मणिपुर में लगातार जारी हिंसा को तुरंत खत्म करने का आह्वान करते हुए मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा ने मंगलवार को कहा कि हाल के हफ़्तों में सूबे में हालात 'बदतर' हुए हैं.
मणिपुर में हिंसा के चलते अब तक लगभग 120 लोग जान गंवा चुके हैं, और 3,000 से ज़्यादा ज़ख्मी हो चुके हैं. मणिपुर में 3 मई को हिंसा शुरू हुई थी, जब मैतेयी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया.
माइक्रो-ब्लाॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर खासी लम्बी पोस्ट में, ज़ोरमथंगा ने कहा, "जब हम बेहद सद्भावनापूर्ण तरीके से आशा-भरे माहौल में हालात के बाहतर होने की उम्मीद कर रहे हैं, हालात दरअसल बदतर हो गए हैं... यह कब रुकेगा...? मैं अपने मणिपुरी ज़ो जातीय भाइयों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं, उन लोगों के लिए मैं लगातार प्रार्थना करता हूं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है, जिनके घर-परिवार टूट गए हैं... परमात्मा आपको इन विनाशकारी स्थितियों से उबरने की शक्ति और समझे दें..."
The onset of May witnessed a brutal, untoward and uncalled-for incident in Manipur. At this very moment, 3:30am, July the 4th, 2023; nothing seems to have changed. We are counting, and today is the 62nd day.
— Zoramthanga (@ZoramthangaCM) July 3, 2023
While we hope with much goodwill, anticipation and hope, things would… pic.twitter.com/EKduEqrShY
पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना और अन्य केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है, जहां मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच दो महीने से हिंसा जारी है, जिसके दौरान लोगों की जानें गईं और हज़ारों लोग विस्थापित भी हुए.
ज़ोरमथंगा ने आगे लिखा, "मैं नहीं चाहता कि चर्चों को जलाए जाने, क्रूर हत्याओं और किसी भी तरह की हिंसा की तस्वीरें या वीडियो देखने को न मिलें... यदि अमन हासिल करने का केवल एक रास्ता है, तो क्या हम उसे चुनेंगे...?"
उन्होंने आगे लिखा, "बहुत-सी जानें गईं, हर तरफ़ खून-खराबा हुआ, शारीरिक यातनाएं दी गईं, और पीड़ित अब तक शरणस्थली तलाश रहे हैं... निस्संदेह पीड़ित मेरे संबंधी हैं, मेरा अपना खून हैं और क्या हालात को शांत करने के लिए हमारी चुप्पी सही है...? मुझे ऐसा नहीं लगता...! मैं अमन और सामान्य हालात की तत्काल बहाली का आह्वान करना चाहूंगा... यह भारत के ज़िम्मेदार और कानून का पालन करने वाले नागरिकों या संस्थाओं के लिए अनिवार्य है कि वे अमन बहाली के लिए तत्काल तरीकें तलाशें... मानवीय संवेदनाओं और 'सबका साथ, सबका विकास' के भाव के साथ होने वाला विकास मणिपुर में मेरी ज़ो जातीय जनजातियों पर भी लागू होता है...!"
जातीय हिंसा के चलते मणिपुर से विस्थापित हुए 12,000 से अधिक लोगों के लिए मिज़ोरम सरकार केंद्र से मिलने वाले राहत पैकेज का इंतज़ार कर रही है. मुख्यमंत्री ज़ोरमथंगा ने मई में ₹10 करोड़ के राहत पैकेज का अनुरोध किया था. पिछले दो दिन में कम से कम 22 और लोगों के राज्य में प्रवेश के साथ मिज़ोरम में मणिपुर से विस्थापित लोगों की संख्या बढ़कर 12,162 हो गई है.
ज़ोरमथंगा ने कहा, "मणिपुर, म्यांमार और बांग्लादेश से शरणार्थियों और/या आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (IDP) की तादाद 50,000 से ज़्यादा हो गई है... मैं कामना और प्रार्थना करता हूं कि केंद्र सरकार मानवीय आधार पर हमें तत्काल मदद दे..."
मौजूदा समय में मिज़ोरम में म्यांमार और बांग्लादेश से आए 35,000 से ज़्यादा शरणार्थी भी मौजूद हैं. इनमें से अधिकतर शरणार्थी म्यांमार से हैं, जहां फरवरी, 2021 में सैन्य तख्तापलट के कारण व्यापक हिंसा और विस्थापन हुआ था.
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