
देश की सियासत में अहम स्थान रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya scindia) ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देकर हर किसी को हैरान कर दिया है. इस घराने के कई सदस्य मध्यप्रदेश और देश की राजनीति में सक्रिय रहे हैं. ज्योतिरादित्य की दादी (स्वर्गीय) विजयाराजे सिंधिया (Vijaya raje scindia)जनसंघ और बीजेपी की संस्थापक सदस्य रही हैं. 'राजमाता' के नाम से लोकप्रिय विजयाराजे सिंधिया ने अपनी राजनीति वैसे तो कांग्रेस से प्रारंभ की थीं लेकिन जल्द ही वे इस पार्टी के धुर विरोधियों में शामिल हो गई थीं. 60-70 के दशक तक समूचे देश की तरह ही मध्यप्रदेश की राजनीति में कांग्रेस का बोलबाला था, इस दौर में विजयराजे सिंधिया ने एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेला था जिससे सूबे में संविद सरकार के गठन का रास्ता तैयार हुआ था. यह अलग बात है कि संविद सरकार अपने अंतर्विरोधों के कारण ज्यादा समय नहीं चल पाई थी और राज्य में फिर से कांग्रेस की वापसी का रास्ता साफ हो गया था.
बात 1967 के आसपास की है. दशक की है. उस समय द्वारका प्रसाद मिश्रा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. डीपी मिश्रा को राज्य की सियासत का कद्दावर नेता माना जाता था. ग्वालियर में छात्रों के आंदोलन के मुद्दे पर विजयराजे सिंधिया के डीपी मिश्रा से मतभेद हो गए थे. इस मसले पर राजमाता सिंधिया ने तत्कालीन सीएम के सामने अपनी कुछ मांगें रखीं थी लेकिन डीपी मिश्रा ने अनदेखा कर दिया. जानकारी के मुताबिक इस दौरान डीपी मिश्रा ने कुछ ऐसी बात कहीं थी जो विजयराजे सिंधिया को नागवार गुजरीं. ऐसे में विजयाराजे ने कांग्रेस से अलग राह पकड़ ली. उन्होंने राज्य में बड़े सियासी उलटफेर का रास्ता तैयार करते हुए डीपी मिश्र की सरकार का तख्ता पलट दिया, इसके बाद गोविंद नारायण सिंह ही अगुवाई में सरकार का गठन हुआ.
संविद सरकार का गठन मध्यप्रदेश की राजनीति के बड़े घटनाक्रमों में से एक रहा. करीब तीन दर्जन विधायकों ने पार्टी छोड़ दी और इनके समर्थन से गोविंद नारायण सिंह नए मुख्यमंत्री बन गए. संविदा सरकार बनने के पीछे वजह थी जो द्वारका प्रसाद मिश्रा और राजमाता के बीच की अनबन जो मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने का कारण बन गई थी. हालांकि यह अलग बात है कि संविदा सरकार करीब 19 माह ही चल पाई और गोविन्द नारायण ने मार्च 1969 में इस्तीफा देना पड़ा.
वीडियो: मध्यप्रदेश में राजनीतिक भूचाल
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