेज
उन्होंने कहा कि अगला कदम स्पेक्ट्रम आवंटन होगा जिसके बाद बड़े पैमाने पर सर्विसेज शुरू हो सकेंगी. मीडिया से बातचीत के दौरान सिंधिया ने कहा, 'इसके बाद, देश में सैटेलाइट टेलीकॉम सेवाएं तेजी से पूरी तरह से चालू हो जाएंगी. मुझे यकीन है कि भारत में ग्राहकों की संख्या में काफी वृद्धि होगी.' स्पेसएक्स के मालिकाना हक वाली स्टारलिंक साल 2021 से ही भारतीय बाजार पर नजर रखे हुए थी. लेकिन रेगुलेशन की बाधाओं के चलते उसे अपने शुरुआती प्रयासों को रोकना पड़ा और प्री-ऑर्डर भुगतान वापस करना पड़ा. जीएमपीसीएस लाइसेंस के साथ, भारत के सैटेलाइट कम्युनिकेशन में तेजी आएगी.
क्या है स्टारलिंक
स्टारलिंक एलन मस्क के स्पेसएक्स की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस है. यह पृथ्वी की निचली कक्षा के सैटेलाइट्स के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट का वादा करती है. अगर यह भारतीय बाजार में आता है तो स्टारलिंक देश में इंटरनेट एक्सेस को बदलने की क्षमता रखता है जिसमें सबसे दूरदराज और कम सेवा वाले क्षेत्र भी शामिल हैं. आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, स्टारलिंक लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में छोटे सैटेलाइट्स के एक ग्रुप का प्रयोग करता है जो इसे जमीन पर यूजर्स टर्मिनलों के साथ कम्युनिकेट करने में मदद करते हैं.
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