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वक्फ कानून: मुस्लिम पक्ष आज क्यों है खुश, सुप्रीम कोर्ट से मिली है कौन सी ट्रिपल राहत, पूरी डिटेल्स जानिए

वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने वक्‍फ की कुछ धाराओं पर आंशिक रोक लगाई है.

वक्फ कानून: मुस्लिम पक्ष आज क्यों है खुश, सुप्रीम कोर्ट से मिली है कौन सी ट्रिपल राहत, पूरी डिटेल्स जानिए
  • सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर पूरी तरह रोक लगाने के किसी भी आधार को खारिज कर दिया है
  • जिला कलेक्टर को अब वक्फ संपत्ति के फैसले का अधिकार नहीं दिया जाएगा जिससे मनमानी रोकी जाएगी
  • CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पहले तीन दिन तक याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की दलीलें सुनीं
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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज बड़ा फैसला सुनाया. मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने साफ किया कि इस पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है. इससे पहले 22 मई को लगातार तीन दिन चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने वक्फ कानून को मुसलमानों के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए उस पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी. वहीं केंद्र सरकार ने कानून को वैध बताते हुए इसके पक्ष में दलीलें रखी थीं. अदालत के अंतरिम आदेश से मुस्लिम पक्ष को आंशिक तौर पर राहत मिली है. 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश तीन अहम मुद्दों पर केंद्रित रहा

  • पहला- क्या सुनवाई पूरी होने तक वक्फ की संपत्तियों को डी-नोटिफाई किया जा सकता है.
  • दूसरा- वक्फ बोर्ड की संरचना से जुड़ा सवाल, जिसमें कहा गया था कि पदेन सदस्यों को छोड़कर सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए. 
  • तीसरा- कलेक्टर की जांच के दौरान संपत्ति को वक्फ की संपत्ति न मानने से जुड़ा मुद्दा.

सुप्रीम कोर्ट ने इन बिंदुओं पर स्पष्ट किया कि कानून को रोके जाने का कोई कारण नहीं है और आगे की विस्तृत सुनवाई में इन प्रश्नों पर विस्तार से विचार होगा. 

  1. पहला बड़ा आदेश यह है कि अब जिला कलेक्टर यह फैसला नहीं ले पाएगा कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं. कोर्ट ने माना कि कलेक्टर को यह अधिकार देने से मनमानी और विवाद बढ़ सकते हैं. 
  2. दूसरा, सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रावधान पर रोक लगाई है, जिसमें कहा गया था कि केवल वही व्यक्ति वक्फ कर सकता है, जो कम से कम पांच साल से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा हो. कोर्ट ने इसे भेदभावपूर्ण और मनमाना मानते हुए लागू करने से इनकार किया. 
  3. तीसरा, न्यायालय ने वक्फ निकायों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान पर भी विचार किया. पीठ ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय वक्फ परिषद में 22 सदस्यों में से 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे, और राज्य वक्फ बोर्डों में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते हैं. 

यह वाकई एक अच्छा फ़ैसला है: कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी

कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, "यह वाकई एक अच्छा फ़ैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की साज़िश और इरादों पर लगाम लगा दी है। ज़मीन दान करने वाले लोग इस बात से डरे हुए थे कि सरकार उनकी ज़मीन हड़पने की कोशिश करेगी। यह उनके लिए राहत की बात है...सरकार कैसे तय करेगी कि कौन 5 साल से धर्म का पालन कर रहा है? यह आस्था का मामला है... सरकार ने इन सभी पहलुओं पर ध्यान दिया है... हम लड़ाई जारी रखेंगे..."

वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने समर्थन किया, मौलाना ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट से इस तरह के फैसले की उम्मीद थी. अब वक्फ की जमीनों पर भू माफिया के कब्जे हटेंगे, उससे होने वाली आमदनी गरीब व कमजोर मुसलमानो के उत्थान के लिए खर्च की जाएगी. 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 10 महत्वपूर्ण बातें

  1. पूरे वक्फ कानून पर रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूरे कानून को रोकने का कोई आधार नहीं है, हस्तक्षेप केवल दुर्लभतम मामलों में ही होना चाहिए.
  2. 5 साल तक मुस्लिम धर्म पालन का प्रावधान रोका: धारा 3(आर) के तहत यह शर्त कि किसी व्यक्ति को 5 वर्षों तक इस्लाम का पालन करना चाहिए, कोर्ट ने अस्थायी रूप से रोक दी.
  3. राज्य सरकार को नियम बनाने का आदेश: कोर्ट ने कहा कि जब तक राज्य सरकारें इस पर स्पष्ट नियम नहीं बनातीं, तब तक यह प्रावधान लागू नहीं होगा.
  4. कलेक्टर को अधिकार पर रोक: धारा 3(सी) के तहत कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया.
  5. शक्तियों का पृथक्करण: कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर को यह शक्ति देना शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के खिलाफ है.
  6. संपत्ति से बेदखली नहीं होगी: जब तक ट्रिब्यूनल या अदालत अंतिम निर्णय नहीं ले लेती, तब तक किसी भी वक्फ संपत्ति से किसी को बेदखल नहीं किया जाएगा.
  7. तीसरे पक्ष के अधिकार पर रोक: विवाद का निपटारा होने तक वक्फ संपत्ति पर किसी तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन नहीं किया जा सकेगा.
  8. गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा तय: केंद्रीय वक्फ परिषद में 4 और राज्य वक्फ बोर्डों में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे.
  9. पंजीकरण पर रोक नहीं: कोर्ट ने माना कि वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण 1995 से चला आ रहा है और यह नई आवश्यकता नहीं है. केवल कुछ समयसीमा में बदलाव किए गए हैं.
  10. CEO नियुक्ति पर सुझाव: कोर्ट ने गैर-मुस्लिम को राज्य वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाए जाने पर रोक नहीं लगाई, लेकिन कहा कि जहां संभव हो, मुस्लिम व्यक्ति को नियुक्त किया जाए.

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