इस साल भारत में मानसून के दौरान सामान्य बारिश के बीच 'अल नीनो' की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका ने चिंता बढ़ा दी है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम. रविचंद्रन के मुताबिक, प्रायद्वीपीय क्षेत्र, इससे सटे पूर्वी, पूर्वोत्तरी क्षेत्रों के कई हिस्सों में तथा उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य बारिश हो सकती है. अल नीनो की स्थितियां मानसून के दौरान विकसित हो सकती हैं और मानसून के दूसरे चरण में इसका असर महसूस हो सकता है. यह पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है. कृषि क्षेत्र फसल उत्पादन के लिए मानसून की बारिश पर बहुत अधिक निर्भर करता है. आइए आपको बताते हैं, क्या है अल नीनो और भारत पर इसका क्या पड़ सकता है प्रभाव.
भारत के इतिहास पर नजर डालें, तो जितने साल भी अल नीनो सक्रिय रहा है, वे मानसून के लिहाज़ से बुरे वर्ष नहीं थे. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस साल भी अल नीनो भारत में उतना प्रभाव नहीं डालेगा.
क्या है अल नीनो और ला नीना
आसान भाषा में समझें, तो अल नीनो के कारण तापमान गर्म होता है. वहीं, ला नीना के कारण तापमान ठंडा. अल नीनो प्रशांत महासागर में असामान्य रूप से गर्म पानी की मौजूदगी के जलवायु प्रभाव का नाम है. अल नीनो के दौरान, मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है. पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाली गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है. ला नीना की स्थिति भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर उत्पन्न होती है. इसकी वजह पूर्व से बहने वाली काफी तेज गति की हवाएं होती हैं. इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है.
अल नीनो और ला नीना का भारत पर प्रभाव
मौसम वैज्ञानिकों ने इस साल अल नीनो की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जताई है. भारत जैसे कृषि प्रधान देश पर इसका बेहद बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है. अल नीनो के कारण भारत में रिकॉर्ड स्तर पर गर्मी की ताप झेलनी पड़ सकती है. सूखे की मार झेलनी पड़ सकती है. भारत के कई राज्यों में भयंकर गर्मी पड़ सकती है. ऐसे में राजस्थान जैसे राज्यों में जल संकट हो सकता है, क्योंकि गर्मी के कारण तलाब सूख जाते हैं. वहीं, नदियों में जल स्तर भी गिर सकता है. इसका सीधा असर सिंचाई पर होगा और पैदावार कम हो सकती है. हालांकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अभी तक मानसून के मौसम के लिए अपना पूर्वानुमान जारी नहीं किया है.
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