साल 2012 के छावला रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों की मौत की सजा का फैसला पलट रिहाई का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया है. जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. कोर्ट के इस फैसले से मृतक लड़की का परिवार बेहद आहत नजर आ रहा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मृतक लड़की के माता-पिता ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हम इस फैसले से टूट गए हैं, हमने 12 साल बहुत परेशानियां झेलीं हैं, आरोपी हमें कोर्ट में ही काटने की धमकियां देते थे, अंधा कानून है, हम फैसले के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे."
छावला रेप-मर्डर केस में रवि कुमार, राहुल और विनोद को अपहरण, बलात्कार और हत्या के विभिन्न आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था. 7 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने तीन दोषियों की मौत पर फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि तीनों की मौत की सजा बरकरार रखी जाए या नहीं. जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. हालांकि दिल्ली पुलिस ने मौत की सजा कम करने की अर्जी का विरोध किया था. पुलिस की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि ये अपराध सिर्फ पीड़िता के साथ नहीं बल्कि पूरे समाज के साथ हुआ है. दोषियों को कोई रियायत नहीं दी जा सकती क्योंकि उन्होंने ऐसा वहशियाना अपराध किया है. दोषियों ने ना केवल युवती से सामूहिक बलात्कार किया बल्कि उसके मृत शरीर का अपमान भी किया.
ये भी पढ़ें : दिल्ली में बुधवार से खुलेंगे प्राइमरी स्कूल, ट्रकों की एंट्री से भी बैन हटा : पर्यावरण मंत्री
दिल्ली की द्वारका अदालत ने फरवरी 2014 में तीन लोगों को 2012 में 19 वर्षीय युवती के साथ बलात्कार और हत्या के लिए दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी. पीड़िता का क्षत-विक्षत शरीर हरियाणा के रेवाड़ी में एक खेत में मिला था. उस पर कार के औजारों व अन्य चीजों से बेदर्दी से हमला किया गया था. रवि कुमार, राहुल और विनोद को अपहरण, बलात्कार और हत्या के विभिन्न आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया था. 26 अगस्त 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने मौत की सजा की पुष्टि करते हुए कहा कि वे "शिकारी" थे जो सड़कों पर घूम रहे थे और "शिकार की तलाश में थे".तीनों दोषियों ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस बीच, पीड़ित परिवार ने दोषियों द्वारा किए गए अपराध के बारे में पीठ को सहायता प्रदान करने के लिए एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं