रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को आपातकाल के समय के संघर्ष को याद करते हुए कहा कि उन्हें 23 साल की उम्र में अठारह महीने के लिए जेल में डाल दिया गया था. लखनऊ में एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि वे छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि रखते थे. राजनाथ सिंह ने कहा, "मुझे अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में दिलचस्पी थी और फिर मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में शामिल हो गया. धीरे-धीरे मैं राजनीति की ओर बढ़ता गया."
लखनऊ में आईएएस छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे 23 साल की उम्र में आपातकाल के दौरान जेल भेज दिया गया था.' उन्होंने मजाक भी किया और कहा, "मैं कितना सभ्य आदमी रहा होगा कि मुझे आपातकाल के दौरान जेल में डाल दिया गया था." उन्होंने कहा कि देश लोकतंत्र को बहाल करने के लिए युद्ध के दौर से गुजर रहा था.
उन्होंने याद किया कि, "जब आपातकाल लगाया गया था, तो मैं भी आंदोलन में शामिल हो गया था. मैं 18 महीने जेल में था और आईएएस भूल गया था. जैसे ही मैं जेल से बाहर आया, मुझे पता चला कि मुझे संसद सदस्यता के लिए टिकट मिला है. तब मेरी उम्र 25 साल थी."
सिंह ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों की भूमिका को लेकर उन्होंने कहा कि, "जिस दिन इस देश के नेता ना कहना सीखेंगे और नौकरशाह हां कहना सीखेंगे, उस दिन से यह देश फलना-फूलना शुरू कर देगा. इससे भारत की राजनीति में साख का संकट पैदा हो रहा है (राजनीतिज्ञ हर बात को हां कह रहे हैं, यहां तक कि उन बातों को भी जो वे नहीं कर सकते हैं, जिससे जनता का विश्वास नेताओं से उठ रहा है). शब्दों में और कर्म में अंतर नहीं होना चाहिए."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को 'मन की बात' के 102वें एपिसोड के दौरान आपातकाल के समय को याद किया और इसे भारत के इतिहास का एक 'काला अध्याय' बताया.
पीएम मोदी ने कहा कि तत्कालीन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया 1975 का आपातकाल, भारतीय इतिहास में एक "अंधेरा काल" था. लाखों लोगों ने अपनी पूरी ताकत से इसका विरोध किया.
पीएम मोदी ने अपने मासिक रेडियो संबोधन 'मन की बात' के 102 वें एपिसोड में कहा, "भारत लोकतंत्र की जननी है. हम अपने लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हैं. हम अपने संविधान को सर्वोच्च मानते हैं...इसलिए हम 25 जून को कभी नहीं भूल सकते. यह वही दिन है जब हमारे देश पर आपातकाल लगाया गया था. भारत के इतिहास का एक काला दौर. लाखों लोगों ने पूरी ताकत से आपातकाल का विरोध किया. इन अत्याचारों पर कई किताबें लिखी गई हैं. पुलिस और प्रशासन द्वारा सजा दी गई. लोकतंत्र के समर्थकों को उस दौरान इतना प्रताड़ित किया गया कि आज भी उनका मन कांपता है."
पीएम मोदी ने कहा कि, "आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो हमें ऐसे अपराधों पर भी एक नजर डालनी चाहिए, जो देश की आजादी को खतरे में डालते हैं. इससे आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के अर्थ और महत्व को समझने में आसानी होगी."
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