
आखिर एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर फ्लेन 12 जून की दोपहर अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के तुरंत बाद क्यों क्रैश (Ahmedabad Plane Crash) कर गया? यह वह सवाल है जो इस हादसे में जान गंवाने वाले 265 लोगों के परिजनों के साथ पूरे देश और दुनिया की जुबान पर है. इस सवाल का जवाब संभवतः प्लेन के एक कोने में रखे एक छोटे बक्से से स्पष्ट हो जाएगा. इस बॉक्स का नाम है- ब्लैक बॉक्स.
हॉस्टल की छत पर मिला ब्लैक बॉक्स
शुक्रवार शाम करीब 4 बजे क्रैश साइट से हादसे की शिकार हुई एयर इंडिया के प्लेन की ब्लैक बॉक्स मिली. यह क्रैश साइट पर मौजूद बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की छत पर पड़ी मिली. इस ब्लैक बॉक्स से हादसे की जांच को रफ्तार मिलेगी. हादसे की वजह भी सामने आएगी.
चलिए समझते हैं कि ये ब्लैक बॉक्स आखिर होता क्या है, यह करता क्या है और जब पूरा प्लेन जल भी जाता है तो यह सुरक्षित कैसे बचता है. यह सब जानने से पहले शुरुआत इस ब्लैक बॉक्स के इतिहास से करते हैं.
ब्लैक बॉक्स को कब-किसने बनाया?
एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, 1953 में ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डेविड वॉरेन ने पहली बार कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर का विचार दिया. ऑस्ट्रेलियाई रक्षा विभाग ने उनकी मृत्यु के बाद एक बयान में कहा कि वॉरेन 1953 में दुनिया के पहले कमर्शियल जेट विमान, कॉमेट की दुर्घटना की जांच कर रहे थे, और उन्होंने सोचा कि किसी एयरलाइन दुर्घटना की जांच के लिए कॉकपिट (जिसमें पायलट बैठे होते हैं) में आवाजों की रिकॉर्डिंग करना मददगार होगा.
एक ब्लैक बॉक्स क्या करता है?
ब्लैक बॉक्स में दो डिवाइस शामिल हैं - कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR).


राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) की वेबसाइट के अनुसार, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर रेडियो प्रसारण और पायलट की आवाज और इंजन शोर जैसी आवाजों को जमा करता है. NTSB ने कहा कि जो कुछ हुआ उसके आधार पर, जांचकर्ता इंजन के शोर, स्टाल चेतावनियों और अन्य क्लिक और पॉप पर बारीकी से ध्यान दे सकते हैं. और उन आवाजों से, जांचकर्ता अक्सर इंजन की स्पीड और कुछ सिस्टम फेल्योर का निर्धारण कर सकते हैं.
NTSB के अनुसार, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर प्लेन की ऊंचाई, हवाई गति और दिशा पर नजर रखता है. ये फैक्टर कम से कम उन 88 मापदंडों में से हैं जिनकी नए बने प्लेन को निगरानी करनी चाहिए. कुछ रिकॉर्डर प्लेन के विंग (पंख) के फ्लैप की स्थिति से लेकर स्मोकिंग अलार्म तक 1,000 से अधिक अन्य विशेषताओं की स्थिति जमा कर सकते हैं. NTSB के अनुसार वह जमा की गई जानकारी से फ्लाइट का एक कंप्यूटर एनिमेटेड वीडियो तैयार कर सकता है.
NTSB जांचकर्ताओं ने 2014 में न्यूज एजेंसी एपी को बताया कि एक फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर 25 घंटे की जानकारी रखता है. डेटा का शुरुआती मूल्यांकन जांचकर्ताओं को 24 घंटों के भीतर दिया जाता है, लेकिन विश्लेषण कई हफ्तों तक जारी रहता है.
ब्लैक बॉक्स काला नहीं होता
अपने नाम के विपरीत, ब्लैक बॉक्स आमतौर पर नारंगी (ऑरेंज) रंग का होता है. इससे उन्हें विमान के मलबे में खोजना आसान होता है, जो कभी-कभी समुद्र की गहराई में पाए जाते हैं. एक एक्सपर्ट ने लाइवसाइंस को बताया कि "ब्लैक बॉक्स" शब्द संभवतः कंप्यूटिंग के क्षेत्र से उधार लिया गया था.
ब्लैक बॉक्स प्लेन के तबाह होने पर भी कैसे बच जाता है?
FDR आमतौर पर प्लेन के पिछले हिस्से में लगाया जाता है, जिसे ऐसा हिस्सा माना जाता है जिससे दुर्घटना में कम से कम नुकसान होने की संभावना होती है. जब कोई प्लेन पानी में क्रैश होता है, तो ब्लैक बॉक्स के अंदर लगे बीकन सक्रिय हो जाते हैं और 14,000 फीट की गहराई से सिग्नल भेज सकते हैं. यदि समुद्र से बरामद किया जाता है, तो इसपर लगे नमक को हटाने के लिए ब्लैक बॉक्स को पहले उपचारित किया जाता है और फिर कई दिनों तक अंदर सुखाया जाता है. इलेक्ट्रॉनिक्स और मेमोरी की जांच के बाद, आवश्यक मरम्मत की जाती है, फ्लाइट डेटा को फिर से रिकवर करने के लिए चिप्स की जांच की जाती है.
क्या हेलिकॉप्टर में भी ब्लैक बॉक्स होता है?
हेलीकॉप्टर में एक कंबाइंड रिकॉर्डर होता है. यह उड़ान से जुड़ें आवश्यक सभी डेटा (समय, दिशा, ऊंचाई, शक्ति, तापमान, रोटर गति, बाहरी तापमान इत्यादि) को रिकॉर्ड करने में सक्षम है.
ब्लैक बॉक्स 100% विश्वसनीय नहीं
भले ही प्लेन क्रैश के पीछे के मूल कारण खोजने में ब्लैक बॉक्स काफी हद तक विश्वसनीय है, लेकिन इसकी भी अपनी कुछ सीमाएं हैं. 29 दिसंबर 2024 को 181 लोगों को लेकर बैंकॉक से साउथ कोरिया जा रहा जेजू एयर का प्लेन उतरते समय क्रैश हो गया था, जिससे उसमें सवार 179 लोगों की मौत हो गई. इसका ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया, लेकिन NTSB के विश्लेषण से पता चला कि इसमें उड़ान के आखिरी कुछ मिनटों का महत्वपूर्ण डेटा मिट चुका था, यानी था ही नहीं.
इसी तरह मार्च 2014 में मलेशिया एयरलाइंस की उड़ान 370 के कुख्यात डाउनिंग और गायब होने के मामले में, खोज अभियान के दौरान ब्लैक बॉक्स से निकलने वाले संकेतों का पता नहीं चल पाया.
(एजेंसियों से इनपुट के साथ)
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