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दिल्ली में पार्कों-सार्वजनिक स्थानों को पार्किंग बनाने के मामले पर निगरानी समिति ने SC से क्या की सिफारिश

निगरानी समिति ने अनुरोध किया कि यह अदालत संबंधित अधिकारियों को एक योजना अपनाने के लिए निर्देश जारी कर सकती है, जिसके तहत नए वाहनों की बिक्री केवल उन खरीदारों तक सीमित हो, जिनके पास अपनी समर्पित पार्किंग जगह है.

दिल्ली में पार्कों-सार्वजनिक स्थानों को पार्किंग बनाने के मामले पर निगरानी समिति ने SC से क्या की सिफारिश
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी समिति ने सुप्रीम कोर्ट से की सिफारिश. वैकल्पिक रूप से, भविष्य में वाहनों के पंजीकरण को प्रति परिवार केवल एक कार तक सीमित करने किया जाए या किसी नए वाहन की बिक्री इस बात पर निर्भर हो कि खरीदार के पास समर्पित पार्किंग स्थान है या नहीं,  सुप्रीम कोर्ट को करना है रिपोर्ट पर विचार.

2006 में शीर्ष अदालत द्वारा गठित तीन सदस्यीय निगरानी समिति द्वारा प्रस्तुत नवीनतम रिपोर्ट में ये सिफारिशें शामिल हैं. पैनल को दिल्ली के आवासीय क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण और वाणिज्यिक परिसरों की सीलिंग के संबंध में नगरपालिका कानूनों के कार्यान्वयन की देखरेख करने का काम सौंपा गया है.

 पैनल ने एमसी मेहता मामले के हिस्से के रूप में  जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली पीठ को अपनी रिपोर्ट सौंपी. अपनी रिपोर्ट में पूर्व नौकरशाह भूरे लाल, विजय छिब्बर और एसपी झिंगोन के पैनल  ने कहा है  कि हालांकि पार्किंग का मुद्दा उनके दायरे में नहीं आता है, लेकिन राजधानी में "पार्किंग मुद्दे की गंभीरता" को देखते हुए, उन्हें ये कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

निगरानी समिति ने अनुरोध किया कि यह अदालत संबंधित अधिकारियों को एक योजना अपनाने के लिए निर्देश जारी कर सकती है, जिसके तहत नए वाहनों की बिक्री केवल उन खरीदारों तक सीमित हो, जिनके पास अपनी समर्पित पार्किंग जगह है.

वैकल्पिक रूप से संबंधित अधिकारी "ऐसी योजना अपनाएं  जिसके तहत नए वाहनों का पंजीकरण प्रति परिवार एक तक सीमित हो. जमीनी हकीकत को समझने के लिए समिति ने दिल्ली मास्टर प्लान 2021 (एमपीडी-2021) और एकीकृत भवन उपनियम (यूबीबीएल), 2016 के कार्यान्वयन का पता लगाने के लिए उत्तर, मध्य और पश्चिम क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले राजधानी के  स्थानों का औचक दौरा किया.

पैनल ने कहा कि इन क्षेत्रीय दौरों के दौरान एक लगातार  यह देखा गया कि सार्वजनिक स्थानों, विशेष रूप से व्यावसायिक रूप से उपयोग की जाने वाली संपत्तियों के सामने फुटपाथों पर बड़े पैमाने पर अनधिकृत अतिक्रमण हो रहे हैं, जिससे जनता के चलने के लिए मुश्किल से ही कोई जगह बचती है.

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