
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सभी सहयोगी दलों ने सैद्धांतिक तौर पर वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन किया है. हालांकि, सहयोगी पार्टियों ने बिल को और लचीला बनाने के लिए कुछ बदलावों का सुझाव भी दिया है, जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक, इन सुझावों को बिल में शामिल किया गया है, जिसके बाद सहयोगी दलों का समर्थन और मजबूत हो गया है.
लोकसभा में मंगलवार को वक्फ बिल पर चर्चा शुरू होगी. आज दोपहर 12:30 बजे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में में बैठक के बाद चर्चा के लिए 8 घंटे का समय तक किया गया. पिछले साल अगस्त में बिल पेश होने के बाद सहयोगी दलों जैसे टीडीपी और एलजेपी ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का सुझाव दिया था, जिसे मान लिया गया. जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर बिल में अहम संशोधन किए गए हैं.
एनडीए की प्रमुख सहयोगी पार्टियां जैसे जेडीयू और टीडीपी बिल के समर्थन में हैं. जेडीयू के लिए स्थिति थोड़ी जटिल है, क्योंकि बिहार में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. फिर भी, पार्टी ने कहा कि जेपीसी को दिए गए उनके सुझावों को मान लिया गया है और वे संशोधित बिल का समर्थन करेंगे. सहयोगी दलों ने बिल के तीन प्रमुख बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी:
- 'वक्फ बाय यूजर' मामलों में प्रावधानों को पूर्वव्यापी (रेट्रोस्पेक्टिव) न बनाया जाए.
- कलेक्टर की भूमिका को कम किया जाए
- छह महीने में वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने की शर्त को लचीला बनाया जाए.
जानकारी के अनुसार इन सुझावों को बिल में शामिल कर लिया गया है.
इधर, मुस्लिम संगठन और विपक्षी दल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित कई संगठनों ने जेडीयू, टीडीपी और एलजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि बीजेपी के पास बहुमत नहीं है और सहयोगी दलों के दबाव से बिल वापस लिया जा सकता है. संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर सहयोगी पार्टियों ने विरोध नहीं किया, तो उन्हें मुस्लिम वोटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है. बिल को लेकर संसद में तीखी बहस की संभावना जताई जा रही है.
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