कोलकाता:
प. बंगाल के विश्व भारती परिसर स्थित एक स्कूल के छात्रावास में बिस्तर गीला करने पर कथित रूप से अपना पेशाब पीने की सजा मिलने से आहत 10 वर्षीय छात्रा को सदमे से उबारना मुश्किल हो रहा है। छात्रा के पिता ने यह बात मंगलवार को कही।
छात्रा के पिता मनोज मिस्त्री ने कहा, "वह अभी तक सदमे से नहीं उबर पाई है। वह ठीक से खाना नहीं खा रही है। उसके साथ जो कुछ हुआ, उसके बाद से उसकी मनोदशा सामान्य नहीं हो पा रही है। चिकित्सकों ने हमें उसे खुश रखने और घटना को भुलाने में उसकी मदद करने की सलाह दी है।"
घटना दोहराने की आशंका से छात्रा उस स्कूल में लौटना नहीं चाहती।
पाथा भवन स्कूल की कक्षा पांच की छात्रा ने कहा, "मैं स्कूल के छात्रावास में लौटना नहीं चाहती। मैं दूसरे स्कूल में पढ़ना चाहती हूं। वे मुझे फिर वैसा ही करने के लिए कह सकते हैं।"
छात्रा ने कहा कि माता-पिता ने उसका अनुरोध स्वीकार कर लिया है।
वहीं, मिस्त्री ने कहा, "घटना के बाद वह स्कूल जाने के लिए राजी नहीं है। हम क्या कर सकते हैं? यही संभव है कि हम उसका दाखिला दूसरे स्कूल में करवा दें।"
उसने कहा, "10 साल की बच्ची होकर जब मुझे ऐसी झूठी बातों में विश्वास नहीं है तब वार्डन इन चीजों में विश्वास कैसे कर सकती हैं?"
विश्व भारती विश्वविद्यालय के अधिकारियों का दावा है कि वार्डन उमा पोद्दार ने छात्रा से इसलिए पेशाब चाटने के लिए कहा, क्योंकि वह मानती हैं कि ऐसा करने से बिस्तर गीला करने की बीमारी ठीक हो जाएगी।
इस मुद्दे पर चौतरफा आलोचना झेलने के बाद अधिकारियों ने छात्रा के माता-पिता से अनुरोध किया है कि वे उसे घर से प्रतिदिन स्कूल भेजें।
छात्रा की मां पूनम मिस्त्री ने कहा, "आज हमारे पास विश्वविद्यालय से एक फोन आया जिसमें कहा गया कि हम अपनी बेटी को फिर से स्कूल भेजें और छात्रावास में न रखकर घर से प्रतिदिन स्कूल भेजें।"
इस बीच, वार्डन के प्रति नरमी बरतने पर अदालत द्वारा पुलिस की खिंचाई किए जाने के बाद बाल न्याय अधिनियम की धारा 23 के तहत एक मामला दर्ज किया गया। इस अधिनियम में बच्चे के साथ क्रूरता से पेश आने पर अधिकतम छह महीने की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
पुलिस अधीक्षक (बीरभूम) ऋषिकेश मीणा ने कहा, "अदालत के आदेश का पालन करते हुए हमने वार्डन के खिलाफ बाल न्याय अधिनियम की धारा 23 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।"
छात्रा के साथ हुई घटना की चौतरफा आलोचना हुई है और बात प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंच गई है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले पर विश्वविद्यालय और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
बताया गया है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम.के. नारायणन ने भी विश्वविद्यालय से एक रिपोर्ट मांगी है।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने इस घटना को अमानवीय और शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा, "लोग अपने बच्चे को इस उम्मीद से छात्रावास में भेजते हैं कि वहां उसका बेहतर ख्याल रखा जाएगा लेकिन इस घटना के बाद वे ऐसा नहीं सोच सकते।"
पुलिस में की गई शिकायत के मुताबिक, यह घटना शनिवार शाम की है, जब काराबी छात्रावास की वार्डन उमा पोद्दार ने औचक निरीक्षण के दौरान छात्रा को बिस्तर गीला करने का दोषी पाया। आरोप है कि पोद्दार ने सजा के तौर पर छात्रा को पेशाब चाटने को कहा।
बताया जाता है कि बच्ची ने यह बात अपनी मां को बताई, जिसके बाद उसके अभिभावक तथा कई अन्य लोगों ने छात्रावास परिसर में पहुंचकर वार्डन के साथ बदसलूकी की।
घटना के बाद विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए छात्र कल्याण संकाय की पूर्व अध्यक्ष अरुणा मुखर्जी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन किया।
रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय ने पोद्दार को वार्डन के पद से कार्य-मुक्त कर दिया है।
छात्रा के पिता मनोज मिस्त्री ने कहा, "वह अभी तक सदमे से नहीं उबर पाई है। वह ठीक से खाना नहीं खा रही है। उसके साथ जो कुछ हुआ, उसके बाद से उसकी मनोदशा सामान्य नहीं हो पा रही है। चिकित्सकों ने हमें उसे खुश रखने और घटना को भुलाने में उसकी मदद करने की सलाह दी है।"
घटना दोहराने की आशंका से छात्रा उस स्कूल में लौटना नहीं चाहती।
पाथा भवन स्कूल की कक्षा पांच की छात्रा ने कहा, "मैं स्कूल के छात्रावास में लौटना नहीं चाहती। मैं दूसरे स्कूल में पढ़ना चाहती हूं। वे मुझे फिर वैसा ही करने के लिए कह सकते हैं।"
छात्रा ने कहा कि माता-पिता ने उसका अनुरोध स्वीकार कर लिया है।
वहीं, मिस्त्री ने कहा, "घटना के बाद वह स्कूल जाने के लिए राजी नहीं है। हम क्या कर सकते हैं? यही संभव है कि हम उसका दाखिला दूसरे स्कूल में करवा दें।"
उसने कहा, "10 साल की बच्ची होकर जब मुझे ऐसी झूठी बातों में विश्वास नहीं है तब वार्डन इन चीजों में विश्वास कैसे कर सकती हैं?"
विश्व भारती विश्वविद्यालय के अधिकारियों का दावा है कि वार्डन उमा पोद्दार ने छात्रा से इसलिए पेशाब चाटने के लिए कहा, क्योंकि वह मानती हैं कि ऐसा करने से बिस्तर गीला करने की बीमारी ठीक हो जाएगी।
इस मुद्दे पर चौतरफा आलोचना झेलने के बाद अधिकारियों ने छात्रा के माता-पिता से अनुरोध किया है कि वे उसे घर से प्रतिदिन स्कूल भेजें।
छात्रा की मां पूनम मिस्त्री ने कहा, "आज हमारे पास विश्वविद्यालय से एक फोन आया जिसमें कहा गया कि हम अपनी बेटी को फिर से स्कूल भेजें और छात्रावास में न रखकर घर से प्रतिदिन स्कूल भेजें।"
इस बीच, वार्डन के प्रति नरमी बरतने पर अदालत द्वारा पुलिस की खिंचाई किए जाने के बाद बाल न्याय अधिनियम की धारा 23 के तहत एक मामला दर्ज किया गया। इस अधिनियम में बच्चे के साथ क्रूरता से पेश आने पर अधिकतम छह महीने की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
पुलिस अधीक्षक (बीरभूम) ऋषिकेश मीणा ने कहा, "अदालत के आदेश का पालन करते हुए हमने वार्डन के खिलाफ बाल न्याय अधिनियम की धारा 23 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।"
छात्रा के साथ हुई घटना की चौतरफा आलोचना हुई है और बात प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक पहुंच गई है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले पर विश्वविद्यालय और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
बताया गया है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम.के. नारायणन ने भी विश्वविद्यालय से एक रिपोर्ट मांगी है।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने इस घटना को अमानवीय और शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा, "लोग अपने बच्चे को इस उम्मीद से छात्रावास में भेजते हैं कि वहां उसका बेहतर ख्याल रखा जाएगा लेकिन इस घटना के बाद वे ऐसा नहीं सोच सकते।"
पुलिस में की गई शिकायत के मुताबिक, यह घटना शनिवार शाम की है, जब काराबी छात्रावास की वार्डन उमा पोद्दार ने औचक निरीक्षण के दौरान छात्रा को बिस्तर गीला करने का दोषी पाया। आरोप है कि पोद्दार ने सजा के तौर पर छात्रा को पेशाब चाटने को कहा।
बताया जाता है कि बच्ची ने यह बात अपनी मां को बताई, जिसके बाद उसके अभिभावक तथा कई अन्य लोगों ने छात्रावास परिसर में पहुंचकर वार्डन के साथ बदसलूकी की।
घटना के बाद विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए छात्र कल्याण संकाय की पूर्व अध्यक्ष अरुणा मुखर्जी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति का गठन किया।
रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय ने पोद्दार को वार्डन के पद से कार्य-मुक्त कर दिया है।
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