सुरंग बनाते समय किन बातों का रखा जाना चाहिए ख्याल और क्या-क्या सावधानियां हैं जरूरी, जानें विशेषज्ञ की राय

डॉ. साहू ने कहा कि NHAI का सभी under-construction Tunnels का ऑडिट करने का फैसला सही है, हादसे के बाद ये एक अच्छा लेशन है. साथ ही, रेलवे के tunnels और हाइड्रोपावर के tunnels की भी ऑडिट होनी चाहिए.

सुरंग बनाते समय किन बातों का रखा जाना चाहिए ख्याल और क्या-क्या सावधानियां हैं जरूरी, जानें विशेषज्ञ की राय

नई दिल्ली:

सुरंग निर्माण, डिजाइन और रखरखाव के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने वाली उच्च स्तरीय सरकारी समिति के सदस्य और आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ.जगदीश तेलंगराओ साहू ने सुरंग संकट पर एनडीटीवी से बात की. देश के बड़े सुरंग विशेषज्ञ ने कहा कि सिलक्यारा टनल हादसा जिस परिस्थिति में हुआ, उससे कई स्तर पर सीखना जरूरी है.

डॉ.जगदीश तेलंगराओ साहू ने कहा कि हमें साइड जांच पर और ध्यान देना होगा, यानि जिस जगह पर खुदाई की जा रही है. वहां ये पता लगाया जाना चाहिए कि वहां किस तरह के पत्थर हैं. उसका स्ट्रक्चर क्या है, वहां लूज पत्थर तो नहीं हैं, वहां कोई फॉल्ट तो नहीं है. हमें खुदाई के समय कई चीज़ें नहीं पता होती हैं. खुदाई से पहले ये सब पता लगाया जाना चाहिए. ये सारी चीज़ें डिज़ाइन इनपुट में शामिल होनी चाहिए, खुदाई की तैयारी के दौरान गंभीरता से ली जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र में पत्थर काफी छलने वाले हैं, क्योंकि उनका टाइप कुछ ही दूरी पर बदल जाता है.

डॉ. साहू ने कहा कि टनल के कंस्ट्रक्शन के दौरान दो पहलू महत्वपूर्ण होते हैं. खुदाई से पहले साइड जांच के ज़रिए आप गैर विनाशकारी टेस्टिंग के ज़रिये या बोर होल्स के ज़रिए आप जानकारी इकट्ठा करें. दूसरा पहलू है डिज़ाइन जो हम नई ऑस्ट्रियाई सुरंग बनाने की विधि से करते हैं. अगर इसके ज़रिए करते तो आप खुदाई के दौरान फीडबैक मैकेनिजम भी लेते रहते हैं. कहीं लूज पत्थर आया तो आप उस जगह की डिज़ाइन को मॉडिफाई करते हैं. फीडबैक लूप टनलिंग में जरूरी है टनल कंस्ट्रक्शन के दौरान जो अभी नहीं फॉलो हो रहा है.

उन्होंने कहा कि हमें खुदाई से पहले जमीनी जांच को और डिटेल्ड तरीके से करना होगा. साइड जांच काफी इन्फोर्मेटिव होना चाहिए. इसके अलावा हमें हाइड्रो-जियोलाजिकल सर्वे के साथ-साथ भी करना चाहिए. दूसरी तरफ जब हम टनल की खुदाई करते हैं, हमें गंभीरता से सेफ्टी मेजर्स लेना चाहिए. उदाहरण के लिए, खुदाई के समय एक Escape Tunnel हो, साथ में छोटी Hume Pipe हो अगर tunnel छोटी है. Tunnel कंस्ट्रक्शन के लिए ये सब अनिवार्य होनी चाहिए.

डॉ. साहू ने कहा कि NHAI का सभी under-construction Tunnels का ऑडिट करने का फैसला सही है, हादसे के बाद ये एक अच्छा लेशन है. साथ ही, रेलवे के tunnels और हाइड्रोपावर के tunnels की भी ऑडिट होनी चाहिए. टनल एक रिस्क भारत venture होता है, लेकिन अगर Side Investigation अच्छे से किया जाये तो इसमें खतरे को कम किया जा सकता है.
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इस मामले में स्केप टनल नहीं था जो दुर्भाग्यपूर्ण है. छोटी टनल के कंस्ट्रक्शन के दौरान स्केप टनल जरूरी नहीं है, लेकिन Hume Pipes जैसे सेफ्टी के विकल्प होने चाहिए.