अपनी किताब 'री-इग्नाइटेड' के सह-लेखक सृजन पाल सिंह के साथ पूर्व राष्ट्रपति कलाम
नई दिल्ली:
रामेश्वरम के समुद्र तट पर नन्हें कलाम को उनके शिक्षक ने पक्षी और विमान की उड़ान के तरीके के बारे में बताया, जिससे न सिर्फ उनके जीवन को एक लक्ष्य मिल गया बल्कि भौतिक विज्ञान के रहस्यों को समझना भी उनके लिए आसान हो गया।
इस नन्हें कलाम को आज दुनिया वैज्ञानिक एवं पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के रूप में जानती है, जो अब हमारे बीच नहीं रहे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का निधन का सोमवार शाम आईआईएम में एक व्याख्यान देने के दौरान गिरने के बाद निधन हो गया।
कलाम के जीवन से जुड़ी ऐसी ही कई बातें एक नई किताब 'री-इग्नाइटेड : साइंटिफिक पाथवेज़ टू ए ब्राइटर फ्यूचर' में हैं। कलाम और उनके पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार सृजन पाल सिंह द्वारा लिखी गई इस किताब में युवाओं को रोबोटिक्स, एयरोनॉटिक्स, न्यूरोसाइंसेज, पैथोलॉजी, पेलेन्टोलॉजी और मैटीरियल साइंसेज जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए सलाह भी दी गई है।
कलाम का कहना था कि जब वह युवा थे, तब उन्हें पायलट, उनके विमानों की कहानियां अच्छी लगती थीं। विमानों के बारे में जानने के लिए वह हमेशा उत्सुक रहते थे और वह खुद पायलट बनना चाहते थे।
उन्होंने लिखा 'मेरे गांव में तो गिनेचुने लोग ही विमानों पर चर्चा कर सकते थे। मेरे परिवार के लोग पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन मुझे मेरे शिक्षकों से बहुत लाभ मिला। मेरी जिज्ञासा एक शिक्षक ने शांत की। तब मैं 10 साल का था और पांचवी कक्षा में था। इससे मेरे जीवन की दिशा ही बदल गई।
कलाम ने इस किताब में लिखा था, 'मेरे शिक्षक का नाम शिवसुब्रमण्यम अय्यर था। एक दिन 65 छात्रों की कक्षा में उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर चित्र बना कर बताया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं। उसी दिन वह हमें रामेश्वरम के समुद्र तट पर ले गए जहां समुद्री पक्षी उड़ रहे थे।'
पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित इस किताब में पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने लिखा था 'हमारे शिक्षक ने बताया कि पक्षी कैसे अपने पंख फैलाते हैं, अपने पंखों और पूंछ का उपयोग कर दिशा बदलते हैं और उड़ान के पीछे क्या बल होता है... यह पक्षी के जीवन की ऊर्जा।'
उनके अनुसार, शिक्षक ने बताया कि विमान इसी सिद्धांत के आधार पर उड़ता है। एक घंटे के इस सबक के बाद कलाम को पक्षी की उड़ान का रहस्य समझ में आ गया। कलाम ने कहा कि एक लेक्चर ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी।
उन्होंने कहा 'मेरे शिक्षक ने मुझे जीवन का उद्देश्य दे दिया। मुझे भौतिक विज्ञान के अध्ययन का महत्व समझ में आ गया। मैंने भौतिकी को चुना। मैंने एरोनाटिकल इंजीनियरिंग को प्राथमिकता दी और फिर रॉकेट इंजीनियर बना। उसके बाद अंतरिक्ष वैज्ञानिक।'
किताब में उन्होंने यह भी बताया है कि बचपन में लड़ाकू विमानों की तस्वीरें और दूसरे विश्व युद्ध की कहानियों से भरे अखबार पढ़ना उन्हें कितना अच्छा लगता था। पांचवी कक्षा में पढ़ते समय कलाम ने अखबार बांटने के तौर पर पहला रोजगार शुरू किया था।
उनके बड़े भाई उन्हें अपनी साइकिल देते थे। सुबह पांच बजे स्टेशन से कलाम तमिल अखबारों का बंडल ले कर स्थानीय कार्यालयों, चाय के कुछ स्टाल और कभी कभी घरों में बांटते थे।
उन्होंने लिखा कि लेकिन स्टेशन से रवाना होने से पहले मैं वहां बेंच पर बैठ कर दैनिक 'दिनामणि' की एक प्रति खोलता था। पहला पन्ना हमेशा अच्छा लगता था, जिसमें लड़ाकू विमानों की तस्वीरें और दूसरे विश्व युद्ध की कहानियां होती थीं।'
इस नन्हें कलाम को आज दुनिया वैज्ञानिक एवं पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के रूप में जानती है, जो अब हमारे बीच नहीं रहे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का निधन का सोमवार शाम आईआईएम में एक व्याख्यान देने के दौरान गिरने के बाद निधन हो गया।
कलाम के जीवन से जुड़ी ऐसी ही कई बातें एक नई किताब 'री-इग्नाइटेड : साइंटिफिक पाथवेज़ टू ए ब्राइटर फ्यूचर' में हैं। कलाम और उनके पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार सृजन पाल सिंह द्वारा लिखी गई इस किताब में युवाओं को रोबोटिक्स, एयरोनॉटिक्स, न्यूरोसाइंसेज, पैथोलॉजी, पेलेन्टोलॉजी और मैटीरियल साइंसेज जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए सलाह भी दी गई है।
कलाम का कहना था कि जब वह युवा थे, तब उन्हें पायलट, उनके विमानों की कहानियां अच्छी लगती थीं। विमानों के बारे में जानने के लिए वह हमेशा उत्सुक रहते थे और वह खुद पायलट बनना चाहते थे।
उन्होंने लिखा 'मेरे गांव में तो गिनेचुने लोग ही विमानों पर चर्चा कर सकते थे। मेरे परिवार के लोग पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन मुझे मेरे शिक्षकों से बहुत लाभ मिला। मेरी जिज्ञासा एक शिक्षक ने शांत की। तब मैं 10 साल का था और पांचवी कक्षा में था। इससे मेरे जीवन की दिशा ही बदल गई।
कलाम ने इस किताब में लिखा था, 'मेरे शिक्षक का नाम शिवसुब्रमण्यम अय्यर था। एक दिन 65 छात्रों की कक्षा में उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर चित्र बना कर बताया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं। उसी दिन वह हमें रामेश्वरम के समुद्र तट पर ले गए जहां समुद्री पक्षी उड़ रहे थे।'
पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित इस किताब में पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने लिखा था 'हमारे शिक्षक ने बताया कि पक्षी कैसे अपने पंख फैलाते हैं, अपने पंखों और पूंछ का उपयोग कर दिशा बदलते हैं और उड़ान के पीछे क्या बल होता है... यह पक्षी के जीवन की ऊर्जा।'
उनके अनुसार, शिक्षक ने बताया कि विमान इसी सिद्धांत के आधार पर उड़ता है। एक घंटे के इस सबक के बाद कलाम को पक्षी की उड़ान का रहस्य समझ में आ गया। कलाम ने कहा कि एक लेक्चर ने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी।
उन्होंने कहा 'मेरे शिक्षक ने मुझे जीवन का उद्देश्य दे दिया। मुझे भौतिक विज्ञान के अध्ययन का महत्व समझ में आ गया। मैंने भौतिकी को चुना। मैंने एरोनाटिकल इंजीनियरिंग को प्राथमिकता दी और फिर रॉकेट इंजीनियर बना। उसके बाद अंतरिक्ष वैज्ञानिक।'
किताब में उन्होंने यह भी बताया है कि बचपन में लड़ाकू विमानों की तस्वीरें और दूसरे विश्व युद्ध की कहानियों से भरे अखबार पढ़ना उन्हें कितना अच्छा लगता था। पांचवी कक्षा में पढ़ते समय कलाम ने अखबार बांटने के तौर पर पहला रोजगार शुरू किया था।
उनके बड़े भाई उन्हें अपनी साइकिल देते थे। सुबह पांच बजे स्टेशन से कलाम तमिल अखबारों का बंडल ले कर स्थानीय कार्यालयों, चाय के कुछ स्टाल और कभी कभी घरों में बांटते थे।
उन्होंने लिखा कि लेकिन स्टेशन से रवाना होने से पहले मैं वहां बेंच पर बैठ कर दैनिक 'दिनामणि' की एक प्रति खोलता था। पहला पन्ना हमेशा अच्छा लगता था, जिसमें लड़ाकू विमानों की तस्वीरें और दूसरे विश्व युद्ध की कहानियां होती थीं।'
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