
प्रवर्तन निदेशालय ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया है कि DHFL घोटाले में फंसे वाधवान बंधुओं ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कला की दुनिया को भी नहीं बख्शा. करोड़ों की हाई-एंड पेंटिंग्स यानी महंगी कलाकृतियों के जरिए उन्होंने अवैध पैसों को सफेद बनाने की साज़िश रची. ED की चार्जशीट के मुताबिक, जब वाधवान अस्पताल में इलाज के बहाने "आराम" कर रहे थे, तब पेंटिंग्स की डील्स फाइनल की जा रही थीं.
मांजीत बावा की पेंटिंग बेचने की साज़िश रची
मुंबई के एक मिडलमैन दीपक कपूर और अजॉय नवंदर ने मिलकर दो कीमती पेंटिंग्स टायब मेहता की ‘Falling Bull' और मांजीत बावा की एक पेंटिंग बेचने की साज़िश रची. इन दोनों कलाकृतियों को DHFL से डायवर्टिड यानी गलत तरीके से निकाले गए पैसों से खरीदा गया था. कुल कीमत करीब ₹31.10 करोड़ थी. साज़िश के तहत पुराने तारीख की एक स्टांप पेपर पर 20 नवंबर 2018 की एक फर्जी बिक्री एग्रीमेंट तैयार की गई, उसे नोटराइज़ भी कराया गया ताकि ये सब कुछ असली लगे.
ज्वेलरी,घड़ियां गिरवी रखकर कैश जुटाया
इतना ही नहीं, वाधवान के करीबी दीपक कपूर ने परिवार की महंगी ज्वेलरी और घड़ियां गिरवी रखकर ₹5 करोड़ कैश भी जुटाया, जिसे वाधवान के खर्चों में इस्तेमाल किया गया. ये ज्वेलरी भी उसी फंड से खरीदी गई थी, यानी वो भी अपराध की कमाई थी. ED का कहना है कि वाधवान, अजॉय नवंदर, दीपक कपूर और सनी बठिजा सभी ने मिलकर इस अवैध पैसे को छुपाने, घुमाने और बेचने में एक संगठित साज़िश रची.
इससे साफ है, कलाकारी के नाम पर इस बार कला का भी गला घोंटा गया. करोड़ों की पेंटिंग्स को मनी लॉन्ड्रिंग का जरिया बना दिया गया. ED ने साफ कहा है कि ये सभी लोग PMLA 2002 की धारा 3 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल पाए गए हैं, और धारा 4 के तहत उन्हें सजा हो सकती है.
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